धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में लोग अब प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. जिसमें बागवानी विभाग भी किसानों की पूरी मदद कर रहा है. हिमाचल में बहुत से किसानों ने अपनी मेहनत और सरकार के सहयोग के साथ सफलता की कहानी लिखी है. जिला कांगड़ा के नगरोटा सूरियां के किसान जीवन सिंह राणा ने भी ऐसे ही किसानी से कामयाबी तक का सफर तय किया. जीवन सिंह राणा शिक्षा विभाग से बतौर प्रवक्ता पद से रिटायर हैं. सेवानिवृत होने के बाद जीवन सिंह ने कृषि को अपनाया और ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की.
कांगड़ा के सफल किसान: जीवन सिंह राणा नगरोटा सूरियां के घाड़ जरोट के निवासी हैं. वह अपनी जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं. प्रदेश सरकार और बागवानी विभाग के सहयोग और जीवन राणा व उनके परिवार की कड़ी मेहनत के चलते ड्रैगन फ्रूट की लालिमा से उनके बाग की तस्वीर ही बदल गई है. ड्रैगन फ्रूट की खेती करके जीवन राणा ने अपनी आर्थिकी को तो मजबूत किया ही है, इसके साथ ही वह दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं.
बेटे ने सुझाया ड्रैगन फ्रूट की खेती का आइडिया: जीवन सिंह राणा ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर बताया कि कोरोना काल के दौरान उनके सिविल इंजीनियर पास बेटे आशीष राणा ने नया कारोबार शुरू करने का मन बनाया. वहीं, उनके बेटे ने बागवानी और किसानी में आगे बढ़ने का फैसला किया. जिसके बाद जीवन राणा और उनके बेटे आशीष राणा ने सितंबर 2020 में पंजाब के बरनाला में ड्रैगन फ्रूट फार्म का दौरा किया और इसकी खेती के बारे में जानकारी हासिल की. इसके बाद उन्होंने प्रदेश में बागवानी विभाग से संपर्क कर 6 कनाल भूमि पर ड्रैगन फ्रूट के 450 पौधे लगाए.
ड्रैगन फ्रूट से लाखों कमा रहे जीवन: जीवन सिंह राणा ने बताया कि उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती प्राकृतिक तरीके से शुरू की. पहले साल में सैंपल के तौर पर 30 से 35 ड्रैगन फ्रूट की पैदावार हुई. जबकि पिछले साल सीजन के दौरान 600 किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हुआ. जिसमें एक पौधे से अधिकतर 700 ग्राम वजन के फ्रूट की पैदावार हुई. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें एक साल में 1 लाख 25 हजार रुपए की आय हुई है. इस साल भी फ्रूट की फसल शुरू होने के साथ अब तक 2 क्विंटल फ्रूट की बिक्री कर दी गई है. ड्रैगन फ्रूट की फसल नवंबर माह तक जारी रहेगी. उनका मानना है कि इस साल ड्रैगन फ्रूट की 1200 किलोग्राम तक पैदावार होने की उम्मीद है.
दूसरे राज्यों में ड्रैगन फ्रूट की भारी डिमांड: जीवन सिंह राणा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की फसल पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से तैयार की गई है. इसलिए इसकी मांग दूसरे राज्यों में काफी अच्छी रहती है. जहां पर इसके 250 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक दाम मिलते हैं. उन्होंने बताया कि बावजूद इसके वह बाहरी राज्यों की बजाए अपने प्रदेश में गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए इसकी सप्लाई करते हैं. बागवानी विभाग के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता के चलते इसकी खेती को बढ़ावा मिला है. उन्होंने इस साल प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत बागवानी विभाग के सहयोग से और ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है.
2014 से कर रहे प्राकृतिक खेती: जीवन राणा ने बताया कि वैसे तो उन्होंने साल 2014 से ही प्राकृतिक खेती शुरू की थी, लेकिन उन्होंने देखा की प्रदेश सरकार राज्य में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. जिसके बाद जीवन राणा ने इस खेती के बारे में कृषि विभाग से तकनीकी जानकारी हासिल की. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से जहां जमीन को जहरीला होने से बचाया जा सकता है, वहीं इससे कम लागत में अच्छी पैदावार होती है. प्रदेश सरकार की ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान’ योजना से जुड़ कर जीवन राणा ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया.
