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एक बार फिर पर्यटकों के लिए खुली पौंग झील, मोटर बोट का लुत्फ उठाते दिखेंगे सैलानी

पौंग झील को एक बार फिर से खोल दिया गया है. वहीं, धीरे-धीरे अब हर चीज सामान्य होने लगी है. पहले 11 महीने से बंद पड़ी कांगड़ा घाटी पर चलने वाले ट्रेनों को फिर से चालू किया गया है और पर्यटकों के लिए महीने से अधिक समय के बाद पौंग झील को भी खोल दिया गया है.

पौंग झील
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Published : Feb 23, 2021, 7:44 PM IST

कांगड़ा: पौंग झील की प्रकृति सुंदरता के दीदार की चाह रखने वालों को अब और इंतजार नहीं करना होगा. विभाग द्वारा मंगलवार से पर्यटकों के लिए पौंग झील एक बार फिर से खोल दिया गया है. वहीं, धीरे-धीरे अब हर चीज सामान्य होने लगी है.

पहले 11 महीने से बंद पड़ी कांगड़ा घाटी पर चलने वाले ट्रेनों को फिर से चालू किया गया है और पर्यटकों के लिए महीने से अधिक समय के बाद पौंग झील को भी खोल दिया गया है. इस बात की जानकारी वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ राहुल रुहाने द्वारा दी गई.

पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए खोला गया

डीएफओ बताया कि वन्य प्राणी विभाग शिमला से पीसीसीएफ द्वारा इस पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए अब फिर से खोल दिया गया है. इसके लिए एक पत्र जारी कर दिया है. गौरतलब है कि बर्ड फ्लू के कारण पिछले 2 महीने से इस झील में पूर्ण रूप से हर गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इस बर्ड फ्लू के कारण करीब 5 हजार से अधिक प्रवासी पक्षी मर गए थे.

फिर सरकार द्वारा पौंग झील में आने जाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था और कोई भी पर्यटक पिछले 2 महीनों से इस पौंग झील में नहीं आ जा रहा था. यहां तक की मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए भी 2 महीने का प्रतिबंध लगा था. अब पर्यटक और हर व्यक्ति इस पौंग झील में मोटर बोट के जरिए घूमने का लुफ्त उठा सकता है.

पौंग बांध का इतिहास

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बांध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है. इसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है. इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है. यह बांध 1975 में बनाया गया था. महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है.

जलाशय 24,529 हेक्टेयर (60,610 एकड़) के एक क्षेत्र तक फैला हुआ है और झीलों का भाग 15,662 हेक्टेयर (38,700 एकड़) है. पौंग जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में सबसे महत्वपूर्ण मछली वाला जलाशय है. इस जलाशय में महासीर मछली अत्याधिकता में पाई जाती है.

ये भी पढ़ें: निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगी लगाम, फीस एक्ट में संशोधन की तैयारी में शिक्षा विभाग

पौंग झील तक कैसे पहुंच सकते हैं पर्यटक

प्लेन के द्वारा
कांगड़ा हवाई अड्डा, पोंग-बांध से केवल 75.9 किमी की दूरी पर स्थित है. यह हवाई अड्डा अक्सर उड़ानों के जरिए दिल्ली से जुड़ा हुआ है.

ट्रेन द्वारा

निकटतम ब्रॉडगेज रेलवे स्टेशन पठानकोट कैंट (चक्की) पोंगडम से 70 किमी की दूरी पर है. नजदीकी नैरो गेज रेलवे स्टेशन नंदपुर भटौली रेलवे स्टेशन, बिरियाल रेलवे स्टेशन है. इसके अलावा, आप एक टैक्सी किराये पर ले सकते हैं या सीधे बसें भी यहां के लिये उपलब्ध हैं.

