धर्मशाला: जहां एक ओर स्वच्छ भारत मिशन के तहत सफाई अभियान चलाए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश को साफ सुथरा और सुंदर बनाने की बात कही जाती है. वहीं, कांगड़ा जिले में एक गांव ऐसा है जहां के लोग रोज गंदगी की मार झेल रहे हैं. जानकारी के मुताबिक धर्मशाला नगर निगम की एचआरटीसी वर्कशॉप के करीब बनाई गई डंपिंग साइट सुधेड़ वासियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है.
ग्रामीणों का कहना है कि इस डंपिंग साइट की वजह से हर ओर गंदगी फैल रही है. गंदगी के ढेरों से आती दुर्गंध से साथ लगते गांव व शहर के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी विकराल हो जाती है. कूड़ा जलाने के लिए जब डंपिंग साईट पर आग लगाई जाती है तो इससे निकलती जहरीली गैस के कारण लोगों का सांस लेना भी दुश्वार हो जाता है.
डंपिंग साइट बनी लोगों के लिए सिर दर्द: सुधेड़ के लोगों का कहना है कि धर्मशाला के कूड़े-कचरे को शाहपुर विधानसभा की सुधेड़ पंचायत में डंप किया जा रहा है. जिससे यहां सैंकड़ों-हजारों की आबादी इस गंदगी से परेशान हो रही है. लोगों का जीना तक यहां दूभर हो चुका है. उनकी जिंदगी में ये कूड़ा जहर घोल रहा है. सुबह-शाम गंदी हवा महामारी को बढ़ावा देने का काम कर रही है. गांवों में बीमारियां फैल रही हैं. इस गंदगी के चलते बच्चे और बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम को बार-बार चेताने पर भी उनकी समस्या की न तो ध्यान दिया गया और न ही कोई स्थाई हल निकाला गया.
सुधेड़ वासियों ने बताई आपबीती: सुधेड़ के ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें भी जीने का हक है. लोगों का कहना है कि पिछले लगभग 25 सालों से वह इश दंश को झेल रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली है. कई सालों से कूड़े-कचरे के ढेरों से गंदगी रिसकर उनके घरों तक पहुंच रही है. पीने के पानी के स्रोत भी दूषित हो गए हैं. कूड़े के ढेरों में जब आग लगाई जाती है, तब उनका सांस लेना मुश्किल हो जाता है. साथ ही इसकी वजह से उन्हें स्किन रोग भी हो रहे हैं.
डंपिंग साइट पर मंडराते हैं गिद्ध: स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि नगर निगम की डंपिंग साइट में कई मरे हुए जीव जंतुओं को भी फेंका जाता है. जिससे अकसर यहां पर गिद्ध पक्षी मंडराते रहते हैं, जो कई बार लोगों पर हमला भी कर चुके हैं. यही नहीं बरसात के दिनों में यह गंदा पानी गांव के साथ लगते नाले में मिलता है. ग्रामीण इस पानी का प्रयोग अपने खेतों में सिंचाई के लिए, कपड़े धोने व पशुओं को पानी पिलाने के लिए करते हैं. जिससे लोग कई तरह के त्वचा संबंधी रोग और अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं.
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