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2007 से भाजपा का गढ़ रहा हमीरपुर, इस बार त्रिकोणीय मुकाबला

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार हमीरपुर सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. त्रिकोणीय मुकाबले में कौन जीतेगा यह कहना तो अभी मुश्किल है. भाजपा में जहां बगावत साफ दिखाई दे रही है. वहीं, कांग्रेस ने या चेहरा चुनावी मैदान में उतारा है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार हार-जीत का अंतर काफी कम हो सकता है. (himachal-assembly-election-2022)

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Published : Oct 28, 2022, 7:57 AM IST

2007 से भाजपा का गढ़ रहा है हमीरपुर
2007 से भाजपा का गढ़ रहा है हमीरपुर

हमीरपुर: विधानसभा क्षेत्र में इस दफा मुकाबला त्रिकोणीय होगा. हमीरपुर के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. साल 2003 में भी इस विधानसभा क्षेत्र पर भाभी और देवर की सियासी जंग जनता देख चुकी है. उस दौरान भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर ने भाजपा के खिलाफ बागी होकर मित्र मंडल से चुनाव लड़ा था. साल 2003 के चुनावों में उनकी भाभी उर्मिल ठाकुर को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में देवर भाभी के सियासी लड़ाई में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस फायदे में रही थी. (himachal-assembly-election-2022)

भाजपा में बगावत: एक बार फिर भाजपा ने विधायक नरेंद्र ठाकुर को यहां से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है ,लेकिन मुकाबला फिर तिकोना है. भाजपा से ही ताल्लुक रखने वाले प्रदेश गौ सेवा आयोग के सदस्य आशीष शर्मा भी चुनावी मैदान में हैं और लंबे समय से विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. ठाकुर जगदेव के परिवार का इस सीट पर प्रभाव रहा है ,लेकिन इस बार दो युवा चेहरे इस परिवार को टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से भी नया चेहरा डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा के रूप में चुनावी मैदान में उतारा गया है. (Revolt in Hamirpur BJP)

8 बार भाजपा का कब्जा: ठाकुर जगदेव चंद और धूमल ने भी इस सीट से लड़ा है चुनाव हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद की रोचक रहा है. जीत और हार के साथ ही भागौलिक परिस्थितियां में बदलाव और विधानसभा डिलिमिटेशन के कारण क्षेत्रों के गठजोड़ भी चर्चा में रहे हैं. साल 1982 से इस सीट पर भाजपा का अधिक दबादबा देखने को मिला है. पिछले 9 विधानसभा चुनावों में से भाजपा ने 8 और कांग्रेस ने एक दफा जीत हासिल की है. (himachal-assembly-election-2022)

जगदेव चंद चार बार भाजपा विधायक रहे : भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदेव चंद इस विधानसभा क्षेत्र से 1982 से लेकर 1993 तक चार दफा लगातार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे. जगदेव चंद 1977 में वह जनता पार्टी के विधायक भी रहे हैं. 1993 में विधायक रहते जगदेव चंद के निधन के बाद भाजपा ने उपचुनाव में उनके बेटे नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस की अनिता वर्मा से चुनाव हार गए. 1998 के विस चुनाव में भाजपा ने जगदेव चंद की बहू और वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर की भाभी उर्मिल ठाकुर को कांग्रेस की प्रत्याशी अनिता वर्मा के खिलाफ मैदान में उतारा उर्मिल ने इस चुनाव में 4190 मतों से जीत हासिल की.

2007 से लगातार जीत रही भाजपा: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने साल 2012 में यहां से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. धूमल सरकार तो रिपीट नहीं करवा पाए ,लेकिन इस सीट से वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे. इस विधानसभा क्षेत्र में महिला नेताओं का दबदबा भी बराबर देखने को मिला है. कांग्रेस नेता अनिता वर्मा और भाजपा नेता उर्मिल ठाकुर 2-2 दफा इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक रही. वर्तमान में पूर्व मंत्री जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर यहां से भाजपा के टिकट पर विधायक हैं. साल 2007 से भाजपा यहां पर लगातार जीत हासिल कर रही है. (BJP occupied Hamirpur since 2007)

2003 में देवर-भाभी के बीच मुकाबला: इस विधानसभा क्षेत्र से अभी तक किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल नहीं की है. हालांकि, 2003 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर विधायक नरेंद्र ठाकुर ने अपनी भाभी उर्मिल ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा था. नरेंद्र ठाकुर 10290 मत हासिल करने के साथ ही तीसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा और परिवार की इस लड़ाई में कांग्रेस फायदे में रही थी और अनिर्ता वर्मा ने 6865 मतों से विजयी बनी थी.

आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती: भाजपा से ताल्लुक रखने वाले आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा दोनों ही दलों के लिए चुनौती बन कर उभरे हैं. भाजपा में टिकट की दौड़ में शामिल होने के बाद आशीष शर्मा ने कांग्रेस के बैनर तले नामांकन किया था. उन्होंने कांग्रेस के राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला के समक्ष पार्टी को ज्वाइन किया और इसके बाद कांग्रेस के बैनर तले 21 अक्टूबर को नामांकन भी दाखिल कर दिया था ,लेकिन अगले ही दिन कांग्रेस से इस्तीफा दिया और आजाद चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ऐसे में यह माना जा रहा है कि आशीष शर्मा भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी वोट की दृष्टि से नुकसान पहुंचा सकते हैं. सम्मेलनों में हजारों की भीड़ जुटाकर आशीष शर्मा ने अपनी सियासी ताकत का एहसास भी करवाया, जिससे इस बार मुकाबला तिकोना होने के पूरी संभावना बनी हुई है. (Interesting contest in Hamirpur assembly 2022)

94 बूथ पर 75204 मतदाता: हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 40 पंचायतें और 94 बूथ हैं. रोचक बात यह है कि एक दशक पहले तक इस विधानसभा क्षेत्र की भागौलिक परिस्थितियां बेहद ही अलग थी. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में साल 2012 तक हमीरपुर और सुजानपुर दोनों शहर शामिल थे. 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन के बाद 86 बूथ वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में 8 और बूथ जुड़ गए. हालांकि ,अब सुजानपुर शहर इसमें शामिल नहीं है. सुजानपुर नगर परिषद अब सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 75204 हैं. जिसमें 37340 पुरुष और 37864 महिला मतदाता शामिल हैं. हालांकि ,अभी लगातार पात्र मतदाताओं के पहचान पत्र बनान की प्रक्रिया जारी है. डिलिमिटेशन से हमीरपुर के 53 बूथ मेवा भोरंज के 16 बूथ और बमसन सुजानपुर के 25 बूथ अब इसमें शामिल हैं. (75204 voters in Hamirpur) (94 booths in hamirpur)

महज एक बार हुआ उपचुनाव, कांग्रेस ने मारी थी बाजी: दिसंबर 1993 में भाजपा के दिग्गज नेता जगदेव चंद के निधन के बाद मई 1994 में उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में कांग्रेस नेता अनिता वर्मा ने जीत हासिल की और स्वर्गीय जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा था. नरेंद्र ठाकुर वर्तमान में हमीरपुर के विधायक है. नरेंद्र ने कांग्रेस टिकट पर इस सीट से भाजपा के तत्तकालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. कांग्रेस टिकट पर तो नरेंद्र ठाकुर चुनाव हार गए ,लेकिन 2017 में भाजपा ने उन्हें इस सीट से प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की.

कितना होता है मतदान, क्या रहता जीत का मार्जिन: लगातार बढ़ते मतदाताओं की संख्या के बावजूद हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में टर्नआउट 65 से 70 फीसदी के बीच ही रहता है. 2007 में 65 प्रतिशतए 2012 में 67 प्रतिशत व 68 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था. यहां पर हार जीत का मतातंर भी पिछले तीन चुनावों में 6 से 9 हजार के बीच में ही रहा है. 75 हजार मतदाताओं वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में इस दफा भी 50 से 55 हजार के लगभग पोलिंग होने की उम्मीद हैं. (hamirpur assembly election data)

पिछले चार विधानसभा चुनावों में यह रहा है हार जीत का मानचित्र

साल 2003 जीत मतातंर 6865
कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा 20749 मत लेकर विजयी बनी.
भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर को 16413 मत प्राप्त हुए.
त्रिकोणीय मुकाबले में आजाद नरेंद्र ठाकुर ने 10290 मत लिए.

साल 2007, जीत मतातंर 6961
भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर 26378 मत लेकर विजयी बनी.
कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 19417 मत प्राप्त हुए.

साल 2012, जीत मतातंर 9302
भाजपा के प्रेम कुमार धूमल 25567 मत लेकर विजयी बने.
कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर को 16265 मत प्राप्त हुए.

