कांगड़ाः हिंदू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं. नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं. तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं.
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आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है. विश्वविख्यात ज्वालामुखी मंदिर में बुधवार को गुप्त नवरात्रे शुरू होने के उपलक्ष्य पर पुजारी लगातार 9 दिन तक विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए जप व पूजा करेंगे. ये गुप्त नवरात्रे 10 जुलाई तक चलेंगे.
वुधबार को विश्वविख्यात ज्वालामुखी मंदिर में गुप्त नवरात्रों का शुभारंभ विशेषतौर पर एसडीएम ज्वालामुखी राकेश शर्मा ने विधिवत पूजन, सकंल्प व कन्या पूजन से किया. इसके साथ ही नवरात्रों के दौरान अनुष्ठान पर बैठने वाले लगभग 70 ब्राह्मणों और पुजारियों को संकल्प दिलाया गया.
एसडीएम राकेश शर्मा व पुजारी आचार्य मधुसूदन ने बताया कि गुप्त नवरात्रों के दौरान विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए मां ज्वाला के मूल मंत्र, बटुक भैरव, गणपति, गायत्री व अन्य जप व पाठ किए जाएंगे. न्यास की ओर से प्राचीन परंपराओं को बरकरार रखा जाएगा. अनुष्ठान के नौवें दिन हवन पूजा व भंडारे का आयोजन किया जाएगा. इस दिन देश-विदेश से मां के भक्त हवन में आस्था व श्रद्धा की आहुतिया डालकर पुण्य फल प्राप्त करेंगे.
- गुप्त नवरात्र 2019 की अवधि
पुजारी व आचार्य मधुसूदन शर्मा ने बताया कि 3 जुलाई से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है. एक हिन्दी वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है. दो नवरात्रि सामान्य होती हैं और दो गुप्त होती हैं. चैत्र और आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि से ज्यादा महत्व गुप्त नवरात्रि का माना जाता है.
माघ मास और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि आती है. इन दिनों में गुप्त रूप से देवी की साधना की जाती है. ये गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई तक रहेगी.
- गुप्त नवरात्र पूजा विधि
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए. नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए. घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए. अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए.
- गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
गुप्त नवरात्र के दौरान महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और माता कमला देवी की पूजा की जाती हैं.