ETV Bharat / state

हमीरपुर के बुधवीं गांव में खिले दो ब्रह्म कमल, औषधीय गुणों से भरपूर है यह फूल

हमीरपुर की गलोड़ तहसील के अंतर्गत आने वाले बुधवीं गांव की सरोज देवी के घर दो ब्रह्म कमल खिले हैं. ब्रह्म कमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है, जो कि सिर्फ रात में ही खिलता है. इस गुण के कारण ही ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है.

Brahma lotuses
Brahma lotuses
author img

By

Published : Aug 18, 2020, 1:36 PM IST

हमीरपुर: हमीरपुर की गलोड़ तहसील के अंतर्गत आने वाले बुधवीं गांव की सरोज देवी के घर दो ब्रह्म कमल खिले हैं. गौरतलब है कि सरोज देवी के घर इससे पहले 25 जून 2020 और 18 जुलाई को दो-दो ब्रह्म कमल के फूलों की जोड़ी खिल चुकी है.

ब्रह्म कमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है, जो कि सिर्फ रात में ही खिलता है. इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है. हिमालय में खिलने वाले इस फूल को देवताओं के आर्शीवाद का प्रतीक माना जाता है. यह देर रात खिलना शुरू होता है और 10 से 11 बजे तक यह पूरा खिल जाता है.

ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल

इस ब्रह्म कमल को स्वयं सृष्टि के रचियता ब्रह्मा का पुष्प माना जाता है. हिमालय की ऊचाइयों पर मिलने वाला इस फूल का पौराणिक महत्व भी है. माना जाता है कि यह फूल मनुष्य की इच्छाओं को पूरा करता है. यह कमल सफेद रंग का होता है और देखने में बहुत ही आकर्षक होता है.

सरोज देवी ने बताया कि घर में करीब 9 महीने पहले ही ब्रह्म कमल का पौधा लगाया था. शुक्रवार रात के समय अचानक पौधे पर दो ब्रहम कमल खिल गए, जिससे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. वहीं, ब्रहम कमल को देखेने लिए लोग रातभर उनके घर आते रहे. साथ ही उन्होंने पूरे विधि विधान से इसकी पूजा अर्चना भी की.

वीडियो रिपोर्ट.
ब्रह्म कमल से फूल से जुड़ी मान्यताएं

ब्रह्म कमल से जुड़ी बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं. एक मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचियता ब्रह्मा स्वयं ब्रह्म कमल पर विराजमान है. इसमें से ही ब्रह्मा जी की उत्पति हुई थी. यह एक औषधीय फूल है.

  • ब्रह्म कमल को सूखाकर कैंसर रोग के लिए दवा बनाई जाती है.
  • ब्रह्म कमल से निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिटती है.
  • ब्रह्म कमल से पुरानी खांसी भी काबू में हो जाती है.
  • ब्रह्म कमल के खिलने के समय ब्रह्म देव और त्रिशुल की आकृति बनकर उभरती है.
  • यह ब्रह्म कमल हिमालय में 17 हजार फीट की उंचाई पर मिलता है.

इसके साथ ही किसी के घर में इस फूल के खिलने से उसे भाग्यशाली माना जाता है. यह उसे सुख समृद्धि से भर देता है. इस फूल को न तो बेचा जाता है और न ही खरीदा जाता है. इसे सिर्फ भगवान को चढ़ाया जाता है. यह फूल गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ में खिलता है. सरोज देवी ने बताया कि इन दोनों फूलों को ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में चढ़ा दिया है.

ये भी पढ़ें: कश्मीर घाटी के बारामूला में आतंकी मुठभेड़ में हिमाचल का सपूत शहीद

हमीरपुर: हमीरपुर की गलोड़ तहसील के अंतर्गत आने वाले बुधवीं गांव की सरोज देवी के घर दो ब्रह्म कमल खिले हैं. गौरतलब है कि सरोज देवी के घर इससे पहले 25 जून 2020 और 18 जुलाई को दो-दो ब्रह्म कमल के फूलों की जोड़ी खिल चुकी है.

ब्रह्म कमल के पौधे में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है, जो कि सिर्फ रात में ही खिलता है. इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है. हिमालय में खिलने वाले इस फूल को देवताओं के आर्शीवाद का प्रतीक माना जाता है. यह देर रात खिलना शुरू होता है और 10 से 11 बजे तक यह पूरा खिल जाता है.

ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल

इस ब्रह्म कमल को स्वयं सृष्टि के रचियता ब्रह्मा का पुष्प माना जाता है. हिमालय की ऊचाइयों पर मिलने वाला इस फूल का पौराणिक महत्व भी है. माना जाता है कि यह फूल मनुष्य की इच्छाओं को पूरा करता है. यह कमल सफेद रंग का होता है और देखने में बहुत ही आकर्षक होता है.

सरोज देवी ने बताया कि घर में करीब 9 महीने पहले ही ब्रह्म कमल का पौधा लगाया था. शुक्रवार रात के समय अचानक पौधे पर दो ब्रहम कमल खिल गए, जिससे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. वहीं, ब्रहम कमल को देखेने लिए लोग रातभर उनके घर आते रहे. साथ ही उन्होंने पूरे विधि विधान से इसकी पूजा अर्चना भी की.

वीडियो रिपोर्ट.
ब्रह्म कमल से फूल से जुड़ी मान्यताएं

ब्रह्म कमल से जुड़ी बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं. एक मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचियता ब्रह्मा स्वयं ब्रह्म कमल पर विराजमान है. इसमें से ही ब्रह्मा जी की उत्पति हुई थी. यह एक औषधीय फूल है.

  • ब्रह्म कमल को सूखाकर कैंसर रोग के लिए दवा बनाई जाती है.
  • ब्रह्म कमल से निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिटती है.
  • ब्रह्म कमल से पुरानी खांसी भी काबू में हो जाती है.
  • ब्रह्म कमल के खिलने के समय ब्रह्म देव और त्रिशुल की आकृति बनकर उभरती है.
  • यह ब्रह्म कमल हिमालय में 17 हजार फीट की उंचाई पर मिलता है.

इसके साथ ही किसी के घर में इस फूल के खिलने से उसे भाग्यशाली माना जाता है. यह उसे सुख समृद्धि से भर देता है. इस फूल को न तो बेचा जाता है और न ही खरीदा जाता है. इसे सिर्फ भगवान को चढ़ाया जाता है. यह फूल गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ में खिलता है. सरोज देवी ने बताया कि इन दोनों फूलों को ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में चढ़ा दिया है.

ये भी पढ़ें: कश्मीर घाटी के बारामूला में आतंकी मुठभेड़ में हिमाचल का सपूत शहीद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.