किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के मध्य बहने वाली सतलुज नदी पर इन दिनों जगह जगह एचपीपीसीएल नामक विद्युत परियोजना के निर्माणाधीन कार्यों के बाद निकले मकिंग (मलबे) के बाद एचपीपीसीएल के ठेकेदार पटेल कम्पनी द्वारा बड़े-बड़े टिप्परों द्वारा जिला के शोंग ठोंग व रिस्पा के समीप फेंका जा रहा है. जिसके चलते सतलुज नदी प्रदूषित हो रही है, साथ ही आसपास के सेब के बगीचे, दुर्लभ चिलगोजे के जंगल तबाह होने की कगार पर हैं.
वहीं, जिला किन्नौर में सतलुज नदी को सोने की नदी माना जाता है, लेकिन परियोजनाओं के निर्माणाधीन कार्यों से निकले मलबे को सतलुज में फेंकने से सतलुज नदी अब अपना अस्तित्व खोने लगी है. सतलुज नदी पर फैंके जाने वाला मलवा निर्माणाधीन परियोजनाओं के टनल के कार्यों के बाद निकला बारूद रूपी मलबे को रोजाना शोंग ठोंग, रिस्पा समीप नदी के ठीक साथ मे फेंका जा रहा है, जबकि प्रदेश सरकार के गाइडलाइंस के अनुसार नदी के 12 मीटर ऊपरी तरफ रिटेनिंग वाल (सुरक्षा दिवार) का निर्माण करवाने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन विद्युत परियोजनाएं अपने निर्माणाधीन कार्यो की प्रगति के नशे में किन्नौर के लोगों को व सतलुज नदी का अस्तित्व धूमिल करने में लगे हैं.
पिछले दिनों भी ईटीवी द्वारा परियोजनाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए गए थे. जिस पर हाल ही में प्रदेश उच्च न्यायालय ने 4 जून 2020 को सतलुज पर मलबा फेंकने पर विचाराधीन मामले पर जिला में सतलुज के आसपास मलबा फेंकने पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन एचपीपीसीएल नामक परियोजना के निर्माणाधीन कार्य करने वाली पटेल कम्पनी व एचपीपीसीएल के अधिकारी मूकदर्शक बनी हुई है और रोजाना सतलुज के समीप डम्पिंग साइड बनाकर मलबा फेंक रहे हैं.
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