नूरपुर: नूरपुर के तहत पंदरेहड़ पंचायत का पंदरेहड़ प्राइमरी स्कूल ग्यारह सालों से बंद पड़ा हुआ था. यह स्कूल पंचायत प्रधान सिकंदर राणा के अथक प्रयासों से दोबारा शुरू किया गया है. यह स्कूल सुविधाओं के मामलों में निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा है. यह स्कूल आर्थिक कमी से जूझ रहे परिवारों के बच्चों के लिए ज्ञान का मंदिर बना गया है.
पंदरेहड़ पंचायत के प्रधान सिकंदर राणा ने इस स्कूल को खुलवाकर गरीब छात्रों के लिए शिक्षा के द्वार खुलवाए हैं. पंदरेहड़ प्राइमरी स्कूल 2002 में खुला था और 7 साल चलने के बाद 2009 में स्कूल बंद हो गया था. इतने वर्षों से बंद स्कूल की किसी ने भी सुध नहीं ली, लेकिन पंचायत प्रधान सिकंदर राणा ने कई वर्षों से बंद पड़े स्कूल को खुलवाकर निजी स्कूल के बराबर शिक्षा सुविधाएं स्कूल में मुहैया करवाकर स्कूल की रौनक बढ़ा दी.
स्कूल में सुविधाएं देने के लिए प्रधान ने स्थानीय विधायक राकेश पठानिया से बात की. विधायक ने स्कूल खुलवाने का आश्वासन देने के साथ-साथ सरकार की तरफ से हर सुविधा प्रदान करने का वायदा भी किया. प्रधान और विधायक के संयुक्त प्रयासों के कारण यह स्कूल एक स्मार्ट सरकारी स्कूल बन गया है. इसके बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ गई है.
लोगों के सामने मिसाल पेश करने के लिए प्रधान ने अपनी बेटी को भी इसी स्कूल में दाखिल करवाया. यही नहीं इनकी पत्नी भी इसी स्कूल में निशुल्क शिक्षा दे रही हैं.
प्रधान के इस प्रयास की प्रशंसा ना केवल गांववासी बल्कि पूरे क्षेत्र में हो रही है. स्कूल की नियमित अध्यापिका वंदना ठाकुर की माने तो जब वो स्कूल में ज्वाइन करने आई थी तो यहां बेसहारा जानवरों का जमावड़ा था, लेकिन अब ये स्कूल पूरे इलाके में मिसाल बन गया है.
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