किन्नौर: किन्नौर जिले के युला गांव में ठंडे पानी की निर्मल झील स्थित है. यहां आसमान छूते पहाड़ चारों तरफ फैली हरियाली किसी का भी दिल मोह लेती है. हर इंसान को अपने आने वाले कल की चिंता रहती है. आने वाला कल अच्छा होगा या बुरा यह हर कोई जानना चाहता है. कोई भविष्य जानने के लिए ज्योतिष के पास जाता है, तो कोई पंडित के पास, लेकिन किन्नौर के युला कांडा गांव में युला झील में लोग अपना भविष्य जानने के लिए आते हैं. यहां झील में लोग अपनी टोपी से अपना भविष्य देखते हैं.
मान्यता है कि टोपी कुछ मिनटों में ही लोगों को उसका भविष्य बता देती है, सबसे पहले किन्नौरी टोपी को झील के पानी में फेंकना होता है, टोपी अगर बिना किसी विघ्न के झील के पार हो गई तो समझो आपकी नैय्या पार हो गई. अगर टोपी उल्ट गई तो आपके लिए यह अशुभ संकेत माना जाता है, लेकिन इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. कहते हैं कि युला झील के किनारे बने श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर मात्था टेकने से टोपी का कहा पलट जाता है. मात्था टेकने पर श्री कृष्ण अपने भक्तों के कष्ट हर लेते हैं.
युला कंडा झील लोगों के लिए आस्था का केंद्र भी है. कहा जाता है कि इस झील का निर्माण अज्ञात वास में पांडवों ने एक ही रात में कर दिया था. पांडवों ने पहाड़ से एक नहर के पानी को मोड़ कर इस झील को बनाया था. झील के पानी से पांडव यहां धान की खेती करते थे. पांडवों ने झील के साथ ही श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी. यह मूर्ति आज भी यहां मौजूद है.
भले ही आज के कुछ नौजवान भविष्य जानने के इस तरीके पर विश्वास ना करें. यह भी सच है कि भविष्य मेहनत से संवरता है, लेकिन लोगों की आस्था देवस्थानों से जुड़ी होती है और जहां आस्था होती है वहां भगवान होते हैं और भगवान कभी अपने भक्तों को मुश्किल में अकेला नहीं छोड़ते.
गौर रहे कि ईटीवी भारत किसी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. हम अपनी खास सीरीज अद्घुत हिमाचल में लोगों की आस्था, विश्वास के बारे में बताते है . ऐसी आस्था जिसे लोग सदियों से मानते चले आ रहे है.