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Hot Seat Bharmour: चाचा के सिर बंधेगा जीत का सेहरा या भतीजे भरमौरी को छठी बार मिलेगा मौका? - Congress Candidate Thakur Singh Bharmouri

भरमौर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की ओर से ठाकुर सिंह भरमौरी और बीजेपी की तरफ से डॉक्टर जनक राज को चुनावी मैदान में उतारा गया है. डॉक्टर जनक राज ठाकुर सिंह भरमौरी के चाचा हैं. सियासी दंगल में दो बड़े चेहरों के बीच हो रही जंग के कारण भरमौर प्रदेश की हॉट सीट बन गई है.

political equation of bharmour assembly seat
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Published : Nov 10, 2022, 5:40 PM IST

चंबा: जिला चंबा के जनजातीय विधानसभा क्षेत्र पांगी-भरमौर में पूर्व वन मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता ठाकुर सिंह भरमौरी ( Congress Candidate Thakur Singh Bharmouri) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पूर्व मंत्री का मुकाबला प्रसिद्व न्यूरो सर्जन डॉक्टर जनक राज (BJP Candidate Janak Raj) के साथ है, जो रिश्ते में पूर्व मंत्री के चाचा लगते हैं. (political equation of bharmour assembly seat) (himachal assembly election 2022)

पढ़ें- Hot Seat Nadaun: राजपूत और ब्राह्मण प्रत्याशी के बीच होगी जंग, चौधरी समुदाय के वोटर निभाते हैं अहम रोल

चाचा-भतीजे में मुकाबला: सात हजार से अधिक मतों से पूर्व में हुए चुनाव में जीत दर्ज करने वाले जिया लाल कपूर का टिकट काट कर इस मर्तबा भाजपा ने डा. जनक को अपना चेहरा बनाया है. लिहाजा भरमौर के सियासी दंगल में दो बड़े चेहरों के बीच हो रही जंग प्रदेश में हॉट सीट बन गई है. हांलाकि 1951 से वर्ष 2017 तक हलके में कुल 13 चुनाव हुए हैं. जिनमें कांग्रेस ने पांच, भाजपा ने चार, दो मर्तबा आजाद और एक-एक बार स्वतंत्र पार्टी व जनता पार्टी के उम्मीदवारों से जीत का स्वाद चखा है.

सबसे बड़ी जीत और छोटी हार का रिकॉर्ड है भरमौरी के नाम: पांगी-भरमौर विस क्षेत्र से जुड़ा रोचक पहलू यह भी है कि इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में सबसे बड़ी जीत और छोटी हार का रिकॉर्ड पूर्व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के नाम है. उन्होंने वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तुलसी राम को 9692 मतों से पराजित किया था, जबकि वर्ष 2007 के चुनाव में वह तुलसी राम से ही महज 16 मतों के अंतर से पराजित हुए थे.

कांग्रेस की पसंद भरमौरी: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में हुए पिछले छह विधानसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा ने दो मर्तबा अपने चेहरे बदले हैं, जबकि हलके में कांग्रेस हाईकमान की ठाकुर सिंह भरमौरी पहली पसंद बने हुए हैं. हांलाकि वर्ष 1993 में कांग्रेस ने ठाकुर सिंह भरमौरी का टिकट काट कर ब्रहानंद ठाकुर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन ठाकुर सिंह भरमौरी ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ कर 1277 मतों के अंतर से अपनी जीत दर्ज की थी. जबकि भाजपा ने पांगी-भरमौर विस क्षेत्र में पूर्व विस अध्यक्ष का टिकट काट कर जिया लाल कपूर को चुनाव में उतारा था. लिहाजा मौजूदा समय में हो रहे विस चुनाव में पार्टी ने फिर अपना चेहरा बदल कर डा. जनक को अपना प्रत्याशी बनाया है.

दांव पर प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा : भाजपा प्रत्याशी न्यूरो सर्जन डा. जनक राज आईजीएमसी शिमला में बतौर वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक पद पर तैनात थे. लिहाजा वे सरकारी सेवा से ऐच्छिक सेवानिवृति लेकर राजनीति में उतरे हैं. जबकि ठाकुर सिंह भरमौरी वृद्व नेता हैं और अगर वह विस चुनाव में पिछड़ जाते हैं, तो भरमौर की सियासत में लंबे समय तक दबदबा रखने वाले इस परिवार के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो जाएगा. चूंकि इस मर्तबा भी हलके से शुरूआती दौर में कांग्रेस का टिकट युवा नेता सुरजीत भरमौरी को देने पर हाईकमान विचार कर रही थी, लेकिन अंतिम समय में पार्टी हाईकमान ने ठाकुर सिंह भरमौरी को अपना चेहरा बनाया. नतीजतन कहीं ना कहीं इस बात की चर्चा भी क्षेत्र में है कि अगर कांग्रेस यहां से विस चुनाव हार जाती है, तो भरमौरी परिवार का यह अंतिम इलेक्शन होगा.

