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76 साल के बागवान की मेहनत लाई रंग, 40 डिग्री तापमान के बीच बड़सर में उगा दिए सेब

हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में गनोह राजपूतां गांव के 76 वर्षीय पूर्व सैनिक ओंकार ठाकुर ने अपने खेत में सेब के पौधो उगाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है. पारंपरिक तौर पर सेब पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं. जहां तापमान भी कम होता है. सेब की पैदावार के लिए चिलिंग ऑवर्स की जरूरत होती है, लेकिन हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में 76 वर्षीय भूतपूर्व सैनिक ने 40 से 42 डिग्री तापमान में भी सेब उगाकर नई मिसाल कायम की है.

apple crop in barsar of hamirpur
फोटो.
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Published : Jun 11, 2021, 7:05 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश सेब बागवानी के लिए विश्व भर में जाना जाता है. हिमाचल का सालाना सेब कारोबार 45 सौ करोड़ से अधिक का है. हिमाचल के ऊपरी इलाकों में सेब की पैदावार भारी मात्रा में होती है. यहां का मौसम सेब बागवानी के अनुकूल है, लेकिन अब निचले हिमाचल में भी लोग सेब बागवानी को अपना रहे हैं.

हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में गनोह राजपूतां गांव के 76 वर्षीय पूर्व सैनिक ओंकार ठाकुर ने अपने खेत में सेब के पौधे उगाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है. ओंकार ठाकुर के खेतों में लगे सेब के पौधे अब फल भी देने लगे हैं. ओंकार ठाकुर के खेतों में लगे सेब के पौधों को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.

वीडियो

बागवान ओंकार ठाकुर ने बताया कि चार वर्ष पहले बिलासपुर की दधोल नर्सरी से 5 सेब के पौधे लाए थे. अच्छी देखभाल से चार पौधे उच्च तापमान में भी बचे रहे. अब दूसरे साल इन पौधों पर छोटे-छोटे सेब के फल लगना शुरू हो गए थे. तीसरे साल ये पौधे सेब के फलों से लदे हुए हैं. इस बार फल का आकार भी काफी बड़ा है. ओंकार ठाकुर ने किसानों और बागवानों को संदेश देते हुए कहा कि जिन किसानों ने अपनी भूमि को बंजर छोड़ा है, वह इस तरह के फलदार पौधे अपनी जमीन में लगाकर अच्छी आजीविका भी कमा सकते हैं.

गौरतलब है कि पारंपरिक तौर पर सेब पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं. जहां तापमान भी कम होता है. सेब की पैदावार के लिए चिलिंग ऑवर्स की जरूरत होती है, लेकिन हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में 76 वर्षीय भूतपूर्व सैनिक ने 40 से 42 डिग्री तापमान में भी सेब उगाकर नई मिसाल कायम की है.

यह भी पढ़ें :- कोरोना की भेंट चढ़ा सरानाहुली मेला, सिर्फ पूजा अर्चना कर निभाई जाएंगी देव रस्में

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश सेब बागवानी के लिए विश्व भर में जाना जाता है. हिमाचल का सालाना सेब कारोबार 45 सौ करोड़ से अधिक का है. हिमाचल के ऊपरी इलाकों में सेब की पैदावार भारी मात्रा में होती है. यहां का मौसम सेब बागवानी के अनुकूल है, लेकिन अब निचले हिमाचल में भी लोग सेब बागवानी को अपना रहे हैं.

हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में गनोह राजपूतां गांव के 76 वर्षीय पूर्व सैनिक ओंकार ठाकुर ने अपने खेत में सेब के पौधे उगाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है. ओंकार ठाकुर के खेतों में लगे सेब के पौधे अब फल भी देने लगे हैं. ओंकार ठाकुर के खेतों में लगे सेब के पौधों को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.

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बागवान ओंकार ठाकुर ने बताया कि चार वर्ष पहले बिलासपुर की दधोल नर्सरी से 5 सेब के पौधे लाए थे. अच्छी देखभाल से चार पौधे उच्च तापमान में भी बचे रहे. अब दूसरे साल इन पौधों पर छोटे-छोटे सेब के फल लगना शुरू हो गए थे. तीसरे साल ये पौधे सेब के फलों से लदे हुए हैं. इस बार फल का आकार भी काफी बड़ा है. ओंकार ठाकुर ने किसानों और बागवानों को संदेश देते हुए कहा कि जिन किसानों ने अपनी भूमि को बंजर छोड़ा है, वह इस तरह के फलदार पौधे अपनी जमीन में लगाकर अच्छी आजीविका भी कमा सकते हैं.

गौरतलब है कि पारंपरिक तौर पर सेब पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं. जहां तापमान भी कम होता है. सेब की पैदावार के लिए चिलिंग ऑवर्स की जरूरत होती है, लेकिन हमीरपुर जिले के बड़सर उपमंडल में 76 वर्षीय भूतपूर्व सैनिक ने 40 से 42 डिग्री तापमान में भी सेब उगाकर नई मिसाल कायम की है.

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