हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में कथित लापरवाही के चलते अब जिला में कम्युनिटी स्प्रेडिंग का खतरा बढ़ गया है. नर्सिंग एसोसिएशन हमीरपुर की माने तो गायनी और चिल्ड्रन वार्ड में 20 अगस्त से लेकर 28 अगस्त तक कई मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है. इस दौरान वार्ड में कई मरीज कोरोना संक्रमित पाए गए थे. ऐसे में डिस्चार्ज किए गए इन मरीजों का ना तो कोरोना टेस्ट हुआ है और ना ही इन्हें प्राइमरी कांटेक्ट माना गया.
बता दें कि मामला उस समय महिला से ही जुड़ा है, जिसका सैंपल मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सर्जरी से पहले नेगेटिव पाया गया था, लेकिन बाद में महिला की तबीयत बिगड़ी और इसे टांडा रेफर कर दिया गया. यहां पर महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया और कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई.
नर्सिंग एसोसिएशन की माने तो महिला के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल को सील किया जाना था और जो मरीज दाखिल थे उनके टेस्ट किए जाने जरूरी थे, लेकिन इस दौरान कुछ मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया और विभाग के पास इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि उनका टेस्ट हुआ है या नहीं.
नर्सिंग एसोसिएशन हमीरपुर की सचिव सुमन सडयाल का कहना है कि महिला के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद तो दाखिल मरीजों के सैंपल जांच के लिए दिए गए, लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव आने के से पहले वार्ड से कई मरीज डिसचार्ज किए गए हैं. जिससे सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि महिला के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की सूचना 20 अगस्त को ही मिल गई थी, लेकिन 29 अगस्त को वार्ड को सील किया गया.
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा का कहना है कि जब किसी संस्थान में 5 या इससे अधिक मामले कोरोना पॉजिटिव के पाए जाते हैं तो ऐसे हालात में उसे बंद किया जाता है. अस्पताल में वार्ड को नियमों के अनुसार सील किया गया था और सैनिटाइजेशन का कार्य भी किया गया है.
बता दें कि हमीरपुर जिला में कोरोना के मामलों में अब लगातार इजाफा हो रहा है. जिला के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में ही दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में अब लोगों में खौफ बढ़ चुका है. फिलहाल 2 सितंबर से दोबारा मेडिकल कॉलेज में ओपीडी खोल दी जाएगी, लेकिन संक्रमण का खतरा अब पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है.