सड़क के द्वारा

पौंग बांध नई दिल्ली से 466 किमी, चंडीगढ़ से 170 किलोमीटर, अमृतसर से 110 किलोमीटर, धर्मशाला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है. आप दिल्ली के आईएसबीटी से कांगड़ा तक एचआरटीसी वोल्वो बस ले सकते हैं और कांगड़ा से आप स्थानीय बसों द्वारा पोंग बांध पहुंच सकते हैं या आप टैक्सी स्टैंड कांगड़ा से किराए पर टैक्सी भी ले सकते हैं.
ये भी पढ़ें : पर्यटन विकास निगम ने बढ़ाया अपना बेड़ा, अपनी फ्लीट में शामिल की 2 नई यूरो-6 एसी वाॅल्वो कोच

कांगड़ा: पौंग झील की प्रकृति सुंदरता के दीदार की चाह रखने वालों को अब और इंतजार नहीं करना होगा. विभाग द्वारा मंगलवार से पर्यटकों के लिए पौंग झील एक बार फिर से खोल दिया गया है. वहीं, धीरे-धीरे अब हर चीज सामान्य होने लगी है.

पहले 11 महीने से बंद पड़ी कांगड़ा घाटी पर चलने वाले ट्रेनों को फिर से चालू किया गया है और पर्यटकों के लिए महीने से अधिक समय के बाद पौंग झील को भी खोल दिया गया है. इस बात की जानकारी वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ राहुल रुहाने द्वारा दी गई.

पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए खोला गया

डीएफओ बताया कि वन्य प्राणी विभाग शिमला से पीसीसीएफ द्वारा इस पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए अब फिर से खोल दिया गया है. इसके लिए एक पत्र जारी कर दिया है. गौरतलब है कि बर्ड फ्लू के कारण पिछले 2 महीने से इस झील में पूर्ण रूप से हर गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इस बर्ड फ्लू के कारण करीब 5 हजार से अधिक प्रवासी पक्षी मर गए थे.

फिर सरकार द्वारा पौंग झील में आने जाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था और कोई भी पर्यटक पिछले 2 महीनों से इस पौंग झील में नहीं आ जा रहा था. यहां तक की मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए भी 2 महीने का प्रतिबंध लगा था. अब पर्यटक और हर व्यक्ति इस पौंग झील में मोटर बोट के जरिए घूमने का लुफ्त उठा सकता है.

पौंग बांध का इतिहास

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बांध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है. इसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है. इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है. यह बांध 1975 में बनाया गया था. महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है.

जलाशय 24,529 हेक्टेयर (60,610 एकड़) के एक क्षेत्र तक फैला हुआ है और झीलों का भाग 15,662 हेक्टेयर (38,700 एकड़) है. पौंग जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में सबसे महत्वपूर्ण मछली वाला जलाशय है. इस जलाशय में महासीर मछली अत्याधिकता में पाई जाती है.

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पौंग झील तक कैसे पहुंच सकते हैं पर्यटक

प्लेन के द्वारा
कांगड़ा हवाई अड्डा, पोंग-बांध से केवल 75.9 किमी की दूरी पर स्थित है. यह हवाई अड्डा अक्सर उड़ानों के जरिए दिल्ली से जुड़ा हुआ है.

ट्रेन द्वारा

निकटतम ब्रॉडगेज रेलवे स्टेशन पठानकोट कैंट (चक्की) पोंगडम से 70 किमी की दूरी पर है. नजदीकी नैरो गेज रेलवे स्टेशन नंदपुर भटौली रेलवे स्टेशन, बिरियाल रेलवे स्टेशन है. इसके अलावा, आप एक टैक्सी किराये पर ले सकते हैं या सीधे बसें भी यहां के लिये उपलब्ध हैं.

सड़क के द्वारा

पौंग बांध नई दिल्ली से 466 किमी, चंडीगढ़ से 170 किलोमीटर, अमृतसर से 110 किलोमीटर, धर्मशाला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है. आप दिल्ली के आईएसबीटी से कांगड़ा तक एचआरटीसी वोल्वो बस ले सकते हैं और कांगड़ा से आप स्थानीय बसों द्वारा पोंग बांध पहुंच सकते हैं या आप टैक्सी स्टैंड कांगड़ा से किराए पर टैक्सी भी ले सकते हैं.
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