साल 2017, जीत मतातंर 7231
भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर ने 25854 मत लेकर विजयी बने.
कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 18623 मत मिले.

ये भी पढ़ें : 30 अक्टूबर से बीजेपी करेगी धुआंधार प्रचार, सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी रैलियां और जनसभाएं

हमीरपुर: विधानसभा क्षेत्र में इस दफा मुकाबला त्रिकोणीय होगा. हमीरपुर के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. साल 2003 में भी इस विधानसभा क्षेत्र पर भाभी और देवर की सियासी जंग जनता देख चुकी है. उस दौरान भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर ने भाजपा के खिलाफ बागी होकर मित्र मंडल से चुनाव लड़ा था. साल 2003 के चुनावों में उनकी भाभी उर्मिल ठाकुर को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में देवर भाभी के सियासी लड़ाई में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस फायदे में रही थी. (himachal-assembly-election-2022)

भाजपा में बगावत: एक बार फिर भाजपा ने विधायक नरेंद्र ठाकुर को यहां से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है ,लेकिन मुकाबला फिर तिकोना है. भाजपा से ही ताल्लुक रखने वाले प्रदेश गौ सेवा आयोग के सदस्य आशीष शर्मा भी चुनावी मैदान में हैं और लंबे समय से विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. ठाकुर जगदेव के परिवार का इस सीट पर प्रभाव रहा है ,लेकिन इस बार दो युवा चेहरे इस परिवार को टक्कर दे रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से भी नया चेहरा डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा के रूप में चुनावी मैदान में उतारा गया है. (Revolt in Hamirpur BJP)

8 बार भाजपा का कब्जा: ठाकुर जगदेव चंद और धूमल ने भी इस सीट से लड़ा है चुनाव हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद की रोचक रहा है. जीत और हार के साथ ही भागौलिक परिस्थितियां में बदलाव और विधानसभा डिलिमिटेशन के कारण क्षेत्रों के गठजोड़ भी चर्चा में रहे हैं. साल 1982 से इस सीट पर भाजपा का अधिक दबादबा देखने को मिला है. पिछले 9 विधानसभा चुनावों में से भाजपा ने 8 और कांग्रेस ने एक दफा जीत हासिल की है. (himachal-assembly-election-2022)

जगदेव चंद चार बार भाजपा विधायक रहे : भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदेव चंद इस विधानसभा क्षेत्र से 1982 से लेकर 1993 तक चार दफा लगातार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे. जगदेव चंद 1977 में वह जनता पार्टी के विधायक भी रहे हैं. 1993 में विधायक रहते जगदेव चंद के निधन के बाद भाजपा ने उपचुनाव में उनके बेटे नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस की अनिता वर्मा से चुनाव हार गए. 1998 के विस चुनाव में भाजपा ने जगदेव चंद की बहू और वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर की भाभी उर्मिल ठाकुर को कांग्रेस की प्रत्याशी अनिता वर्मा के खिलाफ मैदान में उतारा उर्मिल ने इस चुनाव में 4190 मतों से जीत हासिल की.

2007 से लगातार जीत रही भाजपा: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने साल 2012 में यहां से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. धूमल सरकार तो रिपीट नहीं करवा पाए ,लेकिन इस सीट से वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे. इस विधानसभा क्षेत्र में महिला नेताओं का दबदबा भी बराबर देखने को मिला है. कांग्रेस नेता अनिता वर्मा और भाजपा नेता उर्मिल ठाकुर 2-2 दफा इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक रही. वर्तमान में पूर्व मंत्री जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर यहां से भाजपा के टिकट पर विधायक हैं. साल 2007 से भाजपा यहां पर लगातार जीत हासिल कर रही है. (BJP occupied Hamirpur since 2007)

2003 में देवर-भाभी के बीच मुकाबला: इस विधानसभा क्षेत्र से अभी तक किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल नहीं की है. हालांकि, 2003 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर विधायक नरेंद्र ठाकुर ने अपनी भाभी उर्मिल ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा था. नरेंद्र ठाकुर 10290 मत हासिल करने के साथ ही तीसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा और परिवार की इस लड़ाई में कांग्रेस फायदे में रही थी और अनिर्ता वर्मा ने 6865 मतों से विजयी बनी थी.

आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती: भाजपा से ताल्लुक रखने वाले आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा दोनों ही दलों के लिए चुनौती बन कर उभरे हैं. भाजपा में टिकट की दौड़ में शामिल होने के बाद आशीष शर्मा ने कांग्रेस के बैनर तले नामांकन किया था. उन्होंने कांग्रेस के राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला के समक्ष पार्टी को ज्वाइन किया और इसके बाद कांग्रेस के बैनर तले 21 अक्टूबर को नामांकन भी दाखिल कर दिया था ,लेकिन अगले ही दिन कांग्रेस से इस्तीफा दिया और आजाद चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ऐसे में यह माना जा रहा है कि आशीष शर्मा भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी वोट की दृष्टि से नुकसान पहुंचा सकते हैं. सम्मेलनों में हजारों की भीड़ जुटाकर आशीष शर्मा ने अपनी सियासी ताकत का एहसास भी करवाया, जिससे इस बार मुकाबला तिकोना होने के पूरी संभावना बनी हुई है. (Interesting contest in Hamirpur assembly 2022)

94 बूथ पर 75204 मतदाता: हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 40 पंचायतें और 94 बूथ हैं. रोचक बात यह है कि एक दशक पहले तक इस विधानसभा क्षेत्र की भागौलिक परिस्थितियां बेहद ही अलग थी. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में साल 2012 तक हमीरपुर और सुजानपुर दोनों शहर शामिल थे. 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन के बाद 86 बूथ वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में 8 और बूथ जुड़ गए. हालांकि ,अब सुजानपुर शहर इसमें शामिल नहीं है. सुजानपुर नगर परिषद अब सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 75204 हैं. जिसमें 37340 पुरुष और 37864 महिला मतदाता शामिल हैं. हालांकि ,अभी लगातार पात्र मतदाताओं के पहचान पत्र बनान की प्रक्रिया जारी है. डिलिमिटेशन से हमीरपुर के 53 बूथ मेवा भोरंज के 16 बूथ और बमसन सुजानपुर के 25 बूथ अब इसमें शामिल हैं. (75204 voters in Hamirpur) (94 booths in hamirpur)

महज एक बार हुआ उपचुनाव, कांग्रेस ने मारी थी बाजी: दिसंबर 1993 में भाजपा के दिग्गज नेता जगदेव चंद के निधन के बाद मई 1994 में उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में कांग्रेस नेता अनिता वर्मा ने जीत हासिल की और स्वर्गीय जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा था. नरेंद्र ठाकुर वर्तमान में हमीरपुर के विधायक है. नरेंद्र ने कांग्रेस टिकट पर इस सीट से भाजपा के तत्तकालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. कांग्रेस टिकट पर तो नरेंद्र ठाकुर चुनाव हार गए ,लेकिन 2017 में भाजपा ने उन्हें इस सीट से प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की.

कितना होता है मतदान, क्या रहता जीत का मार्जिन: लगातार बढ़ते मतदाताओं की संख्या के बावजूद हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में टर्नआउट 65 से 70 फीसदी के बीच ही रहता है. 2007 में 65 प्रतिशतए 2012 में 67 प्रतिशत व 68 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था. यहां पर हार जीत का मतातंर भी पिछले तीन चुनावों में 6 से 9 हजार के बीच में ही रहा है. 75 हजार मतदाताओं वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में इस दफा भी 50 से 55 हजार के लगभग पोलिंग होने की उम्मीद हैं. (hamirpur assembly election data)

पिछले चार विधानसभा चुनावों में यह रहा है हार जीत का मानचित्र

साल 2003 जीत मतातंर 6865
कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा 20749 मत लेकर विजयी बनी.
भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर को 16413 मत प्राप्त हुए.
त्रिकोणीय मुकाबले में आजाद नरेंद्र ठाकुर ने 10290 मत लिए.

साल 2007, जीत मतातंर 6961
भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर 26378 मत लेकर विजयी बनी.
कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 19417 मत प्राप्त हुए.

साल 2012, जीत मतातंर 9302
भाजपा के प्रेम कुमार धूमल 25567 मत लेकर विजयी बने.
कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर को 16265 मत प्राप्त हुए.

साल 2017, जीत मतातंर 7231
भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर ने 25854 मत लेकर विजयी बने.
कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को 18623 मत मिले.

ये भी पढ़ें : 30 अक्टूबर से बीजेपी करेगी धुआंधार प्रचार, सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी रैलियां और जनसभाएं

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