धर्मशाला: ग्रामीण विद्या उपासक संघ की राज्य कार्यकारिणी सदस्य उमेश शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि 2001 में तैनात हुए 148 ग्रामीण विद्या उपासकों को नियमित किया जाए. उन्होंने यह भी मांग उठाई कि सभी उपासकों को आचार संहिता लगने से पूर्व नियमित किया जाए.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में तैनात ग्रामीण विद्या उपासक को सेवाएं देते हुए 15 से 20 साल का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक सरकार ने ग्रामीण विद्या उपासकों से सौतेला व्यवहार ही अपनाया है. जिस कारण अभी भी ग्रामीण विद्या उपासक नियमितीकरण की राह ताक रहे हैं.
ग्रामीण विद्या उपासक संघ (ईजीएस) की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य उमेश शर्मा ने बुधवार को धर्मशाला में प्रेसवार्ता में कहा कि ग्रामीण विद्या उपासकों (ईजीएस) की नियुक्तियां वर्ष 2001 में एसएसए के तहत हुई थी. वर्ष 2009 में प्रदेश सरकार ने 148 अनुदेशकों को जीवीयू बनाया था.
उन्होंने कहा कि फिर इस वर्ग ने नियमित होने के लिए साल का डीएलएड का कोर्स भी पीएटी शिक्षकों के साथ पूरा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए पीएटी शिक्षकों को तो नियमित कर दिया, लेकिन 148 जीवीयू जो सभी योग्तयाएं पूरी करते हैं, उन्हें नजरअंदाज कर दिया.
उमेश शर्मा ने बताया कि 5 जुलाई 2020 को सरकार ने इस वर्ग को नियमित करने का प्रपोजल मांगा था, लेकिन आज तक उनकी फाइल यूं ही घूमती जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार के लगातार आश्वासनों से यह वर्ग परेशान हो गया है. उन्होंने कहा कि योग्यताएं पूरी करने के बावजूद इस वर्ग के नियमितिकरण को बेवजह लटकाए हुए है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने अगली मंत्रिमंडल की बैठक में इस वर्ग के नियमितिकरण पर मोहर नहीं लगाई तो यह वर्ग आगामी रणनीति बनाने तथा सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होगा.