ज्वालामुखी: आखिरकार श्रद्धालुओं का इंतजार खत्म हुआ और 178 दिन बाद मां ज्वालामुखी के कपाट विधिवत पूजा अर्चना के बाद 9 बजे श्रद्धालुओं को दर्शनों के लिए खोल दिए गए. हालांकि लम्बे अरसे बाद दरबार दर्शनों के लिए खुला है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते मंदरों में रौनक नहीं बढ़ी है. इक्का-दुक्का स्थानीय श्रद्धालु ही माँ की पवित्र ज्योतियों के दर्शनों को पहुंचे.
मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए खुलने के बाद पहले दिन वीरवार को सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ही दर्शनों की सुविधा की गई थी, जिसमें मात्र 350 श्रद्धालुओं ने ही मां ज्वाला की पवित्र ज्योतियों के दर्शन किए. मन्दिर प्रसाशन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पहले से ही पुख्ता इंतजाम किए हुए थे. मन्दिर जाने वाले हर श्रद्धालु की थर्मल स्कैनिंग के बाद पंजीकरण किया गया और टोकन देकर दर्शनों के लिए भेजा गया.
करीब 5 महीने बाद मंदिर के खुलने से भोग-प्रसाद बेचकर आय अर्जित करने की दुकानदारों की मंशा धरी की धरी रह गई. हालांकि मन्दिर मार्ग पर 100 से भी ज्यादा भोग प्रसाद की दुकानें हैं लेकिन 15 से 20 दुकानदारों ने ही दुकानें खोली थी. मन्दिर में प्रसाद, नारियल इत्यादि ले जाने की पूर्ण पाबंदी के कारण दुकानदारों को खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा. किसी भी श्रद्धालु ने माता की चुनरी या प्रसाद इत्यादि नहीं खरीदा.
पहले दिन पंजाब के 8 और हरियाणा के 7 श्रद्धालुओं ने मां ज्वाला के दर्शन किए, जबकि कांगड़ा सहित हमीरपुर, बिलासपुर व ऊना के 325 श्रद्धालुओं ने माता के दर पर हाजिरी लगाई. बाहरी राज्यों से बिना कोविड रिपोर्ट लिए आए एक परिवार को बिना दर्शनों के ही पंजीकरण काउंटर से वापस लौटना पड़ा.
मन्दिर अधिकारी ज्वालामुखी जगदीश शर्मा ने कहा कि पहले दिन आने वाले श्रद्धालुओं ने व्यवस्था को बनाये रखने में पूर्ण सहयोग दिया है. बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं से आग्रह रहेगा की बिना कोविड रिपोर्ट लिए मां के दर्शनों को न आएं.