नूरपुर: लोअर हिमाचल में आम और लीची को बड़ी मात्रा में पैदावार होती है. कई बागवान गर्मियों के सीजन में लीची, आम बेच कर अपनी रोजी रोटी चलाते हैं. यहां से बाहरी राज्यों में आम और लीची समेत दूसरों फलों की सप्लाई होती है.
पूर्व विधायक अजय महाजन ने कहा कि समय रहते सरकार को लीची और आम को बाहरी राज्यों में भेजने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. नहीं तो इसका नुकसान बागवानों को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने बताया हिमाचल की लोअर बेल्ट कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर में आम और लीची बागवानों की आर्थिकी का मुख्या साधन है. लोअर हिमाचल इन फलों के उत्पादन का एक प्रमुख हब भी है. इस बार समय रहते इन फलों के निर्यात के लिए रणनीति नही बनाई गई, तो बागवानों को बहुत नुकसान उठाना पडे़गा.
महाजन ने कहा कि यह फल प्रदेश के साथ-साथ बाहरी राज्यों में भी जाते हैं. बागवान या तो स्वयं इन्हें बाहरी राज्यों में ले जाकर बेचते थे या फिर बाहरी राज्यों के व्यापारी यहां आकर बगीचे खरीदते है, लेकिन इस बार कोविड-19 के प्रकोप के चलते न तो स्थानीय व्यापारी बगीचों को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और ना ही इस बार बाहरी राज्यों के व्यापारी यहां आ रहे हैं. ऐसे में चिंता इस बात को लेकर है कि लोअर बेल्ट में इस बार निर्यात कैसे होगा.
महाजन ने कहा कि या तो सरकार स्वयं खरीद केंद्र स्थापित कर फलों को बाहरी राज्यों में निर्यात करने का जिम्मा उठाए या फिर अति शीघ्र बाहरी राज्यों के व्यापारियों के लिए उचित एडवाइजरी जारी करे, ताकि असमंजस की स्थिति को समय रहते नियंत्रण में किया जाए.
महाजन ने कहा कि कोरोना महामारी से हर वर्ग भारी मुसीबत झेल रहा है. बागवान भी इससे अछूते नही हैं. महाजन ने कहा कि विगत दिनों नुरपूर क्षेत्र की कुछ पंचायतों में हुई भारी ओलावृष्टि से आम, लीची, आड़ू, प्लम आदि फलों को भारी नुकसान हुआ. बागवानों को 90 फीसदी नुकसान उठाना पड़ा. नुकसान के आकलन की रिपोर्ट भी सरकार को पहुंच चुकी है, लेकिन बागवानों के अभी भी हाथ खाली हैं.
ये भी पढ़ें:EXCLUSIVE: पद्मश्री डॉ. ओमेश भारती से खास बातचीत, कोरोना संकट में इम्यूनिटी बढ़ाने के दिए टिप्स