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IIIT ऊना के शोधार्थियों ने तैयार की बेमिसाल ऐप, समय और पैसे की बचत के अलावा मिलेंगे ये लाभ

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना के शोधार्थियों ने अनूठी ऐप तैयार की है. शोधार्थियों ने इस ऐप को नागरिक रोग प्रतिरक्षण नाम दिया है. इस प्रोजेक्ट पर एक करोड़ से अधिक की लागत आई है. प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को इसका डेमो भी दिखाया गया है और जल्द ही इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू किया जा सकता है.

nagarik rog pratirakshan app
शोध के दौरान आईआईआईटी ऊना के शोधार्थी.
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Published : Nov 27, 2019, 4:57 AM IST

Updated : Nov 27, 2019, 8:10 AM IST

हमीरपुर: इस ऐप के माध्यम से प्रदेश के अस्पतालों में नवजात बच्चों की तमाम जानकारी को ऑनलाइन अपडेट किया जा सकेगा. इस शोध से कागजी कार्यप्रणाली से विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को निजात मिल सकेगी. इसके साथ ही इस ऐप में ऐसे कई फीचर्स ऐसे हैं, जिनसे डॉक्टरों और अभिभावकों को बच्चों की वैक्सीनेशन और बच्चों की बीमारी से जुड़ी अन्य तमाम तरह की जानकारियां एक क्लिक करने पर मिल जाएंगी.

IIIT ऊना के शोधार्थियों ने तैयार की बेमिसाल ऐप (वीडियो).

बता दें कि इस ऐप का इस्तेमाल जिला अस्पताल से लेकर ब्लॉक अस्पताल और एक आशा वर्कर तक कर सकेंगे. जहां एक तरफ इस ऐप को इस्तेमाल करने से समय की बचत होगी. वहीं, कागजी कार्यप्रणाली से मुक्ति मिलने पर पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. इस व्यवस्था को लागू होने से प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है.

कैसे काम करेगा ऐप
शोधार्थियों की मानें तो इस ऐप में न्यू बॉर्न बेबी का बायोमेट्रिक डाटा ऑनलाइन किया जाएगा. इसमें बच्चे के हाथ की उंगलियों, पैर की अंगुलियों और पंजों के निशान स्कैन कर रिकॉर्ड किए जाएंगे. इसके अलावा बच्चों से जुड़ी तमाम जानकारी इसमें फीड की जाएगी. यह संपूर्ण डाटा ऑनलाइन होगा व ऐप पर किसी भी समय डाटा चैक कर डॉक्टर भी जानकारी हासिल कर पाएगा व जरूरत के हिसाब से ऐप जरिए ही अभिभावकों को सूचित कर पाएगा.

nagarik rog pratirakshan app
शोध के दौरान आईआईआईटी ऊना के शोधार्थी.

निदेशक की निगरानी में शोधार्थियों ने तैयार की ऐप
बता दें कि ये प्रोजेक्ट ट्रिपल आईटी ऊना के निदेशक एस. सेल्वाकुमार की निगरानी में तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 8 शोधार्थियों ने शोध कार्य में हिस्सा लिया है, जिनका साथ फैकल्टी मेंबर असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यांश ठाकुर और सोनाली महाजन ने दिया है. वहीं संस्थान के 4 विद्यार्थी दीपांशु बंसल, राहुल अग्रवाल, शगुन अग्रवाल, प्रज्ञा शर्मा, जेआरएफ दिव्या, दिव्या भारती, पंकज कुमार, शशि कला, पूर्णा जोसेफिन इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में लगे हैं. ये प्रोजेक्ट को बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल ने स्पॉन्सर किया है.

जूनियर रिसर्च फेलो दिव्या भारती ने कहा कि यह प्रोजेक्ट विभागीय कार्यों में समय की बचत करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान देगा. इससे कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी और ऐप के माध्यम से ही न्यू बॉर्न बेबी का डाटा बायोमेट्रिक मोड में अस्पतालों में रजिस्टर किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से डॉक्टर और अभिभावकों को भी लाभ मिलेगा. डॉक्टर एक क्लिक पर बच्चे का पूरा डाटा जान सकेंगे कि बच्चे को वैक्सीनेशन प्राप्त हुआ है या नहीं. इसके अलावा अभिभावकों को वैक्सीनेशन से जुड़ी जानकारी इस ऐप के माध्यम से मिल सकेगी.

