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JNNURM बसों पर बोले जीएस बाली, सरकार जल्द स्टाफ की कमी को पूरा करे और इन बसों को चलाये - जयराम सरकार

पूर्व परिवहन मंत्री ने सोशल मीडिया पर JNNURM के तहत प्रदेश में आई बसों के सवालों पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि पांच सालों में 1800 नई बसें बेडे़ में जोड़ी गईं, जयराम सरकार उनमें स्टाफ की कमी को पूरा करे और इन बसों को चलाया जाए.

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Published : Jun 25, 2019, 4:09 PM IST

धर्मशाला: बीते 20 जून को कुल्लू बंजार में एक निजी बस गहरी खाई में जा गिरी जिसमें 45 लोगों की मौत हो चुकी है और 34 के करीब लोगों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. ओवरलोडिंग के वजह से हुए इस बस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए अब पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने एक फेसबुक पोस्ट की है.

जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट
जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट

पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने कहा कि इस घटनाक्रम पर प्रदेश सरकार ने ओवरलोडिंग को लेकर सख्त कदम उठाने की बात तो जरूर कही, लेकिन ओवरलोडिंग क्यों हो रही है, सरकार को इसके बारे में सोचना पड़ेगा. अगर समस्या के गहराई तक जाएंगे तभी उसका हल हो सकता है.

जीएस बाली ने कहा कि कुल्लू जिला के बंजार में हुई सड़क दुर्घटना के बाद जहां सरकार और प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं, वहीं प्रदेश की पिछली सरकार के दौरान ली गई जे.एन.एन.यू.आर.एम बसों पर भी लोग सवाल कर रहे हैं.

अपनी फेसबुक पोस्ट पर जीएस बाली ने लिखा कि जब यूपीए की सरकार थी तो जे.एन.एन.यू.आर.एम मिशन के तहत देश की शहरी आबादी के लिए परिवहन सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से बसें राज्यों को दी गई. आबादी के हिसाब से शिमला ही ऐसा शहर था जो कि शर्त पूरा कर रहा था. इस हिसाब से प्रदेश को बहुत कम बसें मिलनी थीं जो शिमला शहर के नाम पर मिलती.

जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट
जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट

बाली ने लिखा है कि हिमाचल गावों में बसता है और बसों में यात्रा करने वाले ज्यादा लोग ग्रामीण होते हैं. प्रदेश की आय समिति है और केंद्र से इस तरह का मदद का मौका कोई नही छोड़ सकता था. हमने तीन चार छोटे बड़े शहरों का क्लस्टर बनाया और उनकी आबादी की बेस पर केंद्र के सामने बसों की मांग रखी. इस तरह परिवहन विभाग ने 800 बसें प्राप्त कीं जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुद्रिका बसों के रूप में परिवहन को सदृढ़ किया गया.

JNNURM bus
JNNURM बस

वहीं, बाली ने लोगों से पूछा है कि 2012 और 2017 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी बसें चलीं, ये देख के बताएं. प्रदेश का कोई कोना नहीं छोड़ा जहां परिवहन विभाग की बस नहीं चली हों. बाली ने लिखा है कि पांच सालों में 1800 नई बसें बेडे़ में जोड़ी गई हैं और राज्य में बसों की संख्या 3150 तक पहुंच गई. 3000 कंडकटरों की भर्ती नए रूटों पर बसें चलाने के लिए की गई, इस पर विरोधी मामला कोर्ट में ले गए. कोर्ट ने भर्ती को क्लीन चिट दी, लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक साल का समय लग गया. इस देरी का खामियाजा ये हुआ कि बिना रूटों के कारण बसें खड़ी हो गई.

जीएस बाली ने कहा कि जयराम सरकार को इन बसों को चलाना चाहिए और स्टाफ की कमी को भी जल्द पूरा करना चाहिए, ताकि ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म किया जा रहा है.

ये भी पढे़ं - बंजार हादसे को लेकर गठित कमेटी की जांच तेज, मंडी RTO से रिपोर्ट तलब

ये भी पढे़ं - बंजार बस हादसा: अनाथ हुए 2 बच्चों को गोद लेगी प्रदेश सरकार, मृतकों के परिवारों को मिलेगी 4 लाख राहत राशि

धर्मशाला: बीते 20 जून को कुल्लू बंजार में एक निजी बस गहरी खाई में जा गिरी जिसमें 45 लोगों की मौत हो चुकी है और 34 के करीब लोगों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. ओवरलोडिंग के वजह से हुए इस बस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए अब पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने एक फेसबुक पोस्ट की है.

जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट
जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट

पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने कहा कि इस घटनाक्रम पर प्रदेश सरकार ने ओवरलोडिंग को लेकर सख्त कदम उठाने की बात तो जरूर कही, लेकिन ओवरलोडिंग क्यों हो रही है, सरकार को इसके बारे में सोचना पड़ेगा. अगर समस्या के गहराई तक जाएंगे तभी उसका हल हो सकता है.

जीएस बाली ने कहा कि कुल्लू जिला के बंजार में हुई सड़क दुर्घटना के बाद जहां सरकार और प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं, वहीं प्रदेश की पिछली सरकार के दौरान ली गई जे.एन.एन.यू.आर.एम बसों पर भी लोग सवाल कर रहे हैं.

