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51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि हैं मां ज्वाला, जन्मदिवस पर लगेगा 100 किलो हलवे का भोग - goddess Jwala's birthday

9 जुलाई रात को विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जाएगा. मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं. श्रद्धालुओं को मां के दर्शनों के लिए परिक्रमा मार्ग से भेजा जाएगा.  10 जुलाई को मंदिर की ओर से विशाल भंडारे का भी आयोजिन किया जाएगा.

ज्वालामुखी मंदिर
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Published : Jul 7, 2019, 5:40 PM IST

Updated : Jul 8, 2019, 2:56 PM IST

कांगड़ा/ज्वालामुखी: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जा रहा है. ये उत्सव 9 जुलाई रात को मनाया जाएगा. जिसके बाद 10 जुलाई को मंदिर की ओर से विशाल भंडारे का भी आयोजिन किया जाएगा.

goddess Jwala's birthday will celebrated on 9th July
ज्वालामुखी मंदिर

मान्यता है कि मां ज्वाला इसी दिन इस स्थान पर ज्योति के रूप में प्रकट हुई थी. इसी दिन नौ दिन तक चले गुप्त नवरात्र का महायज्ञ कन्या पूजन के साथ खत्म हो जाएगा. इस आयोजन को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है.

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100 किलो देसी घी के प्रसाद का लगेगा भोग
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं. श्रद्धालुओं को मां के दर्शनों के लिए परिक्रमा मार्ग से भेजा जाएगा.

पुजारी भिभू शर्मा का कहना है कि हर साल की तरह इस बार भी मां ज्वाला का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर न्यास और पुजारी वर्ग द्वारा 100 किलो देसी घी के हलवे का प्रसाद बांटा जाएगा. उनका कहना है कि मां ज्वाला के प्रकटोत्सव का आयोजन सफल बनाया जाएगा. विधिवत पूजन से ही मां ज्वाला का गुणगान करवाया जाएगा.

51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि है मां ज्वाला
कांगड़ा घाटी स्थित ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है. इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रूप में होते हैं. शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है.

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मान्यता है कि जब भगवान शिव जल रही माता सती के अग्निकुंड से निकालकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे तो भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्र से कटकर सती की जेव्हा कालीधार पहाड़ी पर गिरी थी. इससे यहां ज्वाला ज्योति रूप में यहां दर्शन देती हैं.

बता दें कि ज्वालामुखी माता के जन्मदिन पर पुजारी वर्ग मंगलवार देर रात माता का विधिवत गुणगान करेंगे. पूजा पद्वति व वैदिक मंत्रोउच्चारण से ज्वाला मां का श्रृंगार किया जाएगा. जिसमें माता के वस्त्र, आभूषण, चांदी का छत्र व 5 प्रकार के ऋतु फल, 5 प्रकार के मिष्ठान, दूध, मावा का भोग लगाया जाएगा.

कांगड़ा/ज्वालामुखी: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मां ज्वाला का प्रकटोत्सव मनाया जा रहा है. ये उत्सव 9 जुलाई रात को मनाया जाएगा. जिसके बाद 10 जुलाई को मंदिर की ओर से विशाल भंडारे का भी आयोजिन किया जाएगा.

goddess Jwala's birthday will celebrated on 9th July
ज्वालामुखी मंदिर

मान्यता है कि मां ज्वाला इसी दिन इस स्थान पर ज्योति के रूप में प्रकट हुई थी. इसी दिन नौ दिन तक चले गुप्त नवरात्र का महायज्ञ कन्या पूजन के साथ खत्म हो जाएगा. इस आयोजन को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है.

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100 किलो देसी घी के प्रसाद का लगेगा भोग
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं. श्रद्धालुओं को मां के दर्शनों के लिए परिक्रमा मार्ग से भेजा जाएगा.

पुजारी भिभू शर्मा का कहना है कि हर साल की तरह इस बार भी मां ज्वाला का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर न्यास और पुजारी वर्ग द्वारा 100 किलो देसी घी के हलवे का प्रसाद बांटा जाएगा. उनका कहना है कि मां ज्वाला के प्रकटोत्सव का आयोजन सफल बनाया जाएगा. विधिवत पूजन से ही मां ज्वाला का गुणगान करवाया जाएगा.

