कांगड़ा/ज्वाली: जिला के उपमंडल ज्वाली के अधीन ग्राम पंचायत हरसर इन दिनों सुर्खियों में है. ग्राम पंचायत की ओर से किए गए मनरेगा कार्य भी संदेह के घेरे में हैं. इलाके में कई निर्माणकार्यों को दर्शाने के लिए लगाए गए बोर्डों पर निर्माणकार्य का वर्ष नहीं लिखा गया है, तो कइयों में निर्माणकार्य कहां से कहां तक किया गया है, यह नहीं दर्शाया गया है.
ऐसा ही एक मामला रेलवे लाइन हरसर से गार्डखाना को जोड़ने वाले और रेलवे लाइन से मेन रोड को जोड़ने वाले रास्तों के दर्शाए गए बोर्डों को देखने से सामने आया है. लोगों के घरों को जोड़ने वाले नाले के एक तरफ बोर्ड पर दर्शाया गया है कि 'रास्ता रेलवे लाइन से मेन रोड़ तक' जिसके लिए दो लाख की राशि स्वीकृत हुई जबकि खर्च 1,95,880 रुपए हुए.
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जबकि दूसरी तरफ लगाए गए बोर्ड पर 'निर्माण रास्ता गार्डखाना से लेकर' लिखा गया है, लेकिन यह रास्ता कहां तक बना है यह नहीं बताया गया है. इसके लिए भी एक लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई और 96,144 रुपए ही खर्च हुए. यह रास्ता एक साल में ही उखड़ना शुरू हो गया है, जिस पर मात्र बजरी ही बजरी बिखरी दिख रही है.
दोनों ही रास्तों की लंबाई नहीं दर्शाई गई है. देखने वाली बात है कि गार्डखाना वाला रास्ता तो गार्डखाना तक ही बन पाया है, दूसरा रास्ता जो लोगों के घरों से होकर मेन रोड तक जाता है, उसे बने हुए करीबन आठ साल से अधिक का समय हो गया है, उसके बाद कभी इस रास्ते की मरम्मत तक नहीं की गई. तो फिर बोर्ड की सूचना अनुसार स्वीकृत दो लाख रुपए कहां खर्च हुए.
इससे यह प्रत्यक्ष साबित होता है कि इस कार्य में कुछ न कुछ तो गड़बड़ है और निर्माण कार्य सन्देह के घेरे में है. इलाके के लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, बीडीओ नगरोटा सूरियां ओशिन शर्मा से मांग की है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाए ताकि सच सबके सामने आ सके. इस बारे में बीडीओ नगरोटा सूरियां ओशिन शर्मा ने कहा कि मीडिया से मुझे जानकारी मिली है और इसकी जांच करवाई जाएगी.
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