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शिवरात्रि स्पेशल: बैजनाथ में भक्तों के दुखों को हरते हैं भोलेनाथ - शिवरात्रि स्पेशल

महाशिवरात्रि के पावन असवर पर ईटीवी भारत आपको हिमाचल के प्रसिद्ध शिवालयों की यात्रा पर ले चलेगा. जहां के दर्शन पाकर शिव भक्त खुद को धन्य महसूस करते हैं.

shivratri special
शिवरात्रि स्पेशल
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Published : Feb 17, 2020, 3:36 PM IST

कांगड़ा: फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला महापर्व शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा और सबसे पवित्र मौका होता है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ईटीवी भारत आपको हिमाचल के प्रसिद्ध शिवालयों की यात्रा पर ले चलेगा. जहां के दर्शन पाकर शिव भक्त खुद को धन्य महसूस करते हैं.

बता दें कि हिमाचल सिर्फ देव भूमि ही नहीं बल्कि भगवान शिव शंकर का ससुराल भी है. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पालमपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है. कई प्राकृतिक आपदाओं, आक्रमणों और बदलावों को देख चुका यह मंदिर आज भी अपने मूल रुप में बना हुआ है.

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बैजनाथ मंदिर

बैजनाथ मंदिर के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण ने सैकड़ों वर्षों तक तपस्या करने के बाद शिव से उनके शिवलिंग को लंका ले जाने का वरदान मांगा था. इसके बाद भगवान शिव ने भी एक शर्त, रावण के सामने रख दी थी, जिसे रावण पूरा नहीं कर सका और शिवलिंग सदा-सदा के लिए यहीं स्थापित हो गया.

वीडियो.

लोक मान्यताओं के अनुसार मंडी के किसी राजा ने इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंत नहीं मिल पाया. खुदाई के दौरान मजदूरों को जमीन के अंदर से निकली मधुमक्खियों ने बुरी तरह घायल कर दिया था.

इस घटना के बाद राजा को अपनी गलती का आभास हुआ और राजा ने शिवलिंग के ऊपर मक्खन से भोले बाबा का श्रृंगार किया. तब से इस मंदिर में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. हर साल मकर संक्रांति के पर्व पर पवित्र शिवलिंग को सात दिन तक कई क्विंटल मक्खन से ढक दिया जाता है.

साल 2005 में भी जब प्रचीन जलैहरी को बदलने की कोशिश की गई तब भी इसकी खुदाई में नीचें तक कई जलैहरियां सामने आई थी. इस दौरान कई प्राचीन सिक्के भी निकले थे. उस समय शिवलिंग के नीचे कोई सिक्का गिराने पर भी काफी समय बाद उसकी आवाज आ रही थी.

ये भी पढे़ं: ये कैसा विकास! सड़क न होने के कारण 18KM बर्फ में कुर्सी पर बैठाकर गर्भवती को पहुंचाना पड़ा अस्पताल

कांगड़ा: फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला महापर्व शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा और सबसे पवित्र मौका होता है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ईटीवी भारत आपको हिमाचल के प्रसिद्ध शिवालयों की यात्रा पर ले चलेगा. जहां के दर्शन पाकर शिव भक्त खुद को धन्य महसूस करते हैं.

बता दें कि हिमाचल सिर्फ देव भूमि ही नहीं बल्कि भगवान शिव शंकर का ससुराल भी है. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पालमपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है. कई प्राकृतिक आपदाओं, आक्रमणों और बदलावों को देख चुका यह मंदिर आज भी अपने मूल रुप में बना हुआ है.

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बैजनाथ मंदिर

बैजनाथ मंदिर के बारे में कई दंतकथाएं प्रचलित हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण ने सैकड़ों वर्षों तक तपस्या करने के बाद शिव से उनके शिवलिंग को लंका ले जाने का वरदान मांगा था. इसके बाद भगवान शिव ने भी एक शर्त, रावण के सामने रख दी थी, जिसे रावण पूरा नहीं कर सका और शिवलिंग सदा-सदा के लिए यहीं स्थापित हो गया.

वीडियो.

लोक मान्यताओं के अनुसार मंडी के किसी राजा ने इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाने की कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी शिवलिंग का अंत नहीं मिल पाया. खुदाई के दौरान मजदूरों को जमीन के अंदर से निकली मधुमक्खियों ने बुरी तरह घायल कर दिया था.

इस घटना के बाद राजा को अपनी गलती का आभास हुआ और राजा ने शिवलिंग के ऊपर मक्खन से भोले बाबा का श्रृंगार किया. तब से इस मंदिर में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई. हर साल मकर संक्रांति के पर्व पर पवित्र शिवलिंग को सात दिन तक कई क्विंटल मक्खन से ढक दिया जाता है.

साल 2005 में भी जब प्रचीन जलैहरी को बदलने की कोशिश की गई तब भी इसकी खुदाई में नीचें तक कई जलैहरियां सामने आई थी. इस दौरान कई प्राचीन सिक्के भी निकले थे. उस समय शिवलिंग के नीचे कोई सिक्का गिराने पर भी काफी समय बाद उसकी आवाज आ रही थी.

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