धर्मशाला: बीते 20 जून को कुल्लू बंजार में एक निजी बस गहरी खाई में जा गिरी जिसमें 45 लोगों की मौत हो चुकी है और 34 के करीब लोगों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. ओवरलोडिंग के वजह से हुए इस बस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए अब पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने एक फेसबुक पोस्ट की है.
पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली ने कहा कि इस घटनाक्रम पर प्रदेश सरकार ने ओवरलोडिंग को लेकर सख्त कदम उठाने की बात तो जरूर कही, लेकिन ओवरलोडिंग क्यों हो रही है, सरकार को इसके बारे में सोचना पड़ेगा. अगर समस्या के गहराई तक जाएंगे तभी उसका हल हो सकता है.
जीएस बाली ने कहा कि कुल्लू जिला के बंजार में हुई सड़क दुर्घटना के बाद जहां सरकार और प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं, वहीं प्रदेश की पिछली सरकार के दौरान ली गई जे.एन.एन.यू.आर.एम बसों पर भी लोग सवाल कर रहे हैं.
अपनी फेसबुक पोस्ट पर जीएस बाली ने लिखा कि जब यूपीए की सरकार थी तो जे.एन.एन.यू.आर.एम मिशन के तहत देश की शहरी आबादी के लिए परिवहन सुविधा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से बसें राज्यों को दी गई. आबादी के हिसाब से शिमला ही ऐसा शहर था जो कि शर्त पूरा कर रहा था. इस हिसाब से प्रदेश को बहुत कम बसें मिलनी थीं जो शिमला शहर के नाम पर मिलती.
बाली ने लिखा है कि हिमाचल गावों में बसता है और बसों में यात्रा करने वाले ज्यादा लोग ग्रामीण होते हैं. प्रदेश की आय समिति है और केंद्र से इस तरह का मदद का मौका कोई नही छोड़ सकता था. हमने तीन चार छोटे बड़े शहरों का क्लस्टर बनाया और उनकी आबादी की बेस पर केंद्र के सामने बसों की मांग रखी. इस तरह परिवहन विभाग ने 800 बसें प्राप्त कीं जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुद्रिका बसों के रूप में परिवहन को सदृढ़ किया गया.
वहीं, बाली ने लोगों से पूछा है कि 2012 और 2017 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी बसें चलीं, ये देख के बताएं. प्रदेश का कोई कोना नहीं छोड़ा जहां परिवहन विभाग की बस नहीं चली हों. बाली ने लिखा है कि पांच सालों में 1800 नई बसें बेडे़ में जोड़ी गई हैं और राज्य में बसों की संख्या 3150 तक पहुंच गई. 3000 कंडकटरों की भर्ती नए रूटों पर बसें चलाने के लिए की गई, इस पर विरोधी मामला कोर्ट में ले गए. कोर्ट ने भर्ती को क्लीन चिट दी, लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक साल का समय लग गया. इस देरी का खामियाजा ये हुआ कि बिना रूटों के कारण बसें खड़ी हो गई.
जीएस बाली ने कहा कि जयराम सरकार को इन बसों को चलाना चाहिए और स्टाफ की कमी को भी जल्द पूरा करना चाहिए, ताकि ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म किया जा रहा है.
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