बड़सर/हमीरपुर: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं. इस बीच श्रद्धालुओं को मंदिर में बाबा बालक नाथ को प्रिय माने जाने वाले रोट (प्रसाद) को ले जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. हालांकि श्रद्धालु घर को प्रसाद ले जा सकते हैं, लेकिन बाबा के दरबार में ले जाने की अनुमति नहीं है.
स्थानीय दुकानदारों ने श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रसाद ले जाने की अनुमति दी जाने की मांग उठाई है. ट्रस्टी और बाजार कमेटी के अध्यक्ष का तर्क है कि प्रसाद को अंदर ले जाने की अनुमति दी जाए ताकि श्रद्धालु बाबा जी को प्रसाद और रोट दिखाकर इसे अपने घर ले जा सकें.
आपको बता दें कि इस बार बाबा बालक नाथ के चैत्र मास मेले भी जो दो महीने तक चलते हैं, वह भी महज चार दिन तक ही चल पाए थे, जिस वजह से लाखों का नुकसान दुकानदारों को उठाना पड़ा था.
वहीं, अब बाजार कमेटी एवं ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मंदिर परिसर में प्रसाद ना ले जाने की शर्त में राहत देने की मांग उठाई है. दियोटसिद्ध मंदिर परिसर बाजार कमेटी के प्रधान संजय कुमार ने कहा कि श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रसाद ले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु बाबा बालक नाथ की प्रिय रोट को उन्हें दिखा दें, इसके बाद अपने घर ले जा सकें. इतनी अनुमति दी जानी चाहिए ताकि उनका रोजगार भी चल सके.
साथ ही ट्रस्टी पवन जगोता ने कहा कि 173 दिन के बाद बाबा बालक नाथ का दरबार श्रद्धालुओं के लिए खुल रहा हैं, मंदिर न्यास के परिसर में दर्जनों दुकानें है और इन दुकानों को चलाने वाले दुकानदारों का व्यवसाय सीधे तौर पर श्रद्धालुओं से जुड़ा था. मंदिर के बंद होने से इन दुकानदारों को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इनका रोजगार लगभग बंद हो गया था. अब मंदिर खुलने से इनका रोजगार एक बार फिर से शुरू होने की उम्मीद है.
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