कांगड़ा: साइबर क्राइम के लिए शातिर नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. वहीं, लोग भी इन शातिरों के झांसे में आकर साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो किसी व्यक्ति या संस्थान का डाटा ब्रीच होने के पीछे ह्यूमन एरर प्रमुख वजह है. कई बार लोग साइबर फ्राड के लिए किसी का फोन अपनी समस्या बताकर लेने का प्रयास करते हैं. ऐसे में ध्यान रखें अगर कोई अज्ञात व्यक्ति आपसे OTP देने की रिक्वेस्ट करता है, तो उसे न OTP दें और न ही अपना फोन. क्योंकि इससे आपका डाटा ट्रांसफर करके शातिर आपको चपत लगा सकते हैं. कोई इंसान जब अपना टूथब्रश किसी से शेयर नहीं करता, तो ओटीपी किसी से क्यों शेयर करना ?(Cyber fraud in Himachal).
ये बात रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब धर्मशाला (Regional Forensic Science Lab Dharamshala) की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मीनाक्षी महाजन ने कही. साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर डॉ. महाजन का कहना है कि जो रिपोर्ट साइबर क्राइम को लेकर सामने आ रही हैं, उसमें डाटा ब्रीचस का मुख्य कारण ह्यूमन एरर सामने आता है. शातिर, लोगों को फंसाने के कई प्रयास करते हैं और लोग उनके झांसे में आकर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई आपको कॉल करके डाटा मांगता है, तो उसे कोई भी जानकारी न दें. क्योंकि आप साइबर क्राइम का शिकार भी हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कई बार देखा जाता है कि शातिर अर्जंट कॉल का बहाना बनाकर सामने वाले व्यक्ति से किसी को कॉल करने के लिए फोन मांगने का नाटक करते हैं. बार-बार आग्रह करने के बावजूद किसी के हाथ में अपना मोबाइल न दें, क्योंकि शातिर आपके फोन से बार-बार कॉल करने का नाटक करके कॉल डाइवर्ट या डाटा ट्रांसफर कर लेते हैं, जिससे आप साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं.
डॉ. मीनाक्षी महाजन का कहना है कि जब आप अपना टूथब्रश किसी से शेयर नहीं करते है तो ओटीपी क्यों किसी से शेयर करना ? कई बड़े साइबर ठगी के मामले ओटीपी शेयर करने की वजह से भी सामने आए हैं. जागरूकता इससे बचने का एकमात्र उपाय है, ऐसे में सभी जागरूक होकर साइबर ठगी से बच सकते हैं.
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