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ADC कांगड़ा ने क्षय रोग निवारण पर की समीक्षा बैठक, कहा: TB के खत्मे के लिए सहभागिता जरूरी

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Published : Aug 5, 2020, 5:37 PM IST

धर्मशाला में बुधवार को अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा राघव शर्मा ने जिला टीबी फोरम और क्षय रोग निवारण समिति की गतिविधियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उन्होंने इस बीमारी से जुड़े कई विषयों पर चर्चा

ADC held review meeting on Tuberculosis Prevention Committee in kangra
फोटो

धर्मशाला: अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा राघव शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को डीआरडीए के सभागार में जिला टीबी फोरम और क्षय रोग निवारण समिति की गतिविधियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में मरीजों को जिला टीबी फोरम के अधिकार व दायित्व के बारे में जागरूक किया गया एवं टीबी उन्मूलन हेतु कई पहलुओं पर विशेष चर्चा भी की गई.

इस अवसर पर राघव शर्मा ने जानकारी दी कि क्षय रोग के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को पहले ही इस बाबत बड़े और गम्भीर प्रयास कर 2025 तक भारत को टीबी मुक्त भारत बनाए जाने के लिए पत्र लिखा है. 24 मई, 2018 को टीबी उन्मूलन के लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 'टीबी मुक्त हिमाचल' अभियान और 'मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना' की शुरुआत की थी.

वीडियो रिपोर्ट.

बैठक में टीवी की बीमारी से ठीक हो चुके रोगियों ने अपने-अपने अनुभव सबके साथ सांझा किए. सभी प्रतिभागियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की प्रतिबद्धता दिखाई. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण समिति बैठक की अध्यक्षता करते हुए शर्मा ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को समाज में किसी भी प्रकार के सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना न करना पड़े, यह भी समाज का दायित्व है.

राघव शर्मा ने कहा की वर्तमान में जिला कांगड़ा में 1253 एचआईवी उपचाराधीन रोगी हैं. इनकी जरूरतों के आकलन के लिए जिला प्रशासन एक मुहिम चलाई जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ इन्हें प्राप्त हो सके.

वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार द्वारा हिमाचल बड़े राज्यों मे क्षय रोग उन्मूलन में अव्वल आंका गया है. साल 2019 के कार्य निष्पादन संकेतक के आधार पर हिमाचल ने पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. इसी कड़ी में जिला कांगड़ा ने पूरे देश में 39वां स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में साल 2019 में 3679 मामले टीवी के खोजे गए और साल 2020 में जिला कांगड़ा में 31 जुलाई तक 1643 टीबी के मामले सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि साल 2019 में बिगड़ी हुई टीबी जिसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी भी कहते हैं उसके 581 मामले पाए गए, जिनमें से 115 जिला कांगड़ा से हैं.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी कांगड़ा डॉ. विक्रम कटोच ने बताया की जिला कांगड़ा में 98 प्रतिशत टीबी के मरीजों का एचआईवी स्टेट्स नोन है और टीबी मरीजों का ट्रीटमेंट सक्सेस रेट साल 2019 में 87 प्रतिशत है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन परामर्शदाता डॉ.रविंदर ने बताया कि बिगड़ी हुई टीबी के मरीजों को अतिरिक्त 1500 रुपये की राशि हर महीने हिमाचल सरकार द्वारा मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के अंतर्गत दी जा रही है. हर रविवार को आशा वर्कर द्वारा एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है, जिसमें आशा वर्कर घर-घर जाकर नए टीबी के रोगियों खोज करती हैं.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आरके सूद ने बताया कि जिला मे आधुनिक जांच सुविधा निशुल्क उपलब्ध है. सीबी नेट की मशीन से 2 घण्टे में ना केवल टीबी की बीमारी का पता लग जाता है, बल्कि बिगड़ी हुई टीबी के बारे में भी पता चल जाता है. उन्होंने बताया कि यह सुविधा पालमपुर, ज्वालामुखी, नूरपुर, धर्मशाला व टांडा मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है. वहीं, जल्द ही पपरोला आयुर्वेदिक कॉलेज में भी यह सुविधा शुरू हो जाएगी. मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रति माह बैंक खातों के माध्यम से दी जा रही है, इस योजना के अन्तर्गत जिला में 1.7 करोड़ की राशि दी जा चुकी है.

बैठक में टीबी मुक्त एप्प के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई. जिसे टीबी उन्मूलन के लिए डिजिटल सेवाओं से जोड़ा गया है. जिससे कोई भी व्यक्ति क्षय रोग निवारण सम्बंधित सुविधाओं एवं अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी आसानी से ले सकता है. यह एप्प गूगल प्ले स्टोर से डॉउनलोड की जा सकती है.

