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शहीद अंकुश ठाकुर के परिवार से मिले कौल सिंह, प्रदेश सरकार से की ये मांग

शहीद अंकुश ठाकुर को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने श्रद्धांजलि दी और अंकुश के परिजनों से मुलाकात की. कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि अंकुश ठाकुर ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है उनकी शहादत को देश और प्रदेश नहीं भूलेगा.

martyr ankush thakur family
कौल सिंह ठाकुर ने श्शहीद अंकुश ठाकुर को रद्धांजलि दी
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Published : Jun 24, 2020, 3:44 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने शहीद अंकुश ठाकुर के परिजनों से बुधवार को मुलाकात की. कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि अंकुश ठाकुर ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है उनकी शहादत को देश और प्रदेश कभी नहीं भूलेगा.

कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि शहीद अंकुश ठाकुर ने इतिहास को दोहराया है और देश के शहीद हमेशा दिलों में अमर रहते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि परिजनों और ग्रामीणों की भावनाओं को समझते हुए शीघ्र मनोह स्कूल का नाम शहीद के नाम पर किया जाए और सड़क को पक्का कर उसका नामकरण भी शहीद के नाम किया जाए.

वीडियो.

बता दें कि चीन के साथ गलवान घाटी में हमीरपुर जिले का अंकुश ठाकुर भी शहीद हो गया था. पंजाब रजिमेंट का सिपाई अंकुश महज 21 साल का था. वह साल 2018 में ही भर्ती हुआ था और 20 महीने पहले रंगरूट की छुट्टी काटकर गया था. हाल ही में उसे छुट्टी लेकर घर आना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो पाया. अंकुश का एक छोटा भाई है. इसके अलावा, अंकुश के पिता भी फौज से रिटायर हुए हैं.

गौर हो कि अंकुश के पिता और दादा भी सेना में रहे हैं, 19 साल की उम्र में अंकुश का सिलेक्शन हो गया था. अंकुश ठाकुर 2018 में सेना में भर्ती हुआ था. मेडिकल की पढ़ाई छोड़ उसने देश सेवा को प्राथमिकता दी और चीन सीमा पर शहीद हो गया. अंकुश ठाकुर के पिता अनिल कुमार और दादा सीता राम भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में मॉनसून की दस्तक, 6 जिलों में ऑरेंज अलर्ट

भोरंज/हमीरपुर: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने शहीद अंकुश ठाकुर के परिजनों से बुधवार को मुलाकात की. कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि अंकुश ठाकुर ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है उनकी शहादत को देश और प्रदेश कभी नहीं भूलेगा.

कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि शहीद अंकुश ठाकुर ने इतिहास को दोहराया है और देश के शहीद हमेशा दिलों में अमर रहते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि परिजनों और ग्रामीणों की भावनाओं को समझते हुए शीघ्र मनोह स्कूल का नाम शहीद के नाम पर किया जाए और सड़क को पक्का कर उसका नामकरण भी शहीद के नाम किया जाए.

वीडियो.

बता दें कि चीन के साथ गलवान घाटी में हमीरपुर जिले का अंकुश ठाकुर भी शहीद हो गया था. पंजाब रजिमेंट का सिपाई अंकुश महज 21 साल का था. वह साल 2018 में ही भर्ती हुआ था और 20 महीने पहले रंगरूट की छुट्टी काटकर गया था. हाल ही में उसे छुट्टी लेकर घर आना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो पाया. अंकुश का एक छोटा भाई है. इसके अलावा, अंकुश के पिता भी फौज से रिटायर हुए हैं.

गौर हो कि अंकुश के पिता और दादा भी सेना में रहे हैं, 19 साल की उम्र में अंकुश का सिलेक्शन हो गया था. अंकुश ठाकुर 2018 में सेना में भर्ती हुआ था. मेडिकल की पढ़ाई छोड़ उसने देश सेवा को प्राथमिकता दी और चीन सीमा पर शहीद हो गया. अंकुश ठाकुर के पिता अनिल कुमार और दादा सीता राम भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं.

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