हमीरपुर: पहाड़ी राज्य हिमाचल के कई जिलों में पानी की समस्या आम बात है. राजधानी शिमला जैसे शहरों में तो पीने के पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. 2018 में शिमला में पानी के लिए मची हाहाकार तो आपको याद होगी. समय के साथ-साथ पानी की समस्या से निजात के लिए अब लोग जल सरंक्षण को बढ़ावा दे रहे हैं.
लोग जरूरत को पूरा करने के लिए रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम, और छोटी-बड़ी खड्डों और नालों पर चेक डैम बनाकर पानी को बचा रहे हैं. बरसात के मौसम में पानी को संरक्षित करने के लिए हमीरपुर जिले में इसी तरह का एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया गया है.
हमीरपुर जिला के बिझड़ी क्षेत्र में स्थानीय लोगों और जल शक्ति विभाग ने बरसात के पानी का संरक्षण कार्य में अनूठी मिसाल कायम की है. यहां बनाया गया आधुनिक चेक डैम या कृत्रिम तालाब से क्षेत्र की 20 से अधिक पंचायतों की प्यास बुझाई जाएगी.
उपमंडल बड़सर के बिझड़ी क्षेत्र की झंझियानी पंचायत में सरयाली खड्ड के उपर बनाया गया यह चेक डैम प्रदेश में अपनी तरह का एकमात्र चेक डैम है. इसका निर्माण नाबार्ड के तहत जल शक्ति विभाग बड़सर ने एक करोड़ 15 लाख रुपये की लागत में किया है. इसे बनाने में झंझियानी पंचायत के लोगों का सहयोग भी रहा.
यह चेक डैम 400 मीटर लंबा और 80 मीटर चौड़ा है. हालांकि, इस डैम की कुल लंबाई 35 मीटर और ऊंचाई साढ़े पांच मीटर है, लेकिन जब यहां पानी को रोका गया तो तालाब में 400 मीटर तक पानी ठहर गया और औसतन इस तलाब की चोड़ाई भी 80 मीटर हो गई. डैम पर दो परकोलेशन टैंक बनाए गए हैं, जो पानी को फिल्टर करते हैं.
चेक डैम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी ?
बड़सर क्षेत्र की करीब 20 पंचायतों में तीन साल पहले भारी जल संकट से लोगों को जूझना पड़ा था. ना तो पीने के लिए पानी और ना ही सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता हो पाने से लोग काफी परेशान हो उठे थे. इसी क्षेत्र में उत्तरी भारत का प्रसिद्ध मंदिर दियोटसिद्ध भी आता है.
यहां पहले से ही एक उठाऊ पेयजल योजना थी, जिससे दियोटसिद्ध और अन्य पंचायतों में पानी की सप्लाई की जाती थी. इसके बावजूद इन क्षेत्रों में पानी की कमी रहती थी. खासकर जब दियोटसिद्ध में चेत्र मास मेला शुरू होता था तो इलाके में लोगों के लिए जल संकट खड़ा हो जाता था.
चेत्र मास मेलों के दौरान दियोटसिद्ध में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे. ऐसे में मंदिर में पानी की स्पालाई अधिक करनी पड़ती थी. इसी समस्या को देखते हुए सरयाली खड्ड पर चेक डैम बनाना तय किया गया. अब बरसात के पानी के संरक्षण के लिए बनाया गया कृत्रिम तालाब प्रदेश का पहला आधुनिक चेक डैम विकल्प बनकर उभरा है.
पारंपरिक तकनीक तकनीक से बना चेक डैम
प्रदेश में हमीरपुर तथा मंडी जिला में खातरियों के माध्यम से बरसात के पानी के संरक्षण की पुरानी परंपरा है. इन खातरियों का निर्माण पथरीली पहाड़ियों पर इस तरह से किया जाता है कि बरसात का पानी रिस कर बावड़ी नुमा गड्ढे में स्टोर हो जाए.
इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ही इस चेक डैम में भी दो खातरी नुमा कुंए या डैम पर दो परकोलेशन टैंक बनाए गए हैं, जो पानी को फिल्टर करते हैं. जिनमें कृत्रिम तालाब से पानी रिस कर अंदर दाखिल होता है. इस पारंपरिक तकनीक में पानी फिल्टर होकर खातरी नुमा कुंए में पहुंचता है.
इन कुओं में निकासी के लिए दो पाइपें लगाई गई हैं. इन पाइपों के माध्यम से उठाऊ पेयजल योजना दियोटसिद्ध तक फिल्टर हो चुके पानी को सप्लाई किया जाएगा. यहां से लगभग 20 पंचायतों के 66 गावों और बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध मंदिर परिसर में सप्लाई होगी. सप्लाई से पहले एक बार फिर इस पानी को फिल्टर बेड में फिल्टर किया जाएगा.
क्षेत्रवासियों को मिलेगी राहत
इस चेक डैम के बन जाने से क्षेत्रवासियों को काफी राहत मिली है. स्थानीय निवासी राकेश कुमार का कहना है कि गर्मियों के दिनों में उन्हें पेयजल संकट का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब इस विकल्प के तैयार होने से उन्हें कोई परेशानी पेश नहीं आएगी.
युवक मनीष का कहना है कि पहले गर्मियों के दिनों में कभी-कभी तो दो अथवा तीन दिन बाद पानी की सप्लाई मिलती थी, लेकिन अब इस विकल्प के तैयार होने से क्षेत्र की कई पंचायतों के लोगों को लाभ मिलेगा. वहीं, क्षेत्र के 70 वर्षीय बुजुर्ग दीनू राम का कहना है कि अब उम्मीद है कि क्षेत्र के लोगों को राहत मिलेगी.
स्थानीय युवक का नरेंद्र का कहना है कि ना सिर्फ 15 से 20 पंचायतों को इसका लाभ मिलेगा, बल्कि उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर परिसर में भी श्रद्धालुओं को पेयजल की कोई कमी पेश नहीं आएगी.
क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारी ?
आईपीएच विभाग मंडल बड़सर के अधिशासी अभियंता जितेंद्र गर्ग का कहना है कि करीब 3 वर्ष पहले क्षेत्र में गर्मियों में पेयजल का भारी संकट देखने को मिला था इसके बाद स्थानीय पंचायत के सहयोग से यहां पर यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है.
उन्होंने कहा कि नाबार्ड के तहत इस चेक डैम का निर्माण किया गया है और स्थानीय लोगों ने हर संभव मदद इसके लिए की है. यहां पर एक श्मशान घाट भी इसकी जद में कुछ हद तक आया है, लेकिन ग्रामीणों ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन तक की परवाह नहीं की है.
जल शक्ति विभाग मंडल बड़सर के कनिष्ठ अभियंता प्रेम दयाल का कहना है कि इस चेक डैम में परकोलेशन टैंक बनाए गए हैं जो पानी को फिल्टर करने का काम करेंगे. इसके साथ ही इस चेक डैम में 90 लाख से 1 करोड़ लीटर तक का पानी स्टोर है. जो गर्मियों में क्षेत्र में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए काफी है.