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देहरा विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला, निर्दलीय होशियार सिंह बिगाड़ेंगे बीजेपी-कांग्रेस का खेल! - himachal assembly elections 2022

देहरा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां बीजेपी के टिकट कटने के बाद होशियार सिंह ने निर्दलीय ताल ठोंकी है. ऐसे में होशियार सिंह बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए खासा मुसीबत बने हुए हैं.

Dehra Assembly Constituency
देहरा विधानसभा सीट
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Published : Nov 18, 2022, 3:32 PM IST

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश की एक मात्र देहरा विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जहां पर अक्सर यह कहा जाता रहा है कि 'देहरा कोई नहीं तेरा'. इस विधानसभा सीट से चाहे किसी भी पार्टी के उम्मीदवार ने चुनाव क्यों न जीत हो, लेकिन इस विधानसभा सीट पर विकास के कार्यों को गति नहीं मिल सकी. यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग देखी जा रही है. आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे होशियार सिंह भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी का सबब जरूर बने हुए हैं.

वहीं, बात अगर वर्ष 2017 के हुए विधानसभा चुनावों की करें तो इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार होशियार सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार रविंद्र सिंह रवि को 3914 वोटों के अंतर से हराया था. वहीं, रविंद्र सिंह रवि ने साल 2012 के विधानसभा चुनावों में इस सीट से 15,293 वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन 2017 के चुनावो में रविंद्र सिंह रवि को हर का मुंह देखना पड़ा था.

निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते होशियार सिंह के कुछ समय बाद भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में भाजपा हाई कमान ने होशियार सिंह को दरकिनार करते हुए देहरा सीट से रमेश ध्वाला को टिकट दे दिया. इस बात से नाराज होशियार सिंह ने आजाद प्रत्याक्षी के तौर पर चुनाव लड़ा है. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ राजेश शर्मा ने भी इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

वहीं, भाजपा प्रत्याशी रमेश ध्वाला भाजपा के वरिष्ठ नेता होने के चलते एक बार ज्वालामुखी से विधायक भी रह चुके है. भाजपा हाईकमान ने रमेश ध्वाला को ज्वालामुखी से टिकट न देकर देहरा विधानसभा से लड़ने के निर्देश जारी किए. ऐसे में रमेश ध्वाला ने अपने दलबल के साथ देहरा पहुंचकर चुनाव प्रसार किया. इसी विधानसभा से बागी होशियार सिंह ने साल 2017 के चुनावों में रविंद्र सिंह रवि को हरा कर अपनी जीत सुनिश्चित की थी लेकिन इस बार पार्टी से टिकट ना मिलने के कारण उन्हें आजाद प्रत्याशी के तौर पर ही चुनाव लड़ना पड़ा.

पढ़ें- Nalagarh Assembly Seat: नालागढ़ से BJP से लखविंदर सिंह राणा और कांग्रेस से हरदीप बावा में मुकाबला, दलबदल का दिखेगा असर

देहरा विधानसभा में मतदान: देहरा विधानसभा में साल 2017 के हुए चुनावों में यहां की जनता ने कुल 70.19 प्रतिशत मतदान किया था लेकिन इस मर्तबा यहां की जनता ने 70.94 प्रतिशत मतदान किया है. इसमें 27,628 पुरुष व 31,551 महिलाओं ने अपने मत अधिकार का प्रयोग किया है.

यहां के मुख्य मुद्दे: देहरा विधानसभा में चाहे किसी भी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की हो लेकिन देहरा में विकास कार्यो में गति नहीं दिला सके. इस बात का मलाल यहां की जनता में हमेशा रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान सभी उम्मीदवारों द्वारा बड़े-बड़े वादों का गुलदस्ता देते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद वादों का गुलदस्ता देने वाले खुद गुल हो जाते हैं. इस मर्तबा चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस और भाजपा का कोई भी बड़ा चेहरा इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचा. सभी उम्मीदवारों को अपना चुनाव प्रचार खुद ही करना पड़ा.

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश की एक मात्र देहरा विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जहां पर अक्सर यह कहा जाता रहा है कि 'देहरा कोई नहीं तेरा'. इस विधानसभा सीट से चाहे किसी भी पार्टी के उम्मीदवार ने चुनाव क्यों न जीत हो, लेकिन इस विधानसभा सीट पर विकास के कार्यों को गति नहीं मिल सकी. यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग देखी जा रही है. आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे होशियार सिंह भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी का सबब जरूर बने हुए हैं.

वहीं, बात अगर वर्ष 2017 के हुए विधानसभा चुनावों की करें तो इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार होशियार सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार रविंद्र सिंह रवि को 3914 वोटों के अंतर से हराया था. वहीं, रविंद्र सिंह रवि ने साल 2012 के विधानसभा चुनावों में इस सीट से 15,293 वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन 2017 के चुनावो में रविंद्र सिंह रवि को हर का मुंह देखना पड़ा था.

निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते होशियार सिंह के कुछ समय बाद भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में भाजपा हाई कमान ने होशियार सिंह को दरकिनार करते हुए देहरा सीट से रमेश ध्वाला को टिकट दे दिया. इस बात से नाराज होशियार सिंह ने आजाद प्रत्याक्षी के तौर पर चुनाव लड़ा है. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ राजेश शर्मा ने भी इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

वहीं, भाजपा प्रत्याशी रमेश ध्वाला भाजपा के वरिष्ठ नेता होने के चलते एक बार ज्वालामुखी से विधायक भी रह चुके है. भाजपा हाईकमान ने रमेश ध्वाला को ज्वालामुखी से टिकट न देकर देहरा विधानसभा से लड़ने के निर्देश जारी किए. ऐसे में रमेश ध्वाला ने अपने दलबल के साथ देहरा पहुंचकर चुनाव प्रसार किया. इसी विधानसभा से बागी होशियार सिंह ने साल 2017 के चुनावों में रविंद्र सिंह रवि को हरा कर अपनी जीत सुनिश्चित की थी लेकिन इस बार पार्टी से टिकट ना मिलने के कारण उन्हें आजाद प्रत्याशी के तौर पर ही चुनाव लड़ना पड़ा.

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देहरा विधानसभा में मतदान: देहरा विधानसभा में साल 2017 के हुए चुनावों में यहां की जनता ने कुल 70.19 प्रतिशत मतदान किया था लेकिन इस मर्तबा यहां की जनता ने 70.94 प्रतिशत मतदान किया है. इसमें 27,628 पुरुष व 31,551 महिलाओं ने अपने मत अधिकार का प्रयोग किया है.

यहां के मुख्य मुद्दे: देहरा विधानसभा में चाहे किसी भी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की हो लेकिन देहरा में विकास कार्यो में गति नहीं दिला सके. इस बात का मलाल यहां की जनता में हमेशा रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान सभी उम्मीदवारों द्वारा बड़े-बड़े वादों का गुलदस्ता देते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद वादों का गुलदस्ता देने वाले खुद गुल हो जाते हैं. इस मर्तबा चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस और भाजपा का कोई भी बड़ा चेहरा इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचा. सभी उम्मीदवारों को अपना चुनाव प्रचार खुद ही करना पड़ा.

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