कई तरीके की फसलें उगाते हैं जीवन राणा: जीवन राणा ने बताया कि सही तरीके से प्राकृतिक खेती करने के लिए उन्होंने साहीवाल नस्ल की गाय भी पाल रखी है. जिसके गोबर तथा गौमूत्र से जीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क, आच्छादन, वापसा और निमास्त्र आदि तैयार करते हैं. इनके इस्तेमाल से पौधों को कवक और जीवाणु से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने में मदद मिलती है. आज जीवन राणा प्राकृतिक खेती के कारण अपने खेतों में ड्रैगन फ्रूट के अलावा स्ट्रॉबेरी, रवी तथा खरीफ सीजन में मक्की, गेहूं, धान, माह, उड़द, सोयाबीन, चना, अलसी, रागी, कोदरा, अदरक और हल्दी की बुवाई कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. इसके अलावा सीजनल सब्जियों में घीया, भिंडी, लौकी, तोरई, बैंगन, टिंडे, खीरा, करेला आदि भी उगाते हैं. उन्होंने लीची, आम, अमरूद, पपीता, जामुन, हरड़, बहेड़ा तथा आंवला जैसे कई फलदार और औषधीय पौधे भी उगाए हैं.
ड्रैगन फ्रूट की विशेषताएं: ड्रैगन फ्रूट कैक्टस की ही एक प्रजाति है. इस फल में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाता है. डायबिटीज, अल्जाइमर, पार्किंसंस जैसी पुरानी बीमारियों से बचाता है. विशेषकर इसमें बहुत ज्यादा फाइबर होता है, जो डाइजेशन हेल्थ को बेहतर बनाता है. जानकारी के अनुसार इस फल में एंटी-कैंसर के गुण होते हैं. जिससे कैंसर होने का खतरा कम होता है. इस फल को नियमित रूप से खाने से ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित रखा जा सकता है. इस सुपर फ्रूट में 18% मैग्नीशियम होता है और यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है.
बागवानी विभाग से मिली सहायता: जीवन राणा ने बताया कि बागवानी विभाग से उन्हें हर समय तकनीकी जानकारी के साथ बहुत सहयोग मिला है. विभाग द्वारा ट्रैक्टर की खरीद पर उन्हें अढ़ाई लाख रुपए, बोरवेल पर 1 लाख 10 हजार रुपए, जबकि सिंचाई के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर प्रणाली के लिए 22 हजार रुपए, ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने सहित पॉलीहाउस बनाने के लिए भी सब्सिडी प्रदान की गई. 'प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान' योजना के तहत उन्हें देसी नस्ल की गाय की खरीद पर 20 हजार रुपए, जबकि गौशाला के फर्श एवं गौमूत्र एकत्रीकरण की व्यवस्था, ड्रम एवं अन्य सामग्री और भंडारण पर भी अनुदान दिया गया.
ड्रैगन फ्रूट के डेमोस्ट्रेशन प्लांट पर 15 लाख रुपए खर्च करेगा विभाग: बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि पहले ड्रैगन फ्रूट की पैदावार देश के अन्य राज्यों में होती थी, लेकिन इसमें औषधीय गुण भरपूर होने के कारण प्रदेश में में इसकी मांग बढ़ी है. जिसके चलते प्रदेश सरकार द्वारा इसकी खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. बागवानी विभाग कांगड़ा जिले में इस फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है. जिसके तहत इस साल नगरोटा सूरियां ब्लॉक में 25 कनाल भूमि पर फ्रंट लाइन डेमोस्ट्रेशन प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें वैज्ञानिक तरीके से 4 हजार पौधे लगाए जाएंगे. विभाग द्वारा इस पर लगभग 15 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. इस डेमोंस्ट्रेशन प्लांट में दूसरे क्षेत्रों से लोग आकर ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में तकनीकी जानकारी हासिल कर सकेंगे.
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