हमीरपुर: पोते रोहिन की शादी की तैयारियों में जुटी 82 वर्षीय दादी मां शुक्रवार रात को मिष्ठान तैयार कर गांव वालों को बांट रही थी. गांव के कई परिवारों को मिष्ठान बांट दिए थे और कई लोगों को शनिवार को पोते के शादी के निमंत्रण के साथ यह मिष्ठान बांटे जाने थे, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था.
जब दादी मां पोते की शादी के लिए गांव वालों को निमंत्रण दे रही थी तो वहीं दूसरी तरफ शहीद रोहिन ठाकुर दुश्मनों से बॉर्डर पर लोहा ले रहा था. परिवार बेटे को सेहरे में देखने के सपने संजो रहा था, लेकिन अगले ही दिन बेटा तिरंगे में लिपटा घर पहुंचा.
पंचायत के उप प्रधान संजीव शर्मा का कहना है कि शहीद वीर सपूत की बुजुर्ग दादी शुक्रवार को मिष्ठान बांटकर गांव वालों को शादी का निमंत्रण दे रही थी. रोहिन के ननिहाल को भी इस दिन ही निमंत्रण दिया गया था.
आधे गांव को निमंत्रण शुक्रवार शाम को परिवार ने दे दिया था, जबकि बचे हुए परिवारों को निमंत्रण देने के लिए मिष्ठान घर में रखे हुए थे. यह मिष्ठान शनिवार को गांव वालों को निमंत्रण के साथ बांटे जाने थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और शहीद बेटा तिरंगे में लिपटा घर आया.
आपको बता दें कि नवंबर महीने में शहीद रोहिन ठाकुर की शादी तय थी. शुक्रवार को ड्यूटी पर जाने से कुछ समय पहले ही उसकी बात परिजनों से हुई थी. शादी की तैयारियों को लेकर परिजनों से बातचीत हुई और ननिहाल को न्योता देने की भी जानकारी वीर सपूत को दी गई थी. परिजन बेटे को सेहरे में देखने के सपने संजो रहे थे, लेकिन वीर सपूत तिरंगे में लिपटा घर आया. शहादत पर गांव ही नहीं बल्कि अंतिम यात्रा में पहुंचे सैकड़ों लोगों की आंखें भी नम थी.
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