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मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार, जान हथेली पर रख कर नाला करना पड़ता है पार

दरअसल करीब 8 महीने पहले बरसात में दो पंचायतों में आयल नाले के पुल के साथ 3 पुल बह गए थे. उसके बाद न तो सरकार ने और न ही प्रशासन ने इन पुलों को दोबारा बनाने की जहमत उठाई.

मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार
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Published : Apr 7, 2019, 1:15 PM IST

चंबा: जिला के विधानसभा क्षेत्र चुराह के आयल पंचायत के लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर रोजाना पानी के तेज बहाव में लपेट नाले को पार करते हैं. कई बार यहां हादसे भी हो चुके हैं. महिलाएं बुजुर्ग या फिर स्कूली बच्चे हों सभी को यहां नाले के तेज बहाव से दो-चार होना पड़ता है.

दरअसल करीब 8 महीने पहले बरसात में दो पंचायतों में आयल नाले के पुल के साथ 3 पुल बह गए थे. उसके बाद न तो सरकार ने और न ही प्रशासन ने इन पुलों को दोबारा बनाने की जहमत उठाई. पंचायत प्रधान व स्थानीय लोगों ने कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत करवाया, लेकिन उनकी इस समस्या का हल अभी तक नहीं हो पाया है. जिसका नतीजा यह है कि लोग आज भी मौत के साए में इस लपेट नाले को पार कर रहे हैं. हर सुबह गांव के लोगों इकट्ठा होकर अपने बच्चों को नाला पार करवाना पड़ता है. बच्चों को हाथ पकड़कर पीठ पर उठाकर किसी ना किसी तरह इस उफनते नाले को पार तो करवा देते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा डर सताता रहता है कि उनके बच्चों के साथ कोई अनहोनी ना हो.

chamba, School children, no bridg
मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार

क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
स्कूली बच्चों ने कहना है कि उन्हें स्कूल जाने के लिए इस नाले को पार करना पड़ता है. नाले में पानी बहुत है और उन्हें डर लगता है. बच्चों ने बताया कि उनका एक साथी यहां से गिरकर चोटिल भी हुआ. बच्चों ने सरकार व प्रशासन से आग्रह किया है की इस पुल का निर्माण करवाया जाए.

मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार

क्या कहते हैं बच्चों के अभिभावक
स्थानीय लोगों ने बताया कि 8 महीने पहले बरसात के समय यहां गांव को आने जाने के लिए नाले पर बने 3 पुल बह गए थे. लपेट नाला का पुल से रोजाना हमारे गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाते हैं. बच्चों को यह नाला पार करवाने के लिए रोजाना यहां आना पड़ता है. इस समस्या को लेकर वह जिला प्रशाशन के पास गए थे, लेकिन अभी तक यहां पर कोई भी कार्य शुरू नहीं करवाया जा रहा है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर यहां कोई हादसा होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी.

चंबा: जिला के विधानसभा क्षेत्र चुराह के आयल पंचायत के लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर रोजाना पानी के तेज बहाव में लपेट नाले को पार करते हैं. कई बार यहां हादसे भी हो चुके हैं. महिलाएं बुजुर्ग या फिर स्कूली बच्चे हों सभी को यहां नाले के तेज बहाव से दो-चार होना पड़ता है.

दरअसल करीब 8 महीने पहले बरसात में दो पंचायतों में आयल नाले के पुल के साथ 3 पुल बह गए थे. उसके बाद न तो सरकार ने और न ही प्रशासन ने इन पुलों को दोबारा बनाने की जहमत उठाई. पंचायत प्रधान व स्थानीय लोगों ने कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत करवाया, लेकिन उनकी इस समस्या का हल अभी तक नहीं हो पाया है. जिसका नतीजा यह है कि लोग आज भी मौत के साए में इस लपेट नाले को पार कर रहे हैं. हर सुबह गांव के लोगों इकट्ठा होकर अपने बच्चों को नाला पार करवाना पड़ता है. बच्चों को हाथ पकड़कर पीठ पर उठाकर किसी ना किसी तरह इस उफनते नाले को पार तो करवा देते हैं, लेकिन उन्हें हमेशा डर सताता रहता है कि उनके बच्चों के साथ कोई अनहोनी ना हो.

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मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार

क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
स्कूली बच्चों ने कहना है कि उन्हें स्कूल जाने के लिए इस नाले को पार करना पड़ता है. नाले में पानी बहुत है और उन्हें डर लगता है. बच्चों ने बताया कि उनका एक साथी यहां से गिरकर चोटिल भी हुआ. बच्चों ने सरकार व प्रशासन से आग्रह किया है की इस पुल का निर्माण करवाया जाए.

