हिमाचल के जिला कांगड़ा का स्थित नूरपुर किला बेहद अद्भुत है. क्षतिग्रस्त होने के बावजूद भी किले की कला शैली और इतिहास अपने आप में बेहद रोचक है. इस किले का निर्माण राजा बासु के समय में 1580 से 1613 के मध्य हुआ था. किले में कई राजाओं ने शासन किया और किले का प्रवेश द्वार भी अपने आप में बेहद आकर्षण का केंद्र है.
साल 1905 में कांगड़ा में आए भूकंप से इस किले का काफी भाग क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन अब भी किले की दीवारें और कला शैली के आगे आधुनिक कला शैली फीकी ही नजर आती है.
नूरपुर के इस किले में जहांगीर ने भी कुछ समय राज किया था. उस समय जहांगीर की पत्नी नूरजहां भी यहां आई थी. इसके बाद ही इस स्थान का नाम नूरपुर पड़ा था, जबकि इस स्थान को पहले धमड़ी कहा जाता था. किले की दीवारें अब भी इतिहास की याद दिलाती है.
नूरपुर किले के अंतिम शासक राजा जगत सिंह रहे. उनके समय में ही यहां बृज स्वामी मंदिर की स्थापना हुई. इस मंदिर में भगवान कृष्ण की बेहद मनमोहक प्रतिमा और साथ में मीरा की मूर्ति है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में अब भी रात को मीरा के घुंघरुओं की आवाज सुनाई देती है.
इस देवस्थल के पीछे की कहानी उतनी ही रोचक है जितना की खुद ये मंदिर. सन 1620 से पहले इस जगह पर राज सिंहासन हुआ करता था और ये जगह दरबारे खास थी. अलौकिक मूर्तियों की स्थापना के साथ साथ राजा जगत सिंह ने इन दीवारों पर भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक लीलाओं का चित्रण भी करवाया.
वहीं, मौजूदा समय में 2001 में आर्कियालोजिकल विभाग ने इस किले को अपने अधीन कर लिया है. जिसके बाद काली माता मंदिर का पार्ट ठीक किया और किले में स्थित कुएं, तालाब को संरक्षित किया गया.
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