कांगड़ा: डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज टांडा में उपचाराधीन आंगनबाड़ी वर्कर प्रोमिला की हालत नाजुक है. उनकी हालत कोविड वैक्सीन टीका लगने से नहीं बल्कि जिन्यस नामक एक वायरस की गिरफ्त में आने से हुई है. इस बात का खुलासा टांडा मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. सुरेश भारद्वाज ने एक बातचीत में किया है.
जिन्यस नामक वायरस की शिकार हुआ आंगनबाड़ी वर्कर
एमएस डॉ. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस जिन्यस नामक वायरस का शिकार होने से मरीज की हालत ऐसी हो जाती है जिसकी रिकवरी के लिए एक माह तक का समय लग जाता है. जबकि टांडा में अभी भर्ती हुए आंगनबाड़ी वर्कर को लगभग दस दिनों का समय ही हुआ है. डॉ. सुरेश भारद्वाज ने बताया कि आंगनबाड़ी वर्कर प्रोमिला को भले ही वेंटिलेटर पर रखा गया है, लेकिन उसकी हालत में सुधार हो रहा है और अब खतरे से बाहर है.
परिजनों ने कोविड वैक्सिन टीके से बीमार होने का लगाया आरोप
एमएस सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही यह बताया है कि कोविड वैक्सीन का टीका लगने के बाद व्यक्ति को हल्का बुखार आ सकता है जिससे घबराने के कोई बात नहीं है. लेकिन प्रोमिला की हालत कोविड वैक्सीन टीका लगने के कारण नहीं बल्कि जिन्यस नामक एक वायरस के कारण बिगड़ी है. आंगनबाड़ी वर्कर प्रोमिला के परिजनों का आरोप था कि प्रोमिला की तबीयत कोविड वैक्सीन टीका लगने के बाद खराब हुई है.
खतरे से बाहर है आगनबाड़ी वर्कर
29 जनवरी को प्रोमिला को करोना वैक्सीन का टीका सुजानपुर में लगाया गया था. उसके बाद उन्हें बुखार की शिकायत हुई. 29 जनवरी को करोना वैक्सीन टीका लगा अगले दिन से बुखार आना शुरू हुआ. 5 फरवरी को तबीयत बिगड़ी, परिजनों ने नाजुक हालत को देखते हुए उसे टांडा अस्पताल में भर्ती करवा दिया. 9 फरवरी को वे जब बेहोशी की हालत में हुई तो वेंटिलेटर पर रखा गया. टांडा मेडिकल कॉलेज के एमएस सुरेश भारद्वाज के अनुसार प्रोमिला जिन्यस नामक एक वायरस का शिकार हुई है. वे खतरे से पूरी तरह बाहर है और उसके स्वास्थ्य में रिकवरी पाई जा रही है. कोविड वैक्सीन को लेकर टांडा मेडिकल कालेज प्रशासन लगातार लोगों को जागरूक भी कर रहा है.
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