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भरमौर में स्कैब की चपेट में आया सेब, बंपर पैदावार की उम्मीदों पर फिरा पानी - सेब को लगा स्कैब रोग

चंबा जिला के भरमौर में सेब की फसल पर स्कैब की चपेट में आना शुरू हो गई है. इस कारण सेब बागवानों की परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं,उद्यानिकी विभाग बागवानों को फसल पर दवाईयों के छिड़काव की सलाह दे रहा है.

Scab on apple crop in Chamba district
बागवानों की बंपर फसल की उम्मीदों पर फिरा पानी
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Published : Jun 18, 2020, 6:10 PM IST

चंबा : सेब बागवानों पर पहले ओलावृष्टि ने कह बरपाया था. अब सेब में स्कैब रोग लगने से बागवानों की परेशानी और बढ़ गई है. सेब उत्पादन में अव्वल भरमौर उपमंड़ल के कई हिस्सों में सेब स्कैब की चपेट में आ गया है. इस बार क्षेत्र में सेब की फसल पिछले साल की तुलना में बेहद कम है, लिहाजा ऐसी स्थिति में सेब की फसल पर स्कैब रोग का हमला बागवानों के लिए नई मुसीबत लेकर आ गया है.

बहरहाल उद्यानिकी विभाग बागवानों को फसल पर दवाईयों का छिड़काव करने की सलाह दे रहा है. इस साल जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सेब की फसल पर पहले मौसम की मार पड़ी. बेहतरीन फ्लॉवरिंग होने के बाद अचानक हुई ओलावृष्टि ने बागवानों की बंपर फसल की उम्मीदों को भी पूरी तरह से तोड़ दिया था. क्षेत्र की होली घाटी में बागवानों पर सबसे अधिक मौसम की मार पड़ी. घाटी के इक्का-दुक्का बगीचों में ही इस बार सेब की अच्छी पैदावार हुई है, जबकि अधिकांश बगीचे खाली ही नजर आ रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों के बीच बगीचों में स्कैब रोग के हमले ने बागवानों को परेशान करके रख दिया है. बागवानों का कहना है कि सारी मेहनत इस बार खराब हो गई है.

वीडियो

दवाईयां उपलब्ध

उद्यानिकी विभाग का कहना है कि स्कैब रोग से फसल को बचाने के लिए विभाग के के बिक्री केंद्रों पर प्रर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध करवाई गई हैं. लिहाजा समय रहते इनका छिड़काव कर फसल को रोग की चपेट में आने से बचाया जा सकता है. बता दें कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर में कृषि-बागवानी ग्रामीणों की रोजी-रोटी का एक बड़ा साधन हैं. खासकर सेब सीजन में बेहतर फसल होने पर पूरे साल का खर्चा यहां से आसानी से निकल जाता है, लेकिन इस बार पहले मौसम की मार और अब स्कैब रोग ने बागवानों की चिंता को बढ़ा दिया है.

ये भी पढ़ें : चंबा में टैक्सी सेवा शुरू, वाहन चालकों को दिए गए दिशा निर्देश

चंबा : सेब बागवानों पर पहले ओलावृष्टि ने कह बरपाया था. अब सेब में स्कैब रोग लगने से बागवानों की परेशानी और बढ़ गई है. सेब उत्पादन में अव्वल भरमौर उपमंड़ल के कई हिस्सों में सेब स्कैब की चपेट में आ गया है. इस बार क्षेत्र में सेब की फसल पिछले साल की तुलना में बेहद कम है, लिहाजा ऐसी स्थिति में सेब की फसल पर स्कैब रोग का हमला बागवानों के लिए नई मुसीबत लेकर आ गया है.

बहरहाल उद्यानिकी विभाग बागवानों को फसल पर दवाईयों का छिड़काव करने की सलाह दे रहा है. इस साल जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सेब की फसल पर पहले मौसम की मार पड़ी. बेहतरीन फ्लॉवरिंग होने के बाद अचानक हुई ओलावृष्टि ने बागवानों की बंपर फसल की उम्मीदों को भी पूरी तरह से तोड़ दिया था. क्षेत्र की होली घाटी में बागवानों पर सबसे अधिक मौसम की मार पड़ी. घाटी के इक्का-दुक्का बगीचों में ही इस बार सेब की अच्छी पैदावार हुई है, जबकि अधिकांश बगीचे खाली ही नजर आ रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों के बीच बगीचों में स्कैब रोग के हमले ने बागवानों को परेशान करके रख दिया है. बागवानों का कहना है कि सारी मेहनत इस बार खराब हो गई है.

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दवाईयां उपलब्ध

उद्यानिकी विभाग का कहना है कि स्कैब रोग से फसल को बचाने के लिए विभाग के के बिक्री केंद्रों पर प्रर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध करवाई गई हैं. लिहाजा समय रहते इनका छिड़काव कर फसल को रोग की चपेट में आने से बचाया जा सकता है. बता दें कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर में कृषि-बागवानी ग्रामीणों की रोजी-रोटी का एक बड़ा साधन हैं. खासकर सेब सीजन में बेहतर फसल होने पर पूरे साल का खर्चा यहां से आसानी से निकल जाता है, लेकिन इस बार पहले मौसम की मार और अब स्कैब रोग ने बागवानों की चिंता को बढ़ा दिया है.

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