हमीरपुर: इस ऐप के माध्यम से प्रदेश के अस्पतालों में नवजात बच्चों की तमाम जानकारी को ऑनलाइन अपडेट किया जा सकेगा. इस शोध से कागजी कार्यप्रणाली से विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को निजात मिल सकेगी. इसके साथ ही इस ऐप में ऐसे कई फीचर्स ऐसे हैं, जिनसे डॉक्टरों और अभिभावकों को बच्चों की वैक्सीनेशन और बच्चों की बीमारी से जुड़ी अन्य तमाम तरह की जानकारियां एक क्लिक करने पर मिल जाएंगी.

IIIT ऊना के शोधार्थियों ने तैयार की बेमिसाल ऐप (वीडियो).

बता दें कि इस ऐप का इस्तेमाल जिला अस्पताल से लेकर ब्लॉक अस्पताल और एक आशा वर्कर तक कर सकेंगे. जहां एक तरफ इस ऐप को इस्तेमाल करने से समय की बचत होगी. वहीं, कागजी कार्यप्रणाली से मुक्ति मिलने पर पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. इस व्यवस्था को लागू होने से प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है.

कैसे काम करेगा ऐप
शोधार्थियों की मानें तो इस ऐप में न्यू बॉर्न बेबी का बायोमेट्रिक डाटा ऑनलाइन किया जाएगा. इसमें बच्चे के हाथ की उंगलियों, पैर की अंगुलियों और पंजों के निशान स्कैन कर रिकॉर्ड किए जाएंगे. इसके अलावा बच्चों से जुड़ी तमाम जानकारी इसमें फीड की जाएगी. यह संपूर्ण डाटा ऑनलाइन होगा व ऐप पर किसी भी समय डाटा चैक कर डॉक्टर भी जानकारी हासिल कर पाएगा व जरूरत के हिसाब से ऐप जरिए ही अभिभावकों को सूचित कर पाएगा.

nagarik rog pratirakshan app
शोध के दौरान आईआईआईटी ऊना के शोधार्थी.

निदेशक की निगरानी में शोधार्थियों ने तैयार की ऐप
बता दें कि ये प्रोजेक्ट ट्रिपल आईटी ऊना के निदेशक एस. सेल्वाकुमार की निगरानी में तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 8 शोधार्थियों ने शोध कार्य में हिस्सा लिया है, जिनका साथ फैकल्टी मेंबर असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यांश ठाकुर और सोनाली महाजन ने दिया है. वहीं संस्थान के 4 विद्यार्थी दीपांशु बंसल, राहुल अग्रवाल, शगुन अग्रवाल, प्रज्ञा शर्मा, जेआरएफ दिव्या, दिव्या भारती, पंकज कुमार, शशि कला, पूर्णा जोसेफिन इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में लगे हैं. ये प्रोजेक्ट को बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल ने स्पॉन्सर किया है.

जूनियर रिसर्च फेलो दिव्या भारती ने कहा कि यह प्रोजेक्ट विभागीय कार्यों में समय की बचत करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान देगा. इससे कागजी कार्रवाई से मुक्ति मिलेगी और ऐप के माध्यम से ही न्यू बॉर्न बेबी का डाटा बायोमेट्रिक मोड में अस्पतालों में रजिस्टर किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से डॉक्टर और अभिभावकों को भी लाभ मिलेगा. डॉक्टर एक क्लिक पर बच्चे का पूरा डाटा जान सकेंगे कि बच्चे को वैक्सीनेशन प्राप्त हुआ है या नहीं. इसके अलावा अभिभावकों को वैक्सीनेशन से जुड़ी जानकारी इस ऐप के माध्यम से मिल सकेगी.

