हमीरपुर: करगिल विजय दिवस पर प्रदेश के हर क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. वहीं, जिला हमीरपुर जिसे वीरभूमि कहा जाता है, वहां पर शहीदी स्मारक की 3 सालों से कोई सुध ही नहीं ले रहा है. जिले के पक्का भरो क्षेत्र में स्थित शहीद स्मारक का साल 2012 में शिलान्यास किया गया और 2013 में इसका उद्घाटन हुआ. लेकिन शहीदी स्मारक में चारदीवारी, शिलान्यास और उद्घाटन पत्रिकाओं के अलावा कुछ भी मौजूद नहीं है, हर तरफ झाड़ियां उगी हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने करगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदी स्मारक में पहुंचकर यहां के हालात जाने. यहां पर जाने से पहले स्थानीय विधायक नरेंद्र ठाकुर से एक कार्यक्रम में यह सवाल किया गया था कि शहीदी स्मारक के दिन कब बदलेंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही एक बढ़िया शहीदी स्मारक या पार्क हमीरपुर जिला में बनाया जाएगा, लेकिन कब यह शहीद स्मारक के हालात दुरुस्त होंगे, इस विषय पर वह स्पष्ट नहीं बोल पाए.
बता दें कि हमीरपुर जिला को वीरभूमि कहा जाता है, लेकिन यहां पर मां भारती की सेवा में शहीद हुए वीर सपूतों की शहादत का अपमान हो रहा है. शहीदी स्मारक को बनाया गया है, लेकिन न तो यहां पर शहीदों के नाम अंकित है और ना ही उनकी वीर गाथाओं का कोई वर्णन है. ऐसे में यह शहीदी स्मारक महज चार दिवारी बनकर रह गया है. यहां पर चारों तरफ झाड़ियां और घास हैं. स्थानीय लोगों ने इस शहीदी स्मारक की जगह को कूड़ेदान में तब्दील कर दिया है.
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