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स्मार्ट सिटी में अधरझूल में विकास कार्य: मेयर साहब - jairam thakur

धर्मशाला नगर निगम मेयर का कहना है कि स्मार्ट सिटी में स्मार्ट रोड, ई-बसिस और कमांड कंट्रोल सेंटर का कार्य अधर में लटका हुआ है. इन कार्यों के लिए करीब 300 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है. सरकार की ओर इस संबंध में अनुमतियां नहीं दी जा रही हैं.

धर्मशाला (फाइल)
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Published : Jun 7, 2019, 4:55 PM IST

Updated : Jun 7, 2019, 5:33 PM IST

धर्मशाला: स्मार्ट सिटी का दर्जा तो धर्मशाला शहर को दे दिया गया है, लेकिन शहर में विकास कार्य करने के लिए प्रस्तावित कार्यों के लिए प्रदेश सरकार से स्वीकृतियां समय पर नहीं मिल पा रही हैं. यही कारण है कि स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित कार्यों अधर में लटके हुए हैं.


बता दें कि स्मार्ट सिटी में स्मार्ट रोड, ई-बसिस और कमांड कंट्रोल सेंटर का कार्य अधर में लटका हुआ है. इन कार्यों के लिए करीब 300 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है. सरकार की ओर इस संबंध में अनुमतियां नहीं दी जा रही हैं.
10 करोड़ से अधिक के कार्यों की शक्तियां सरकार के पास हैं, जबकि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत अधिकतर कार्य 10 करोड़ से अधिक लागत के हैं. ऐसे में सरकार की ओर से अनुमतियां देने में किए जा रहे विलंब की वजह से धर्मशाला स्मार्ट सिटी के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

जानकारी देते मेयर देवेंद्र जगी
नगर निगम धर्मशाला के मेयर दवेंद्र जगी का कहना है कि जब स्मार्ट सिटी की योजना बनी थी तो उसमें एसपीबी बनाई गई थी और उसमें सभी योजनाओं के अप्रूवल की पॉवर एसपीबी को थी. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो सरकार ने अलग अलग कमेटियां बना दी और अब एसपीबी को 10 करोड़ अप्रूव की पॉवर दी गई है.


जगी ने कहा कि स्मार्ट सिटी में हर प्रोजेक्ट 10 करोड़ से अधिक के है और प्रोजेक्ट के अप्रूव के लिए शिमला भेजा गया है, लेकिन अभी तक वो पेंडिंग पड़े हुए है.

ये भी पढ़ेंः 5 साल की बच्ची से रेप केस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग तेज, कांग्रेस प्रवक्ता ने जयराम सरकार पर साधा निशाना

धर्मशाला: स्मार्ट सिटी का दर्जा तो धर्मशाला शहर को दे दिया गया है, लेकिन शहर में विकास कार्य करने के लिए प्रस्तावित कार्यों के लिए प्रदेश सरकार से स्वीकृतियां समय पर नहीं मिल पा रही हैं. यही कारण है कि स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित कार्यों अधर में लटके हुए हैं.


बता दें कि स्मार्ट सिटी में स्मार्ट रोड, ई-बसिस और कमांड कंट्रोल सेंटर का कार्य अधर में लटका हुआ है. इन कार्यों के लिए करीब 300 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है. सरकार की ओर इस संबंध में अनुमतियां नहीं दी जा रही हैं.
10 करोड़ से अधिक के कार्यों की शक्तियां सरकार के पास हैं, जबकि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत अधिकतर कार्य 10 करोड़ से अधिक लागत के हैं. ऐसे में सरकार की ओर से अनुमतियां देने में किए जा रहे विलंब की वजह से धर्मशाला स्मार्ट सिटी के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

जानकारी देते मेयर देवेंद्र जगी
नगर निगम धर्मशाला के मेयर दवेंद्र जगी का कहना है कि जब स्मार्ट सिटी की योजना बनी थी तो उसमें एसपीबी बनाई गई थी और उसमें सभी योजनाओं के अप्रूवल की पॉवर एसपीबी को थी. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो सरकार ने अलग अलग कमेटियां बना दी और अब एसपीबी को 10 करोड़ अप्रूव की पॉवर दी गई है.


जगी ने कहा कि स्मार्ट सिटी में हर प्रोजेक्ट 10 करोड़ से अधिक के है और प्रोजेक्ट के अप्रूव के लिए शिमला भेजा गया है, लेकिन अभी तक वो पेंडिंग पड़े हुए है.

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Intro:धर्मशाला-  धर्मशाला को स्मार्ट सिटी का दर्जा दे दिया गया है, लेकिन स्मार्ट सिटी में प्रस्तावित कार्यों के लिए प्रदेश सरकार से स्वीकृतियां समय पर नहीं मिल पा रही हैं। यही कारण है कि स्मार्ट सिटी के तहत प्रस्तावित कार्यों में विलंब हो रहा है। स्मार्ट सिटी में स्मार्ट रोड़, ई-बसिस और कमांड कंट्रोल सेंटर का कार्य लटका पड़ा है, क्योंकि उक्त तीनों कार्यों पर लगभग 300 करोड़ रुपये का खर्च आना प्रस्तावित है।


Body: जबकि सरकार की ओर इस संबंध में अनुमतियां नहीं दी जा रही हैं।  10 करोड़ से अधिक के कार्यों की शक्तियां सरकार के पास हैं, जबकि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत  अधिकतर कार्य 10 करोड़ से अधिक लागत के हैं।  ऐसे में सरकार की ओर से अनुमतियां देने में किए जा रहे विलंब की वजह से धर्मशाला स्मार्ट सिटी के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। 


Conclusion:वही नगर निगम धर्मशाला के मेयर दवेंद्र जगी का कहना है कि जब स्मार्ट सिटी की योजना बनी थी तो उसमें एसपीबी बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि उसमे सभी योजनाओं के अप्रूवल के पॉवर एसपीबी को थी। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो सरकार ने अलग अलग कमेटियां बना दी ओर अब एसपीबी को 10 करोड़ अप्रूव की पॉवर दी गई है।उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी में हर प्रोजेक्ट 10 करोड़ से अधिक के है ओर प्रोजेक्ट के अप्रूव के लिए शिमला भेजा गया है लेकिन अभी तक वो पेंडिंग पड़े हुए है।उन्होंने कहा कि पता नही क्या कारण है कि सरकार जो इन कामो की पेंडिंग कर रही है।
Last Updated : Jun 7, 2019, 5:33 PM IST
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