हमीरपुर: नववर्ष 2023 से 'बाल योगी' बाबा बालक नाथ स्वर्ण सिहांसन पर विराजेंगे. सिद्ध परंपराओं के समवाहक व बाबा बालक नाथ के साक्षात प्रतिनिधि महंत श्री श्री श्री 1008 राजेंद्र गिर महाराज के प्रयासों व मंदिर प्रशासन के सामंजस्य व सहयोग से बाबा बालक नाथ की परम पावन व साक्षात मूर्त को स्वर्ण सिंहासन मुहैया करवाया गया है. इससे पहले बाबा बालक नाथ की पावन गुफा में सोने का दरवाजा लगवाया गया था.
महंत श्री श्री श्री की प्रेरणा के कारण श्रद्धालुओं के सहयोग से बाबा की परम पावन गुफा को स्वर्णमय बनाया जा रहा है. यह तमाम कार्य बाबा बालक नाथ के प्रति आगाध श्रद्धा व अटूट विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं के सहयोग से किया जा रहा है, लेकिन इसमें दिलचस्प व हैरतअंगेज यह है कि पहली मर्तबा मंदिर ट्रस्ट प्रशासन के आपसी सौहार्द सामंजस्य व परस्पर समझ के कारण मंदिर में उन कार्यों को अंजाम दिया जाने लगा है जो कि पूर्व में आपसी तनातनी के चलते लगातार अटकते व लटकते आ रहे थे. (Baba Balak Nath Temple Hamirpur) (know the story of baba balak nath ji)
इसी कड़ी में मंदिर के आधुनिक लंगर भवन में श्रद्धालुओं को सम्मान के साथ लजीज लंगर खिलाने के लिए स्टील की चौकियों का प्रबंध भी किया गया है, जबकि बैठ न पाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी अलग से खड़े या बैठकर लंगर प्रसाद ग्रहण करने की बेहतर व्यवस्था की गई है. यह व्यवस्था भी सात समंदर पार बाबा बालक नाथ के यूके स्थित मंदिर एक निवास की श्रद्धावान महिला माता कमलजीत व श्रद्धालुओं के सहयोग व महंत श्री की प्रेरणा से की गई है.
ज्ञात रहे कि बाबा बालक नाथ व सिद्ध परंपराओं के प्रचार-प्रसार के लिए महंत श्री देश और दुनिया के भ्रमण पर जा कर भारतीय मूल व विदेशी श्रद्धालुओं को प्राचीन सिद्ध परंपराओं के आलौकिक व सिद्ध पद्धति प्रदान करते आ रहे हैं. जिस कारण से देश और दुनिया में बाल योगी बाबा बालक नाथ का पुण्य प्रताप व ख्याति लगातार बढ़ती जा रही है. लंगर हाल में यह बेहतर व अनुकरणीय व्यवस्था सात समंदर पार के श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लाखों रुपए के खर्चे के बाद लंगर भवन में स्थापित की गई है. (Baba Balak Nath Temple Hamirpur) (know the story of baba balak nath ji) (Baba Balak Nath Temple Hamirpur)
बाबा बालक नाथ जी की दिव्य शक्तियों और उनके धाम की कहानी: हिमाचल प्रदेश में अनेकों धर्मस्थल प्रतिष्ठित हैं, जिनमें बाबा बालक नाथ धाम दियोट सिद्ध उत्तरी भारत में एक दिव्य सिद्ध पीठ है. यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोट सिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है. इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के अधीन है. हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा नौ नाथ और चौरासी सिद्ध भी हुए हैं जो सहस्त्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं. भागवत पुराण के छठे स्कंद के सातवें अध्याय में वर्णन आता है कि देवराज इंद्र की सेवा में जहां देवगण और अन्य सहायकगण थे वहीं सिद्ध भी शामिल थे. नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है. इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है.
बाबा बालक नाथ जी के बारे में प्रसिद्ध है कि इनका जन्म युगों-युगों में होता रहा है. प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार ही माना जाता है. श्रद्धालुओं में ऐसी धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई (जिला बिलासपुर) नामक स्थान पर पहुंचे थे.
शाहतलाई में ही रहने वाली माई रतनो नामक महिला ने, जिनकी कोई संतान नहीं थी इन्हें अपना धर्म का पुत्र बनाया. बाबा जी ने 12 वर्ष माई रतनो की गऊएं चराईं. एक दिन माता रतनो के ताना मारने पर बाबा जी ने अपने चमत्कार से 12 वर्ष की लस्सी व रोटियां एक पल में लौटा दीं. इस घटना की जब आस-पास के क्षेत्र में चर्चा हुई तो ऋषि-मुनि व अन्य लोग बाबा जी की चमत्कारी शक्ति से बहुत प्रभावित हुए. गुरु गोरख नाथ जी को जब से ज्ञात हुआ कि एक बालक बहुत ही चमत्कारी शक्ति वाला है तो उन्होंने बाबा बालक नाथ जी को अपना चेला बनाना चाहा परंतु बाबा जी के इंकार करने पर गोरखनाथ बहुत क्रोधित हुए. जब गोरखनाथ ने उन्हें जबरदस्ती चेला बनाना चाहा तो बाबा जी शाहतलाई से उडारी (उड़कर) मारकर धौलगिरि पर्वत पर पहुंच गए जहां आजकल बाबा जी की पवित्र सुंदर गुफा है. मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अखंड धूणा सबको आकर्षित करता है. यह धूणा बाबा बालक नाथ जी का तेज स्थल होने के कारण भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है. धूणे के पास ही बाबा जी का पुरातन चिमटा है. (Baba Balak Nath Temple Himachal)
बाबा जी की गुफा के सामने ही एक बहुत सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया है जहां से महिलाएं बाबा जी की सुंदर गुफा में प्रतिष्ठित मूर्ति के दर्शन करती हैं. सेवकजन बाबा जी की गुफा पर रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं. बताया जाता है कि जब बाबा जी गुफा में अलोप हुए तो यहां एक (दियोट) दीपक जलता रहता था जिसकी रोशनी रात्रि में दूर-दूर तक जाती थी इसलिए लोग बाबा जी को, 'दियोट सिद्ध' के नाम से भी जानते हैं.
वर्तमान समय में महंत राजिंद्र गिरि जी महाराज ही सेवा कर रहे हैं. लोगों की मान्यता है कि भक्त मन में जो भी इच्छा लेकर जाए वह अवश्य पूरी होती है. बाबा जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं इसलिए देश-विदेश व दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा जी के मंदिर में अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं.
Disclaimer: ETV BHARAT किसी भी मान्यता या कहानी की पुष्टि नहीं करता है.
ये भी पढ़ें- हिमाचल में हार के बाद पहली बार आंसू नहीं रोक पाए जयराम ठाकुर, फूट फूट कर रोए