मासूमों की गुहार: एक पुल बनवा दो सरकार

क्या कहते हैं बच्चों के अभिभावक
स्थानीय लोगों ने बताया कि 8 महीने पहले बरसात के समय यहां गांव को आने जाने के लिए नाले पर बने 3 पुल बह गए थे. लपेट नाला का पुल से रोजाना हमारे गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाते हैं. बच्चों को यह नाला पार करवाने के लिए रोजाना यहां आना पड़ता है. इस समस्या को लेकर वह जिला प्रशाशन के पास गए थे, लेकिन अभी तक यहां पर कोई भी कार्य शुरू नहीं करवाया जा रहा है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर यहां कोई हादसा होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी.







लोकसभा के चुनावों की सरगर्मियां पूरे जोरों पर है।  जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे सभी पार्टियां अपने अपने घोषणा पत्रों  से लोगों को लुभा कर वोट मांग रहे हैं। हर चुनाव में से पहले सभी पार्टियों को अपने अपने घोषणा पत्र तैयार कर लोक लुभावने वादे  तो करते हैं लेकिन हकीकत में वह वादे  पूरे हो भी  पाते हैं या नहीं यह तो धरातल पर जाकर ही पता चलता है। चंबा जिला के विधानसभा क्षेत्र चुराह  के आयल पंचायत के लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर रोजाना पानी के तेज बहाव में लपेट नाला को पार करते हैं। कई बार यहां हादसे भी हो चुके हैं महिलाएं बुजुर्ग या फिर स्कूली बच्चे हो सभी को यहां इस पानी की तेज बहाव वाले लपेट नाले के साथ  दो चार होना पड़ता है। दरअसल करीब 8 महीने पहले बरसात के समय दो पंचायतो  के रास्ते में आने वाले 3 पुल बह  गए थे।उसके बाद न तो सरकार ने और न ही प्रशासन ने इन पुलों को दोबारा बनाने की जहमत उठाई।  पंचायत प्रधान व स्थानीय लोगों ने कई बार इस समस्या से  प्रशासन को अवगत करवाया लेकिन उनकी इस समस्या का हल अभी तक नहीं हो पाया है। जिसका नतीजा यह  है की  लोग आज भी मौत के साए में इस लपेट नाले को पार कर रहे हैं। हर सुबह गांव के लोगों इकट्ठा होकर अपने  बच्चों को नाला पार करवाना पड़ता है।बच्चों को हाथ पकड़कर पीठ पर उठाकर किसी ना किसी तरह  इस उफलते नाले को पार  तो करवा देते है।लेकिन उन्हें हमेशा डर सताता रहता है कि उनके बच्चों के साथ कोई अनहोनी ना हो. जैसे जैसे गर्मी  बढ़ रही है पहाड़ों की बर्फ पिघल रही है और नाले ने पानी भी बढ़  रहा  है \ जिसकी वजह से लोगों ने अपना यह मन बनाया है कि अब वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे जब तक इस पुल का निर्माण नहीं हो पाता है। 
क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
 स्कूली बच्चों ने कहा कि उन्हें स्कूल जाने के लिए इस नाले  को पर करना  पड़ता है। नाले ने पानी बहुत है और उन्हें भर  डर लगता  है ।  बच्चों ने बताया कि उनका एक साथी यहां से गिरकर चोटिल भी हुआ । लेकिन भगवान का शुक्र है कि उसकी जान बच गई।  उन्होंने सरकार व प्रशासन से आग्रह किया है की इस पुल का निर्माण करवाया जाए। ताकि वह चैन से अपने

क्या कहते हैं बच्चों के अभिभावक
स्थानीय लोगों ने बताया कि 8 महीने पहले बरसात के समय यहां गांव को आने जाने के लिए  नाले पर बने  3 पुल बह गए थे खास कर  लपेट नाला का पुल है।जहां रोजाना हमारे गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाते हैं। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को यह नाला पार करवाने के लिए रोजाना यहां आना पड़ता है। महिलाओं ने बताया कि उन्हें घर में काफी काम होता है लेकिन अपने बच्चों की जान की खातिर उन्हें यहां उन्हें आना पड़ता है।   उन्होंने बताया की अपनी इस समस्या को लेकर वह जिला प्रशाशन  के पास  गए थे लेकिन अभी तक यहां पर कोई भी कार्य शुरू नहीं करवाया जा रहा है।  अब प्रशासन आचार संहिता का हवाला देकर इस  काम में देरी की वजह बता रही हैं।उन्होंने बताया कि  अगर आचार संहिता के चलते यहां काम  और कोई बड़ा हादसा होता है उसके जिम्मेदार कौन होगा।  उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की अगर यहां कोई हादसा होता है तो उसकी सारी जिम्मेबारी  सरकार व प्रशासन की होगी
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