ये भी पढ़ें: 17 अगस्त से होंगी यूजी की परीक्षाएं, कॉलेजों को तैयारियां पूरी करने के निर्देश जारी

धर्मशाला: अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा राघव शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को डीआरडीए के सभागार में जिला टीबी फोरम और क्षय रोग निवारण समिति की गतिविधियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में मरीजों को जिला टीबी फोरम के अधिकार व दायित्व के बारे में जागरूक किया गया एवं टीबी उन्मूलन हेतु कई पहलुओं पर विशेष चर्चा भी की गई.

इस अवसर पर राघव शर्मा ने जानकारी दी कि क्षय रोग के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को पहले ही इस बाबत बड़े और गम्भीर प्रयास कर 2025 तक भारत को टीबी मुक्त भारत बनाए जाने के लिए पत्र लिखा है. 24 मई, 2018 को टीबी उन्मूलन के लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 'टीबी मुक्त हिमाचल' अभियान और 'मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना' की शुरुआत की थी.

वीडियो रिपोर्ट.

बैठक में टीवी की बीमारी से ठीक हो चुके रोगियों ने अपने-अपने अनुभव सबके साथ सांझा किए. सभी प्रतिभागियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की प्रतिबद्धता दिखाई. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण समिति बैठक की अध्यक्षता करते हुए शर्मा ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को समाज में किसी भी प्रकार के सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना न करना पड़े, यह भी समाज का दायित्व है.

राघव शर्मा ने कहा की वर्तमान में जिला कांगड़ा में 1253 एचआईवी उपचाराधीन रोगी हैं. इनकी जरूरतों के आकलन के लिए जिला प्रशासन एक मुहिम चलाई जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ इन्हें प्राप्त हो सके.

वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार द्वारा हिमाचल बड़े राज्यों मे क्षय रोग उन्मूलन में अव्वल आंका गया है. साल 2019 के कार्य निष्पादन संकेतक के आधार पर हिमाचल ने पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. इसी कड़ी में जिला कांगड़ा ने पूरे देश में 39वां स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में साल 2019 में 3679 मामले टीवी के खोजे गए और साल 2020 में जिला कांगड़ा में 31 जुलाई तक 1643 टीबी के मामले सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि साल 2019 में बिगड़ी हुई टीबी जिसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी भी कहते हैं उसके 581 मामले पाए गए, जिनमें से 115 जिला कांगड़ा से हैं.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी कांगड़ा डॉ. विक्रम कटोच ने बताया की जिला कांगड़ा में 98 प्रतिशत टीबी के मरीजों का एचआईवी स्टेट्स नोन है और टीबी मरीजों का ट्रीटमेंट सक्सेस रेट साल 2019 में 87 प्रतिशत है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन परामर्शदाता डॉ.रविंदर ने बताया कि बिगड़ी हुई टीबी के मरीजों को अतिरिक्त 1500 रुपये की राशि हर महीने हिमाचल सरकार द्वारा मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के अंतर्गत दी जा रही है. हर रविवार को आशा वर्कर द्वारा एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है, जिसमें आशा वर्कर घर-घर जाकर नए टीबी के रोगियों खोज करती हैं.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आरके सूद ने बताया कि जिला मे आधुनिक जांच सुविधा निशुल्क उपलब्ध है. सीबी नेट की मशीन से 2 घण्टे में ना केवल टीबी की बीमारी का पता लग जाता है, बल्कि बिगड़ी हुई टीबी के बारे में भी पता चल जाता है. उन्होंने बताया कि यह सुविधा पालमपुर, ज्वालामुखी, नूरपुर, धर्मशाला व टांडा मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है. वहीं, जल्द ही पपरोला आयुर्वेदिक कॉलेज में भी यह सुविधा शुरू हो जाएगी. मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रति माह बैंक खातों के माध्यम से दी जा रही है, इस योजना के अन्तर्गत जिला में 1.7 करोड़ की राशि दी जा चुकी है.

बैठक में टीबी मुक्त एप्प के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई. जिसे टीबी उन्मूलन के लिए डिजिटल सेवाओं से जोड़ा गया है. जिससे कोई भी व्यक्ति क्षय रोग निवारण सम्बंधित सुविधाओं एवं अन्य किसी भी प्रकार की जानकारी आसानी से ले सकता है. यह एप्प गूगल प्ले स्टोर से डॉउनलोड की जा सकती है.

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