हमीरपुर: जिला के मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 50 नर्सों को आउट सोर्स व्यवस्था के तहत तैनाती दी गई है. ये तैनाती दिहाड़ीदारों की तर्ज पर दी गई है. इसमें चयनित नर्सों का इंटरव्यू लेने के लिए न कोई मेडिकल विशेषज्ञ तैनात किया गया था और न ही मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की तरफ से इंटरव्यू प्रक्रिया की कोई निगरानी की गई.
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि आउट सोर्स के माध्यम से दी जाने वाली नियुक्तियों में उनकी कोई भूमिका नहीं है. अगर नियुक्ति के बाद प्रबंधन को ऐसा लगता है कि कोई नर्स योग्य नहीं है तो इस बारे में बदलाव के लिए एजेंसी को सूचित किया जाएगा.
हालांकि मेडिकल कॉलेज में ही तैनात एक नर्स ने सवाल करते हुए कहा कि क्या एक ठेकेदार नर्स का इंटरव्यू लेने के लिए सक्षम है. क्या ये आउटसोर्सिंग की व्यवस्था उन अभिभावकों के साथ धोखा नहीं है जिन्होंने लाखों रुपये खर्च कर अपनी बेटियों से नर्सिंग की पढ़ाई करवाई है.
बता दें कि आउटसोर्स एजेंसी ने 50 नर्सों का चयन कर इसकी लिस्ट मेडिकल कॉलेज हमीरपुर प्रबंधन को सौंपी और दावा किया जा रहा है कि पिछले गुरुवार को इन नर्सों ने मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में ज्वाइन कर लिया है. हालांकि आउट सोर्स एजेंसी का ये दावा धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. अभी तक मेडिकल कॉलेज में महज पहले से तैनात 29 नर्स ही ड्यूटी दे रही हैं.
सवाल ये भी है कि अगर आउटसोर्सिंग एजेंसी के तर्क को मान लिया जाए कि एक महीना पहले ही नर्सों के इन पदों के लिए इंटरव्यू हो चुके हैं और पिछले गुरुवार को जॉइनिंग मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में करवा दी गई है तो आखिर चयनित नर्स मेडिकल कॉलेज में सेवाएं क्यों नहीं दे रही है जबकि लंबे समय से नर्सों की कमी के कारण मेडिकल कॉलेज व्यवस्था प्रभावित हो रही है.
इसके साथ ही कॉलेज प्रबंधन के तर्क से भी कई सवाल उठ रहे हैं कि अगर नियुक्ति के बाद कोई अनहोनी किसी मरीज के साथ हो जाती है तो इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन होगा. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन या आउटसोर्सिंग कि वह व्यवस्था जिसे प्रदेश सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े विभाग में नर्सों की भर्ती के लिए भी लागू कर दिया है. इस संजीदा मसले पर सवाल उठने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन कैमरा के सामने आने को भी तैयार नहीं है.
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के प्रिंसिपल अनिल चौहान का कहना है कि वे इस बार में कुछ ज्यादा नहीं बोल सकते. ये भर्ती आउटसोर्सिंग पर की गई है. अगर मेडिकल कॉलेज को नर्स की तैनाती के बाद ये लगता है कि वे इस के योग्य नहीं है तो इस बारे में एजेंसी को सूचित कर अनिवार्य बदलाव करने के लिए कहा जाएगा.
इस बारे में आउटसोर्सिंग एजेंसी के प्रभारी सुशील कुमार का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पूरा ख्याल रखा गया है. हालांकि इसमें कोई स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ नहीं था, लेकिन भर्ती नियम पूरी तरह से फॉलो किए गए हैं और दस्तावेजों की जांच के बाद ही नियुक्ति दी गई है. पिछले महीने ही इंटरव्यू हो गए थे और मेडिकल कॉलेज में चयनित नर्सों की तैनाती कर दी गई है.
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