अपनी फेसबुक पोस्ट पर जीएस बाली ने लिखा कि जब यूपीए की सरकार थी तो जे.एन.एन.यू.आर.एम मिशन के तहत देश की शहरी आबादी के लिए परिवहन सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से बसें राज्यों को दी गई. आबादी के हिसाब से शिमला ही ऐसा शहर था जो कि शर्त पूरा कर रहा था. इस हिसाब से प्रदेश को बहुत कम बसें मिलनी थीं जो शिमला शहर के नाम पर मिलती.

जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट
जीएस बाली की फेसबुक पोस्ट

बाली ने लिखा है कि हिमाचल गावों में बसता है और बसों में यात्रा करने वाले ज्यादा लोग ग्रामीण होते हैं. प्रदेश की आय समिति है और केंद्र से इस तरह का मदद का मौका कोई नही छोड़ सकता था. हमने तीन चार छोटे बड़े शहरों का क्लस्टर बनाया और उनकी आबादी की बेस पर केंद्र के सामने बसों की मांग रखी. इस तरह परिवहन विभाग ने 800 बसें प्राप्त कीं जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुद्रिका बसों के रूप में परिवहन को सदृढ़ किया गया.

JNNURM bus
JNNURM बस

वहीं, बाली ने लोगों से पूछा है कि 2012 और 2017 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी बसें चलीं, ये देख के बताएं. प्रदेश का कोई कोना नहीं छोड़ा जहां परिवहन विभाग की बस नहीं चली हों. बाली ने लिखा है कि पांच सालों में 1800 नई बसें बेडे़ में जोड़ी गई हैं और राज्य में बसों की संख्या 3150 तक पहुंच गई. 3000 कंडकटरों की भर्ती नए रूटों पर बसें चलाने के लिए की गई, इस पर विरोधी मामला कोर्ट में ले गए. कोर्ट ने भर्ती को क्लीन चिट दी, लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक साल का समय लग गया. इस देरी का खामियाजा ये हुआ कि बिना रूटों के कारण बसें खड़ी हो गई.

जीएस बाली ने कहा कि जयराम सरकार को इन बसों को चलाना चाहिए और स्टाफ की कमी को भी जल्द पूरा करना चाहिए, ताकि ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म किया जा रहा है.

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Intro:धर्मशाला- कुल्लू जिला के बंजार में हुई सड़क दुर्घटना के बाद जहाँ सरकार और प्रशासन पर केई सवाल उठ रहे है तो वही प्रदेश पिछली सरकार के दौरान ली गई JNNURM बसों पर भी लोगो दोबारा सवाल किए जा रहे है। वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जीएस बाली ने अपने फेसबुक पेज पर कहा है कि  जब यूपीए की सरकार थी तो JNNURM मिशन के तहत देश की शहरी आबादी के लिए परिवहन सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से बसें राज्यों को दी गई।  आबादी के हिसाब शिमला ही ऐसा शहर था जो कि शर्त पूरा कर रहा था कि उन्होंने लिखा है कि इस हिसाब से प्रदेश को बहुत कम बसे मिलनी थी। 




Body:बाली ने लिखा है कि हिमाचल गावो में बसता है और बसों में यात्रा करने वाले ज्यादा लोग ग्रामीण होते है। प्रदेश की आय समिति है और केंद्र से इस तरह का मदद का मौका कोई नही छोड़ सकता था। बाली ने लिखा है कि हमने तीन चार छोटे बड़े शहरों का क्लस्टर बनाया और उनकी आबादी कि बेस पर केंद्र के सामने बसों की मांग रखी। इस तरह परिवहन विभाग ने 800 बसें प्राप्त कीं जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुद्रिका बसों रूप में परिवहन को सदृढ़ किया गया ।बाली ने लोगो से पूछा है कि 2012 ओर 2017 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो में कितनी बसे चली यह देख के बताए। बाली ने लिखा है प्रदेश का कोई कौना नही छोड़ा जहाँ परिवहन विभाग की बस नही चली हो । 



Conclusion:बाली ने लिखा है कि पांच सालों में 1800 नई बसें बेडे़ में जोडी गई हैं और राज्य में बसों की संख्या 3150 तक पहुंच गई 3000 कंडकटरों की भर्ती नए रूटों पर बसे चलाने के लिए की गई पर विरोधी मामला कोर्ट में ले गए।  कोर्ट ने भर्ती को क्लीन चिट दी परन्तु इस पुरे प्रकरण में एक साल का समय लग गया।  इस देरी का खामियाज़ा यह हुआ की बिना रूटों के कारण बसें खड़ी हो गई।  सरकार को चाहिए स्टाफ की कमी को जल्द पूरा करे और इन बसों को चलाया जाएँ।  दिल्ली जाने के लिए कोई ऐसा शहर नहीं छोड़ा जहाँ से वॉल्वो आदि की सुविधा न हो।  इलेक्ट्रिक बसों को चलाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना।  रोह्तनाग तक इलेक्ट्रिक बसें पहुंचाई गई।

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