हमीरपुर: आंगन में शहीद बेटे अंकुश की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी थी. लोगों का हुजूम जब तक सूरज चांद रहेगा अंकुश तेरा नाम रहेगा और भारत माता की जय के नारे लगाकर अंतिम विदाई की तैयारी में लगा था. उसी दौरान कभी मां को आंगन में पहुंचकर दरवाजा खोलने की आवाज लगाने वाला दुलारा बेटा खामोश होकर ताबूत में लेटा था.
मां उमा देवी देश के लिए कुर्बान हुए बेटे की एक झलक पाने के लिए कदम-कदम पर बेहोश होकर गिर रही थी. ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ. 21 साल के बेटे का पार्थिव शरीर देखकर मां कई बार बेहोश हुई. यह मंजर कड़ोहता गांव में जिसने भी देखा भावुक हो उठा. मां ने जब जिगर के टुकड़े के अंतिम दर्शन किए फिर बेहोश होकर गिरी तो पूरा जन सैलाब रो पड़ा.
सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवा पहुंचे
वीर सपूत अंकुश की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में युवा तबका भी दूर-दराज इलाकों से शामिल होने पहुंचा. शहीद अंकुश को नम आंखों से विदाई दी. देश सेवा करना ही हमारा लक्ष्य है. युवाओं ने अंकुश की शहादत पर कहा कि चीन को जवाब दिया जाना चाहिए. भोरंज तहसील के कड़ोहता गांव के 21 वर्षीय शहीद सैनिक अंकुश ठाकुर का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अतिम संस्कार किया गया. शहीद अंकुश की चिता को उनके छोटे भाई आदित्य ने मुखाग्नि दी.
देश सेवा के लिए पढ़ाई छोड़ी
शहीद अंकुष ठाकुर निजी यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई छोड़कर भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. माता-पिता चाहते थे बेटा पहले अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी करे, लेकिन देश सेवा के जज्बे के चलते अंकुश ने पढ़ाई को बीच में छोड़कर सेना में भर्ती होना सही समझा. शहीद अंकुश ठाकुर अपने परिवार से भारतीय सेना में सेवाएं देने वाली चौथी पीढ़ी से थे. उनके पिता हवलदार अनिल कुमार, दादा ऑरनेरी कैप्टन सीता राम और परदादा भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं.
10 महीने पहले की थी ड्यूटी ज्वाइन
करीब 10 महीने पहले ही छुट्टी काटकर शहीद अंकुश ठाकुर ने सियाचिन में ड्यूटी ज्वाइन की थी, लेकिन 15 जून की रात भारत-चीन एलएसी के पास गलवान में चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सेना पर हमला कर दिया. इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए. उनमे अंकुश भी शामिल थे.