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राजेंद्र राणा ने सरकार पर साधा निशाना, बोले: मौत से बेखौफ हो रहे किसानों का बढ़ रहा आक्रोश

सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि संघर्ष कर रहे किसानों को सरकार दुश्मन मान बैठी है. सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता के बाद कटुता और आक्रोश दोनों पक्षों में बढ़ा है.

MLA congress rajinder rana
विधायक कांग्रेस राजेंद्र राणा
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Published : Jan 11, 2021, 7:25 PM IST

हमीरपुर: सरकार की ताकत से बेखौफ दिल्ली के सड़क पर ठंड से ठिठुर और मर रहे किसानों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष व सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही. कांग्रेस विधायक राणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि संघर्ष कर रहे किसानों को सरकार दुश्मन मान बैठी है. सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता के बाद कटुता और आक्रोश दोनों पक्षों में बढ़ा है.

देश में दंगे भकड़ने पर सरकार होगी जिम्मेवार

अब पंजाब-हरियाणा के कई शहरों से पुलिस की मुठभेड़ की खबरें राजहठ के कारण समाज को खतरनाक स्थिति में पहुंचाने लगी है. ऐसे में अगर दिल्ली के द्वारों पर डटे हुए किसान संगठनों का सब्र टूट जाए तो कोई हैरत नहीं होगी. राजेंद्र राणा ने कहा कि सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि अगर किसानों के सब्र का बांध टूटता है, तो देश में दंगों की खतरनाक स्थिति बन सकती है, जिसकी सीधी जिम्मेदारी व जवाबदेही बीजेपी सरकार की होगी.

स्थिति की गंभीरता को समझे सरकार

सरकार की किसानों के आंदोलन को लेकर स्थिति की गंभीरता को समझना होगा. जिस तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के गांव में आयोजित महा पंचायत के जलसे को किसानों के आक्रोश ने ध्वस्त किया है और उन्हें जलसा स्थगित करना पड़ा. इस घटनाक्रम से विस्फोटक हो रही स्थिति की गंभीरता को समझने में सरकार भले ही नाकाम रही हो, लेकिन देश की जनता विस्फोटक होती जा रही. इस स्थिति से दहशत में है. करनाल में किसानों के नाम पर जो कुछ घटा है, वह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है. अभी तक किसान आंदोलन गांधीवादी, अहिंसक व अनुशासित रहा है.

लोकतंत्र की छवि हो रही धूमिल

किसान आंदोलन में बीजेपी को भी आदर्श व्यवहार का पाठ पढ़ाया है, लेकिन किसानों के टूटते सब्र के बीच बढ़ रही मुठभेड़ की घटनाएं अब खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रही हैं, जिससे दुनिया भर में देश के लोकतंत्र की छवि लगातार बिगड़ती जा रही है. अगर किसान जत्थेबंदियों के नेता धरनों और वार्ता के जरिए अपना पक्ष पेश कर रहे हैं, तो संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा यह बताती है कि उनके पक्ष को सरकार गंभीरता से सुने.

सरकार का तानाशाह रवैया बरकरार

राजेंद्र राणा ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष व विपक्ष को अपनी बात कहने की समान छूट होती है, लेकिन बीजेपी सरकार में विपक्ष और जनता के संवाद व पक्ष को सुनने के बजाए तानाशाह रवैया बरकरार है. देश के किसी भी नागरिक की समझ में अभी तक यह नहीं आता है कि सरकार अपनी जिद्द पर क्यों अढ़ी हुई है. सरकार किसानों के उग्र होते आंदोलन को देखते हुए या तो कोई रास्ता निकलने तक कृषि किसानों को स्थगित करे या राज्यों को उसे लागू करने की छूट दे दे तो यह देशहित में बेहतर होगा, लेकिन अगर बीजेपी हूकुमत अपनी मनमानी पर ही उतारू रहती है तो आने वाला समय देशहित में घातक होगा, यह निश्चित है.

पढ़ें: हिमाचल: बर्ड फ्लू से अब तक 4,324 प्रवासी और 215 अन्य पक्षियों की मौत

हमीरपुर: सरकार की ताकत से बेखौफ दिल्ली के सड़क पर ठंड से ठिठुर और मर रहे किसानों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष व सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही. कांग्रेस विधायक राणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि संघर्ष कर रहे किसानों को सरकार दुश्मन मान बैठी है. सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता के बाद कटुता और आक्रोश दोनों पक्षों में बढ़ा है.

देश में दंगे भकड़ने पर सरकार होगी जिम्मेवार

अब पंजाब-हरियाणा के कई शहरों से पुलिस की मुठभेड़ की खबरें राजहठ के कारण समाज को खतरनाक स्थिति में पहुंचाने लगी है. ऐसे में अगर दिल्ली के द्वारों पर डटे हुए किसान संगठनों का सब्र टूट जाए तो कोई हैरत नहीं होगी. राजेंद्र राणा ने कहा कि सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि अगर किसानों के सब्र का बांध टूटता है, तो देश में दंगों की खतरनाक स्थिति बन सकती है, जिसकी सीधी जिम्मेदारी व जवाबदेही बीजेपी सरकार की होगी.

स्थिति की गंभीरता को समझे सरकार

सरकार की किसानों के आंदोलन को लेकर स्थिति की गंभीरता को समझना होगा. जिस तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के गांव में आयोजित महा पंचायत के जलसे को किसानों के आक्रोश ने ध्वस्त किया है और उन्हें जलसा स्थगित करना पड़ा. इस घटनाक्रम से विस्फोटक हो रही स्थिति की गंभीरता को समझने में सरकार भले ही नाकाम रही हो, लेकिन देश की जनता विस्फोटक होती जा रही. इस स्थिति से दहशत में है. करनाल में किसानों के नाम पर जो कुछ घटा है, वह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है. अभी तक किसान आंदोलन गांधीवादी, अहिंसक व अनुशासित रहा है.

लोकतंत्र की छवि हो रही धूमिल

किसान आंदोलन में बीजेपी को भी आदर्श व्यवहार का पाठ पढ़ाया है, लेकिन किसानों के टूटते सब्र के बीच बढ़ रही मुठभेड़ की घटनाएं अब खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रही हैं, जिससे दुनिया भर में देश के लोकतंत्र की छवि लगातार बिगड़ती जा रही है. अगर किसान जत्थेबंदियों के नेता धरनों और वार्ता के जरिए अपना पक्ष पेश कर रहे हैं, तो संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा यह बताती है कि उनके पक्ष को सरकार गंभीरता से सुने.

सरकार का तानाशाह रवैया बरकरार

राजेंद्र राणा ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष व विपक्ष को अपनी बात कहने की समान छूट होती है, लेकिन बीजेपी सरकार में विपक्ष और जनता के संवाद व पक्ष को सुनने के बजाए तानाशाह रवैया बरकरार है. देश के किसी भी नागरिक की समझ में अभी तक यह नहीं आता है कि सरकार अपनी जिद्द पर क्यों अढ़ी हुई है. सरकार किसानों के उग्र होते आंदोलन को देखते हुए या तो कोई रास्ता निकलने तक कृषि किसानों को स्थगित करे या राज्यों को उसे लागू करने की छूट दे दे तो यह देशहित में बेहतर होगा, लेकिन अगर बीजेपी हूकुमत अपनी मनमानी पर ही उतारू रहती है तो आने वाला समय देशहित में घातक होगा, यह निश्चित है.

पढ़ें: हिमाचल: बर्ड फ्लू से अब तक 4,324 प्रवासी और 215 अन्य पक्षियों की मौत

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