51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि है मां ज्वाला
कांगड़ा घाटी स्थित ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है. इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रूप में होते हैं. शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है.

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मान्यता है कि जब भगवान शिव जल रही माता सती के अग्निकुंड से निकालकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे तो भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्र से कटकर सती की जेव्हा कालीधार पहाड़ी पर गिरी थी. इससे यहां ज्वाला ज्योति रूप में यहां दर्शन देती हैं.

बता दें कि ज्वालामुखी माता के जन्मदिन पर पुजारी वर्ग मंगलवार देर रात माता का विधिवत गुणगान करेंगे. पूजा पद्वति व वैदिक मंत्रोउच्चारण से ज्वाला मां का श्रृंगार किया जाएगा. जिसमें माता के वस्त्र, आभूषण, चांदी का छत्र व 5 प्रकार के ऋतु फल, 5 प्रकार के मिष्ठान, दूध, मावा का भोग लगाया जाएगा.

Intro:आषाढ़ मास की अष्ठमी को अवतरित हुई थी माँ ज्वाला धरती पर

9 जुलाई रात को धूमधाम से मनाया जाएगा मां ज्वाला का जन्मदिन
100 क्विंटल हलवे के प्रशाद का लगेगा भोगBody:आषाढ़ मास की अष्ठमी को अवतरित हुई थी माँ ज्वाला धरती पर

9 जुलाई रात को धूमधाम से मनाया जाएगा मां ज्वाला का जन्मदिन
100 क्विंटल हलवे के प्रशाद का लगेगा भोग
ज्वालामुखी, 7 जुलाई (नितेश): विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मां ज्वाला ‘प्रकटोत्सव’ मंगलवार 9 जुलाई रात को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि मां ज्वाला इसी दिन इस स्थान पर ज्योति के रूप में प्रकट हुई थीं। ‘प्रकटोत्सव’ के दौरान मंदिर के पुजारियों की ओर से 10 जुलाई को विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है।
आज ही के दिन नौ दिन तक चले गुप्त नवरात्र का महायज्ञ कन्या पूजन के साथ समाप्त हो जाएगा। इस आयोजन को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है।

100 किलो देसी घी के प्रसाद का लगेगा भोग
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर इंतजाम किए हैं। श्रद्धालुओं को मां के दर्शनों के लिए परिक्रमा मार्ग से भेजा जाएगा। पुजारी भिभू शर्मा का कहना है कि हर वर्ष की भांति इस बार भी मां ज्वाला का ‘प्रकटोत्सव’ धूमधाम से मनाया जा रहा है।
मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर न्यास और पुजारी वर्ग द्वारा 100 किलो देसी घी के हलवे का प्रसाद बांटा जाएगा। उनका का कहना है कि मां ज्वाला के ‘प्रकटोत्सव’ का आयोजन सफल बनाया जाएगा और बिधिवत पूजन से ही मां ज्वाला का गुणगान करवाया जाएगा।

51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि है मां ज्वाला
कांगड़ा घाटी स्थित ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है। इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रूप में होते हैं।
शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है।
जब भगवान शिव जल रही माता सती को अग्निकुंड से निकालकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे तो भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्र से कटकर सती की जीव्हा कालीधार पहाड़ पर गिरी थी। इससे यहां ज्वाला ज्योति रूप में यहां दर्शन देती हैं।

इनसेट
पुजारी करेंगे बिशेष पूजन
ज्वालामुखी माता के जन्मदिन पर पुजारी वर्ग मंगलबार देर रात माता का बिधिवत गुणगान करेंगे, पूजा पद्वति व वैदिक मंत्रोउच्चारण से ज्वाला मां का श्रृंगार किया जाएगा जिसमे माता के वस्त्र, आभूषण, चांदी का छत्र व 5 प्रकार के ऋतु फल, 5 प्रकार के मिष्ठान, दूध, मावा का भोग लगाया जाएगा।Conclusion:पुजारी भिभू शर्मा का कहना है कि हर वर्ष की भांति इस बार भी मां ज्वाला का ‘प्रकटोत्सव’ धूमधाम से मनाया जा रहा है।
मंदिर में श्रद्धालुओं को मंदिर न्यास और पुजारी वर्ग द्वारा 100 किलो देसी घी के हलवे का प्रसाद बांटा जाएगा।
Last Updated : Jul 8, 2019, 2:56 PM IST
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