Intro:ट्रिपल आईटी ऊना के शोधार्थियों ने तैयार किया अनूठा एप्प, साथिया विभाग के साथ डॉक्टर और अभिभावकों को मिलेगा लाभ
हमीरपुर.
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना के शोधार्थियों ने अनूठी ऐप तैयार की है। इन शोधार्थियों ने इस ऐप को नागरिक रोग प्रतिरक्षण नाम दिया है। इस प्रोजेक्ट पर एक करोड़ से अधिक की लागत आई है। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को इसका डेमो भी दिखाया गया है जल्द ही इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू किया जा सकता है। भविष्य में यह संभव है कि प्रदेश के अस्पतालों में इस ऐप के माध्यम से नवजात बच्चों की तमाम जानकारी को ऑनलाइन बायोमेट्रिक इसमें अपडेट किया जाए और कागजी कार्यप्रणाली से विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को निजात मिले। इसके साथ ही इस ऐप में ऐसे कई फीचर हैं जिससे डॉक्टर और अभिभावकों को भी बच्चों की वैक्सीनेशन और अन्य तमाम तरह की जानकारियां जो बच्चों की बीमारी से जुड़ी होती हैं एक क्लिक करने पर मिल जाएंगे। जिला अस्पताल से लेकर ब्लॉक अस्पताल और एक आशा वर्कर तक इस ऐप का इस्तेमाल कर सकेंगे। जहां एक तरफ इस ऐप को इस्तेमाल करने से समय की बचत होगी वहीं कागजी कार्यप्रणाली से मुक्ति मिलने पर पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि लाखों करोड़ों रुपए स्टेशनरी पर ही प्रदेश सरकार खर्च करती है ऐसे में यदि इस व्यवस्था को लागू किया जाता है तो लाखों करोड़ों रुपए की बचत हो सकती है।





Body:कैसे काम करेगा ऐप
शोधार्थियों की माने तो इस ऐप में न्यू बोर्न बेबी का बायोमेट्रिक डाटा ऑनलाइन किया जाएगा इसमें बच्चे के हाथ की उंगलियों पैर की अंगुलियों और पंजों के निशान स्कैन करके रिकॉर्ड किए जाएंगे। इसके अलावा बच्चों से जुड़ी तमाम जानकारी इसमें फीड की जाएगी। यह संपूर्ण डाटा ऑनलाइन होगा व ऐप पर किसी भी समय डाटा चैक कर डॉक्टर भी जानकारी हासिल कर पाएगा व जरूरत के हिसाब से ऐप जरिए ही अभिभावकों को विभिन्न जानकारी के लिए सूचित कर पाएगा।
उक्त प्रोजेक्ट को बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल ने स्पॉन्सर किया है।

निदेशक की निगरानी इन जेआरएफ और स्टूडेंट तैयार की बेमिसाल ऐप
प्रोजेक्ट ट्रिपल आईटी ऊना के निदेशक एस. सेल्वाकुमार कि निगरानी में तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 8 शोद्धार्थियों ने शोध कार्य में हिस्सा लिया है, जिनका साथ फैकल्टी मेंबर असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यांश ठाकुर और सोनाली महाजन ने दिया है। वहींं संस्थान के 4 विद्यार्थी दीपांशु बंसल, राहुल अग्रवाल, शगुन अग्रवाल, प्रज्ञा शर्मा, जे.आर.एफ . दिव्या, दिव्या भारती, पंकज कुमार, शशि कला, पूर्णा जोसेफिन उक्त प्रोजेक्ट को तैयार करने में लगे हैं।






Conclusion:बाइट

जूनियर रिसर्च फेलो दिव्या भारती ने कहा कि यह प्रोजेक्ट विभागीय कार्यों में समय की बचत करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान देगा इससे कागजी कार्यवाही से मुक्ति मिलेगी और ऐप के माध्यम से ही न्यू बोर्न बेबी का डाटा बाय मेट्रिक मोड में अस्पतालों में रजिस्टर किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से डॉक्टर और अभिभावकों को भी लाभ मिलेगा। डॉक्टर एक क्लिक पर बच्चे का पूरा डाटा जान सकेंगे कि बच्चे को वैक्सीनेशन प्राप्त हुआ है अथवा नहीं इसके अलावा अभिभावकों को वैक्सीनेशन से जुड़ी हुई जानकारी इस ऐप के माध्यम से मिल सकेगी।
Last Updated : Nov 27, 2019, 8:10 AM IST
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