चंबा: विश्व प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा के तहत राधा अष्टमी का पावन स्नान गुरुवार रात 8 बजकर 42 मिनट पर आरंभ हो गया है. इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान भोलेनाथ के जयकारों से पहाड़ गूंज उठे. मणिमहेश यात्रा का शाही स्नान शुक्रवार रात पौने नौ बजे तक चलेगा.
शाही स्नान आरंभ होने से पहले संचूई के चेलों ने डल तोड़ने की सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाया. इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए भारी भीड़ मौजूद रही. जानकारी के अनुसार गुरूवार को संचूई के चेले डल तोड़ने की परंपरा को निभाने के लिए दोपहर में डल झील पहुंचे. इस दौरान चेलों ने झील की तीन मर्तबा परिक्रमा करने के बाद अपने तय स्थान पर आकर बैठ गए.
काार्तिक स्वामी के चेले की अगुवाई में शिव चेले डल झील में उतर गए और देखते ही देखते उन्होंने डल को आर-पार कर दिया. हांलाकि डल तोड़ने की परंपरा निभाने से पहले यहां बलि देने की प्रथा थी, लेकिन न्यायालय के आदेशों के चलते नारियल चढ़ा कर इस रस्म को निभाया गया.
इस परंपरा के संपन्न होते ही पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर से आए यात्रियों ने डल में शाही स्नान का किया. राधाअष्टमी को पवित्र डल झील में होने वाले शाही स्नान का अपना ही महत्व है. मान्यता है कि इस दौरान डल झील में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है.