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आईसीडीएस पोषण अभियान के तहत खाद्य-पूरक पोषण मैत्री कार्यक्रम का शुभारंभ - वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद्

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के 79वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में आईसीडीएस पोषण अभियान के तहत खाद्य-पूरक पोषण मैत्री कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया. स्मरण हो कि 26 सितंबर 1942 को स्थापित सबसे बड़ी परिषद को विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है.

सीएसआईआर का 79वां स्थापना दिोवस
सीएसआईआर का 79वां स्थापना दिोवस
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Published : Sep 27, 2020, 8:10 AM IST

पालमपुर: मसाला फसलों की खेती कार्यक्रम’ के तहत लाहौल व स्पीति में हींग. चंबा, कुल्लू और मंडी में केसर की रोपण सामग्री के वितरण का शुभारंभ शनिवार को सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में हुआ.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के 79वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में आईसीडीएस पोषण अभियान के तहत खाद्य-पूरक पोषण मैत्री कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया. स्मरण हो कि 26 सितंबर 1942 को स्थापित सबसे बड़ी परिषद को विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है.

संपूर्ण भारत में सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं हैं. वर्तमान में परिषद में लगभग 12,500 वैज्ञानिक तकनीकी और प्रशासनिक कर्मी कार्यरत हैं, जो राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं. गौर रहे कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ग्यालशिंग में जैविक कचरे के उचित निष्पादन में एक एरोबिक डिजास्टर स्थापित करने जा रहा है.

इससे तैयार खाद और बायो गैस को समाजिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा. इस संबंध में आज एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए. अपने संबोधन में मंत्री महोदय ने स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी की ओर से विकसित प्रौद्योगिकियों के लिए सहयोग की उपेक्षा करते हुए कारगर बताया.

सीएसआईआर के महानिदेशक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग भारत सरकार के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सीएसआईआर के सभी संस्थानों का योगदान सराहनीय रहा है. सीएसआईआर आईएचबीटी के शोध एवं विकास गतिविधियों की प्रासंगिकता केवल हिमाचल या हिमालयी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, अपितु पूरे देश के लिए है.

संस्थान निदेशक डॉ. संजय कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़े अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की प्रमुख गतिविधियों एवं उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया. उन्होंने संस्थान की परिकल्पना जैव आर्थिकी के उन्नयन के लिए प्रौद्योगिकीय उद्भवता एवं विकास में हिमालयी जैव संपदा के संपोषणीय उपयोग से विश्व स्तर पर अग्रणी होने के संकल्प को दोहराया.

पालमपुर: मसाला फसलों की खेती कार्यक्रम’ के तहत लाहौल व स्पीति में हींग. चंबा, कुल्लू और मंडी में केसर की रोपण सामग्री के वितरण का शुभारंभ शनिवार को सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में हुआ.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) के 79वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में आईसीडीएस पोषण अभियान के तहत खाद्य-पूरक पोषण मैत्री कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया. स्मरण हो कि 26 सितंबर 1942 को स्थापित सबसे बड़ी परिषद को विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है.

संपूर्ण भारत में सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं हैं. वर्तमान में परिषद में लगभग 12,500 वैज्ञानिक तकनीकी और प्रशासनिक कर्मी कार्यरत हैं, जो राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं. गौर रहे कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ग्यालशिंग में जैविक कचरे के उचित निष्पादन में एक एरोबिक डिजास्टर स्थापित करने जा रहा है.

इससे तैयार खाद और बायो गैस को समाजिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा. इस संबंध में आज एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए. अपने संबोधन में मंत्री महोदय ने स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी की ओर से विकसित प्रौद्योगिकियों के लिए सहयोग की उपेक्षा करते हुए कारगर बताया.

सीएसआईआर के महानिदेशक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग भारत सरकार के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान सीएसआईआर के सभी संस्थानों का योगदान सराहनीय रहा है. सीएसआईआर आईएचबीटी के शोध एवं विकास गतिविधियों की प्रासंगिकता केवल हिमाचल या हिमालयी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, अपितु पूरे देश के लिए है.

संस्थान निदेशक डॉ. संजय कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़े अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की प्रमुख गतिविधियों एवं उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया. उन्होंने संस्थान की परिकल्पना जैव आर्थिकी के उन्नयन के लिए प्रौद्योगिकीय उद्भवता एवं विकास में हिमालयी जैव संपदा के संपोषणीय उपयोग से विश्व स्तर पर अग्रणी होने के संकल्प को दोहराया.

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