कांगड़ा: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में परंपरा अनुसार गुप्त नवरात्रों का शुभारंभ हो गया. बेशक कोरोना वायरस के कारण शक्तिपीठों के कपाट बंद हैं, लेकिन 22 जून से शुरू हुए गुप्त नवरात्र में पुजारी नौ दिन तक मां ज्वालामुखी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करेंगे.
9 दिनों तक चलने वाले गुप्त नवरात्र में मंदिर के पुजारी विशेष पूजा अर्चना के साथ मां की आराधना करेंगे. पुजारी वर्ग विश्व कल्याण और कोरोना वायरस के खात्मे के लिए जप और पूजा-पाठ करेंगे. मान्यता है की गुप्त नवरात्र में किए गए जाप, पाठ, हवन का कई लाख गुना अधिक फल अन्य दिनों की अपेक्षा में प्राप्त होता है और इन दिनों में की गई आराधना से मां प्रसन्न होती हैं.
चैत्र माह के नवरात्र मार्च-अप्रैल में होते हैं, जबकि अश्विन नवरात्र सितंबर-अक्टूबर में होते हैं. इसके अलावा फरवरी व जून में विशेष गुप्त नवरात्र का आयोजन किया जाता है, गुप्त नवरात्र सिद्धि प्राप्त करने, पूजा-पाठ, जप- तप और तंत्र-मंत्र के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं.
क्यों विशेष हैं गुप्त नवरात्र
पुजारियों के अनुसार, साल में दो बार होने वाले गुप्त नवरात्र खास महत्व रखते हैं. फरवरी में होने वाले गुप्त नवरात्र की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मां की मूर्ति रूप का जन्मोत्सव मनाया जाता है. साथ ही जून में शुरू होने वाले गुप्त नवरात्र में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मां ज्वालामुखी का प्रकटोत्सव मनाया जाता है. मां के जन्मोत्सव से पहले किए जाने वाले अनुष्ठान में विश्व कल्याण के संकल्प के साथ गणपति, गायत्री व मां ज्वालामुखी के मूल मंत्र के साथ सप्त चंडी पाठ, चौंसठ योगनी पूजन किया जाता है.
मुगल काल से लेकर ब्रिटिश शासन और यहां तक कि युद्ध व आपातकाल के दौरान भी मंदिरों के कपाट बंद नहीं हुए हैं, लेकिन कोरोना के कारण इस बार कपाट बंद किए गए हैं. गुप्त नवरात्र के दौरान मां का अनुष्ठान सरकार की ओर से तय नियमों के अनुरूप किया जाएगा. अष्टमी के मौके पर भी मां की जयंती को देखते हुए सूक्ष्म पूजन का ही आयोजन होगा. इस दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना के बाद हर दिन की तरह भोग लगाया जाएगा. कोरोना के कारण मंदिर में भंडारे का आयोजन नहीं होगा .