भोरंज/हमीरपुर: भोरंज विधायिका कमलेश कुमारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले 5 वर्षों में 5 करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (पीएमएस-एससी) की केंद्रीय प्रायोजित स्कीम बड़े और रूपांतरात्मक परिवर्तनों के साथ अनुमोदित की है यह फैसला बहुत ही सराहनीय है, ताकि वे अपने उच्चतर शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें.
मंत्रिमंडल करेगा 59,048 करोड़ रुपये का निवेश
भोरंज विधायिका ने बताया कि मंत्रिमंडल ने 59,048 करोड़ रुपये के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है, जिसमें से केंद्र सरकार 35,534 करोड़ रुपये (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों की ओर से खर्च की जाएगी. यह स्कीम मौजूदा प्रतिबद्ध देयता प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी.
भोरंज विधायिका कमलेश कुमारी ने बताया कि एससी जनसंख्या के शैक्षिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में एससी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति स्कीम भारत सरकार का सर्वाधिक एकल हस्तक्षेप है. केंद्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके.
वहीं, गरीब-से-गरीब परिवारों के 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नामित करने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा. अनुमान है कि 1.36 करोड़ ऐसे सबसे गरीब छात्र जो वर्तमान में 10वीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं, को अगले 5 वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा.
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी स्कीम
यह स्कीम सुदृढ़ सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता और बिना विलम्ब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी. राज्य पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान और बैंक खाता के ब्यौरे की ऑनलाइन पोर्टल पर अभेद्य जांच करेंगे. इस स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता का आहरण डीबीटी मोड के माध्यम से और अधिमान्यता आधार सबल भुगतान प्रणाली को प्रयोग में लाकर किया जाएगा.
वर्ष 2021-22 से प्रारंभ करते हुए इस स्कीम में केंद्र का अंश (60 प्रतिशत) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डीबीटी (DBT) मोड के माध्यम में सीधे जारी किया जाएगा. निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ किया जाएगा और सोशल ऑडिट, तीसरे पक्ष की ओर से वार्षिक मूल्यांकन करवाकर और प्रत्येक संस्थान की अर्ध-वार्षिक स्वतः लेखा परीक्षित रिपोर्टों के माध्यम से किया जाएगा.
केंद्रीय सहायता में हुई 5 गुना से अधिक वृद्धि
केंद्रीय सहायता जो वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 1100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष थी, उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान 5 गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग 6,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष किया जाएगा. राज्य सरकारें बड़ी संख्या में एससी छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए इस कार्यनीति को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भागीदार होंगे.
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