कांगड़ा: बेटियां बेटों से कम नहीं होती और हर फर्ज निभाने में कभी पीछे नहीं हटती. ऐसा ही कर दिखाया जयसिंहपुर की लाहट पंचायत के डिब गांव की सुमन ने. अकसर मुखाग्नि की बात आए तो हर कोई यही कहता सुनाई देता है कि बेटे इस फर्ज को निभाते हैं, लेकिन सुमन ने इस बात को गलत साबित किया है.
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सुमन के पिता संतराम (75) की बीते दिन मौत हो गई. एकलौती बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर फर्ज अदा किया. परिजनों की सेवा करने, उन्हें सहारा देने के साथ सुमन ने ये साबित कर दिया कि श्मशान घाट में अंतिम संस्कार में मुखाग्नि भी बेटियां दे सकती है.
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सुमन की माता का देहांत छह साल पहले हो चुका है और माता-पिता की वो एकलौती बेटी है. पिता की अंत्येष्टी में शामिल होकर उन्होंने समाज के लिए एक मिसाल कायम की है.