हमीरपुर: जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की एक बैठक गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामले राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने की. इसमें समिति से संबंधित विभिन्न विभागों के माध्यम से संचालित की जा रही योजनाओं एवं कार्यों की समीक्षा की गई.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पूरे विश्व में संकट पैदा हुआ है. हमीरपुर में आयुष्मान भारत योजना के तहत 53,232 कार्ड जारी किए गए हैं और अभी तक 2038 लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया है. आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 81 लाख रुपये की मुआवजा राशि का आंकलन किया गया है. इसी प्रकार हिमकेयर योजना के तहत हमीरपुर में 51,238 कार्ड जारी किए गए हैं और 9428 लाभार्थी इससे लाभान्वित हो चुके हैं.
इन पर लगभग तीन करोड़ 53 लाख रुपये की मुआवजा राशि खर्च की जा रही है. केंद्रीय राज्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि वे विभिन्न रोगों के उपचार में लक्ष्य निर्धारित करते हुए कार्य करें, ताकि टीबी, एड्स, नशामुक्ति इत्यादि के क्षेत्र में समयबद्ध परिणाम प्राप्त किए जा सकें. अनुराग ठाकुर ने टीबी उन्मूलन में हमीरपुर जिला को देश भर में दूसरा स्थान प्राप्त करने पर पूरी टीम को बधाई दी. साथ ही कहा कि जिला में दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग एवं उपकरण इत्यादि उपलब्ध करवाने की दिशा में स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मिलकर कार्य करें और एक विकास खंड को लक्षित करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ें.
हमीरपुर में कोविड-19 महामारी के नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठाए गए और अभी तक लगभग 16,223 नमूने लिए गए, जिनमें से केवल 304 लोग संक्रमित पाए गए हैं. हमीरपुर में स्वस्थ होने की दर लगभग 92 प्रतिशत रही है. कोरोना संकट से निपटने के लिए सांसद निधि से प्राप्त 15 लाख रुपये की राशि पीपीई किट्स, मास्क और सेनिटाइजर इत्यादि पर खर्च की गई है.
हमीरपुर जिला में सभी घरों तक बिजली कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं और सभी गांवों में थ्री-फेस कनेक्शन उपलब्ध करवाए गए हैं. जलशक्ति विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा गया कि जिला में जल जीवन मिशन के तहत इस वित्त वर्ष में 13 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. जिसमें से लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
इस वर्ष 16,793 परिवारों को नल लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 7513 परिवारों को यह सुविधा प्रदान की जा चुकी है. मिशन के प्रथम चरण में 22 योजनाओं पर लगभग 124 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं और दूसरे चरण में 20 योजनाओं पर लगभग 58 करोड़ रुपये व्यय किए जाने हैं.
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