धर्मशाला : साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए नए-नए पैंतरे अपनाते रहते हैं. कभी बैंक डिटेल, कभी क्रेडिट कार्ड तो कभी किसी सरकारी योजना के नाम पर ठगी के कई किस्से आपने सुने होंगे. लेकिन साइबर ठगों का सबसे नया हथियार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, जिसके जरिये वो ऐसे शातिराना अंदाज में ठगी को अंजाम देते हैं कि आप चाहे-अनचाहे उनका शिकार हो सकते हैं. इसलिये आपको बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है.
कैसे हो रही है ठगी- ठग आपके रिश्तेदार या दोस्त की आवाज में आपके साथ बात करते हैं या वीडियो कॉल करते हैं. आपसे पैसों के लेन-देन या मुश्किल वक्त में मदद की मांग की जाती है और आप उस आवाज या चेहरे को अपना रिश्तेदार या दोस्त समझकर ठगी का शिकार हो जाते हो. ठग खुद को आपका दोस्त या रिश्तेदार बताता है और उसी की आवाज में बात करता है. जिससे आपको भी भरोसा हो जाता है और फिर बीमारी या किसी अन्य मदद का हवाला देकर पैसों की मांग की जाती है और लोग अपना दोस्त, रिश्तेदार समझकर मना भी नहीं करते क्योंकि उन्हें उस आवाज पर भरोसा होता है. पहली बार सुनने में ये अजीब लग रहा होगा लेकिन ऐसा हो रहा है और जिन-जिन लोगों के साथ ऐसा हुआ है, ठगी के बाद उनके पांव तले भी जमीन खिसक गई.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हो रहा इस्तेमाल- कांगड़ा के एएसपी हितेश लखनपाल के मुताबिक साइबर ठग अब लोगों की कमाई पर हाथ साफ करने के लिए AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रहे हैं. ये साइबर क्राइम का नया ट्रेंड है. हितेश लखनपाल बताते हैं कि फोन पर बात करते वक्त या सोशल मीडिया से किसी तस्वीर या वीडियो को साइबर अपराधी ले लेते हैं. फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से उसी आवाज में आपके रिश्तेदारों या दोस्तों से बात की जाती है और साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है. इसी तरह वीडियो कॉल का भी सहारा लिया जाता है. लोग इन कॉल्स को अपने रिश्तेदार या दोस्त की समझकर पैसे दे देते हैं और आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं.
ठगों को कैसे दिखाएं ठेंगा- ऐसे मामलों में जब साइबर ठग आपको कॉल करते हैं तो उसकी जानी पहचानी आवाज से आप ठगों के झांसे में आ जाते हैं और उसे अपना दोस्त या रिश्तेदार समझ बैठते हैं. हितेश लखनपाल कहते हैं कि जब भी ऐसा कोई कॉल या वीडियो कॉल आए तो उसे डबल चेक जरूर करें. आपके पास उस रिश्तेदार या दोस्त का जो भी नंबर सेव है उससे बात करें, संपर्क साधे और सच्चाई का पता लगाएं.
बढ़ रहे हैं ऐसे मामले- कुल मिलाकर इस बात की तसल्ली करें कि जो फोन पर मदद मांग रहा है वो आपका दोस्त या रिश्तेदार ही है सिर्फ आवाज सुनकर या वीडियो देखकर ही उसपर भरोसा ना करें. आपकी थोड़ी सी सावधानी आपको लुटने से बचा सकती है. हितेश लखनपाल के मुताबिक कांगड़ा जिले में ऐसे मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन देश और प्रदेश में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. जिनमें ठग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रहे हैं और लोग आसानी से उनका शिकार बन रहे हैं. इसलिये सावधानी बहुत जरूरी है.
आपकी आवाज का भी हो सकता है- ठग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये ठगी को अंजाम दे रहे हैं और ऐसा ही आपके साथ भी हो सकता है. आपकी आवाज का इस्तेमाल भी आपके किसी अपने को ठगने के लिए किया जा सकता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि इसके लिए ठग आपके साथ फोन पर बात करते हुए आपकी कॉल रिकॉर्ड करके या आपके सोशल मीडिया अकाउंट से आपकी तस्वीरें, वीडियो ऑडियो की मदद से ऐसा कर सकते हैं. साइबर क्रिमिनल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के टूल्स की मदद से आपकी आवाज की क्लोनिंग करने के बाद आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार को शिकार बना सकते है.
आपके साथ ऐसा हुआ है ?- ऐसे मामलों में ज्यादातर लोगों को ठगी की जानकारी तभी हुई जब उन्होंने अपने उस रिश्तेदार या दोस्त से बात की जिसकी आवाज में ठग ने बात की थी. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और ठग अपने कारनामे को अंजाम दे चुके होते हैं. क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है ? या किसी भी तरह की साइबर ठगी हुई है ? अगर हां तो इसकी जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल को दें क्योंकि जितनी जल्दी आप पुलिस को शिकायत देंगे ठगों तक पहुंचने के चांस उतने अधिक होंगे. इसलिये ऐसे मामलों के बारे में जानकारी साझा करें और अपने दोस्त, परिजनों, पड़ोसियों और जानकारों को इसके बारे में सजग करें ताकि साइबर ठगों को ठेंगा दिखाया जा सके.