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ज्वालामुखी मंदिर में कन्या पूजन के साथ श्रावण अष्टमी नवरात्रों का शुभारंभ - himachal news

शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में मंगलवार से श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुरुआत हो गई है. कोरोना संकट को देखते हुए भक्तों के लिए मंदिर के कपाट बंद रहेंगे. मंदिर में कोरोना वायरस के चलते पूरे विधि-विधान के साथ रोजना माता की पूजा अर्चना की जा रही है.

Shravan Ashtami Navratri started in Jwalamukhi temple
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Published : Jul 21, 2020, 5:20 PM IST

ज्वालामुखी: विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में आज से मां ज्वालामुखी की विशेष पूजा अर्चना और कन्या पूजन के साथ श्रावण अष्टमी नवरात्रों का आगाज हो गया है. कोरोना वायरस के चलते पिछले चार महीनों से मंदिर के कपाट बंद है. ऐसे में स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने साधारण तरीके से मंदिर परिसर में श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुरूआत की.

बता दें कि मंदिर में कोरोना वायरस के चलते पूरे विधि-विधान के साथ रोजना माता की पूजा अर्चना की जा रही है. धार्मिक पूजा आराधना को भी पारंपरिक तरीके से सूक्ष्म रूप से सोशल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखते हुए किया जा रहा है. मंगलवार को ज्वालामुखी मंदिर में कन्या पूजन के साथ श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुरुआत की गई.

वीडियो रिपोर्ट.

इस मौके पर स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने समस्त देशवासियों को श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुभकामनाएं दी. धवाला ने माता ज्वालामुखी से कोरोना के खात्मे और सद्भावना की कामना की.

कब-कब होते हैं बड़े आयोजन

प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में दो गुप्त नवरात्रों का आयोजन क्रमशः फरबरी और जून में किया जाता है. जबकि चैत्र नवरात्रों का आयोजन मार्च अप्रैल और अश्विन नवरात्रों का आयोजन सिंतबर अक्टूबर में किया जाता है. वहीं, श्रावण अष्टमी मेलों का आयोजन साल में एक बार जुलाई, अगस्त में किया जाता है. जून महीने में मनाए जाने वाले गुप्त नवरात्रे ज्वालामुखी शक्तिपीठ में सबसे बड़ा उत्सव होता है, क्योंकि इन नवरात्रों की अष्टमी के अवसर पर माता ज्वालामुखी का प्रकटोत्सव प्रमुख तौर से मनाया जाता है.

कैसे हुआ श्रावण अष्टमी मेलों का आगाज

मंगलवार को ज्वालामुखी मन्दिर की सैकड़ों वर्ष पुरानी झंडा रस्म के साथ अष्टमी मेलों का आगाज हुआ. मन्दिर के पुजारी और प्रशासन ने पूरे रीति रिवाज के साथ माता के मंदिर में झंडा रस्म पूरी की.

कैसे होगी मां ज्वालाजी की पूजा

श्रावण अष्टमी मेलों में ज्वालामुखी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. सुबह 5 बजे माता की अखंड ज्योतियों का नित्य पूजन होगा. जिसके बाद माता की आरती होगी. दोपहर को आरती के बाद माता को भोग लगाया जाएगा. जबकि शाम को 6 बजे संध्या आरती होगी. वहीं, रात 9.30 बजे शयन आरती के बाद भोग लगेगा और माता को शयन कक्ष में सुलाया जाएगा.

जिले के मंदिरों को खोलने के लिए अभी तक सरकार की तरफ से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं. जाहिर है कि श्रावण अष्टमी मेलों का आयोजन नहीं होगा. किसी भी बाहरी या स्थानीय श्रद्धालुओं को मन्दिरों में आने की अनुमति नहीं है. मंदिरों के पुजारी नियमित ढंग से सरकारी दिशा निर्देशों के तहत पूजा पाठ कर सकेंगे.

ये भी पढ़ें: बस किराये में बढ़ोतरी के खिलाफ सड़कों पर उतरी कांग्रेस, शिमला में किया चक्का जाम

ज्वालामुखी: विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में आज से मां ज्वालामुखी की विशेष पूजा अर्चना और कन्या पूजन के साथ श्रावण अष्टमी नवरात्रों का आगाज हो गया है. कोरोना वायरस के चलते पिछले चार महीनों से मंदिर के कपाट बंद है. ऐसे में स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने साधारण तरीके से मंदिर परिसर में श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुरूआत की.

बता दें कि मंदिर में कोरोना वायरस के चलते पूरे विधि-विधान के साथ रोजना माता की पूजा अर्चना की जा रही है. धार्मिक पूजा आराधना को भी पारंपरिक तरीके से सूक्ष्म रूप से सोशल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखते हुए किया जा रहा है. मंगलवार को ज्वालामुखी मंदिर में कन्या पूजन के साथ श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुरुआत की गई.

वीडियो रिपोर्ट.

इस मौके पर स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने समस्त देशवासियों को श्रावण अष्टमी नवरात्रों की शुभकामनाएं दी. धवाला ने माता ज्वालामुखी से कोरोना के खात्मे और सद्भावना की कामना की.

कब-कब होते हैं बड़े आयोजन

प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में दो गुप्त नवरात्रों का आयोजन क्रमशः फरबरी और जून में किया जाता है. जबकि चैत्र नवरात्रों का आयोजन मार्च अप्रैल और अश्विन नवरात्रों का आयोजन सिंतबर अक्टूबर में किया जाता है. वहीं, श्रावण अष्टमी मेलों का आयोजन साल में एक बार जुलाई, अगस्त में किया जाता है. जून महीने में मनाए जाने वाले गुप्त नवरात्रे ज्वालामुखी शक्तिपीठ में सबसे बड़ा उत्सव होता है, क्योंकि इन नवरात्रों की अष्टमी के अवसर पर माता ज्वालामुखी का प्रकटोत्सव प्रमुख तौर से मनाया जाता है.

कैसे हुआ श्रावण अष्टमी मेलों का आगाज

मंगलवार को ज्वालामुखी मन्दिर की सैकड़ों वर्ष पुरानी झंडा रस्म के साथ अष्टमी मेलों का आगाज हुआ. मन्दिर के पुजारी और प्रशासन ने पूरे रीति रिवाज के साथ माता के मंदिर में झंडा रस्म पूरी की.

कैसे होगी मां ज्वालाजी की पूजा

श्रावण अष्टमी मेलों में ज्वालामुखी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. सुबह 5 बजे माता की अखंड ज्योतियों का नित्य पूजन होगा. जिसके बाद माता की आरती होगी. दोपहर को आरती के बाद माता को भोग लगाया जाएगा. जबकि शाम को 6 बजे संध्या आरती होगी. वहीं, रात 9.30 बजे शयन आरती के बाद भोग लगेगा और माता को शयन कक्ष में सुलाया जाएगा.

जिले के मंदिरों को खोलने के लिए अभी तक सरकार की तरफ से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं. जाहिर है कि श्रावण अष्टमी मेलों का आयोजन नहीं होगा. किसी भी बाहरी या स्थानीय श्रद्धालुओं को मन्दिरों में आने की अनुमति नहीं है. मंदिरों के पुजारी नियमित ढंग से सरकारी दिशा निर्देशों के तहत पूजा पाठ कर सकेंगे.

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