political equation of bharmour assembly seat
भरमौर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
भरमौर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में इस वक्त 24 ग्राम पंचायतों को ट्राइबल का दर्जा न मिल पाना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. विस क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से एक बड़ी संख्या इसी क्षेत्र से संबंध रखती है. 24 पंचायतों की हजारों की आबादी लंबे समय से ट्राइबल का दर्जा देने की मांग कर रही है. इसी तरह पांगी घाटी को 12 माह देश-दुनिया से जोड़े रखने के लिएचैहणी सुरंग की निर्माण भी सदियों से चली आ रही है. करीब पंद्रह हजार से अधिक मतदाता पांगी घाटी में है. नतीजतन हलके में किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में यह घाटी बड़ा रोल निभाती है. इसके अलावा होली-उतराला टनल निर्माण का मुद्दा बहुचर्चित है. पांगी-भरमौर विस क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा को सदृढ ढांचा न मिल पाना भी एक बड़ा मुद्दा है. वहीं सड़कें और दूरसंचार व्यवस्था न होने की गूंज भी विस चुनाव में सुनाई दे रही है। साथ ही क्षेत्र में चल रही जल विद्युत परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार न मिलने का मुद्दा भी क्षेत्र की सियासी फिजाओं में छाया हुआ है.
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भरमौर विधानसभा क्षेत्र के बड़े मुद्दे

संचूई गांव से तीन प्रत्याशी: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में उपमंडल मुख्यालय का संचूई गांव इस मर्तबा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. तीन प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार इसी गांव से संबंध रखते हैं. भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर जनक राज, कांग्रेस के ठाकुर सिंह भरमौरी और आम आदमी पार्टी के प्रकाश चंद भारद्वाज का संचूई पैतृक गांव हैं. लिहाजा हिमाचल प्रदेश में संचूई गांव चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

चुनावी दंगल में पांगी-भरमौर के 5 प्रत्याशी: पांगी-भरमौर विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी डा. जनक राज न्यूरो सर्जन हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी ने संगीत विषय में एमए की है और मौजूदा समय में हिमाचल कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रकाश चंद भारद्वाज शिक्षा विभाग से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत हैं. उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. वहीं भारतीय जनता पार्टी से चुनावी समर में उतरे रसीला राम पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने 25 साल से अधिक समय तक सेना में अपनी सेवाएं दी हैं. हलके से इकलौती महिला प्रत्याशी के तौर पर हिमाचल जनक्रांति पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर पूजा मैदान में हैं. वह एक आर्टिस्ट हैं और पहाड़ी समेत पंजाबी एलबम में काम कर चुकी हैं.

1993 का गणित: वर्ष 1993 के विस चुनाव में वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी को टिकट नहीं मिला और उन्होंने आजाद चुनाव लड़ा. इस दौरान उन्होंने बतौर आजाद प्रत्याशी भाजपा के तुलसी राम को हराया और 1277 मतों से जीत हासिल की थी. वहीं 1998 के चुनाव में तुलसी राम ने कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी को 3824 मतों से पराजित किया.

2003 का गणित: साल 2003 विस चुनाव में ठाकुर सिंह भरमौरी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए भाजपा के तुलसी राम को 9692 मतों से पराजित किया था. इसमें ठाकुर सिंह भरमौरी को 61.58% वोट जबकि तुलसी राम को 34.29% वोट मिले थे. जीत का मार्जिन 27.29% रहा था.

2007 में 16 मतों से हारे थे भरमौरी : साल 2007 के विस चुनाव में भाजपा के तुलसी राम ने 16 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी को पराजित किया था. तुलसी राम रो 48.14 प्रतिशत वोट मिल थे. वहीं भरमौरी को 48.1 फीसदी वोट मिले थे. जीत का मार्जिन महज 0.04% रहा था.

2012 और 2017 का परिणाम: 2012 के चुनाव में ठाकुर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी जिया लाल को 3467 मतों के अंतर से पराजित कर विधानसभा में एंट्री हासिल की थी.ठाकुर सिंह भरमौरी को 51.35 प्रतिशत वोट मिले थे. वर्ष 2017 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी जियालाल कपूर ने कांग्रेस के ठाकुर सिंह भरमौरी को 7349 मतों से हराकर विधानसभा की दहलीज लांघी थी.

जमकर किया गया प्रचार: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र की बेहद कठिन भूगौलिक परिस्थितियों के बीच भाजपा और कांग्रेस प्रमुख दो दलों के प्रत्याशियों को प्रचार के लिए बहुत कम समय मिला. भाजपा प्रत्याशी डा. जनक राज चरणबद्व तरीके से हलके की करीब-करीब सभी पंचायतों का दौरा कर चुके हैं. उनके साथ भाजपा संगठन के विभिन्न मोर्चा-प्रकोष्ठ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता चुनावी प्रचार में डटे रहे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी के साथ-साथ उनकी पत्नी सावित्री भरमौरी, पुत्र अमित भरमौरी और बहू शीतल पखरेटिया भी चुनाव प्रचार अभियान में डटी रहीं.


चंबा: जिला चंबा के जनजातीय विधानसभा क्षेत्र पांगी-भरमौर में पूर्व वन मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता ठाकुर सिंह भरमौरी ( Congress Candidate Thakur Singh Bharmouri) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पूर्व मंत्री का मुकाबला प्रसिद्व न्यूरो सर्जन डॉक्टर जनक राज (BJP Candidate Janak Raj) के साथ है, जो रिश्ते में पूर्व मंत्री के चाचा लगते हैं. (political equation of bharmour assembly seat) (himachal assembly election 2022)

पढ़ें- Hot Seat Nadaun: राजपूत और ब्राह्मण प्रत्याशी के बीच होगी जंग, चौधरी समुदाय के वोटर निभाते हैं अहम रोल

चाचा-भतीजे में मुकाबला: सात हजार से अधिक मतों से पूर्व में हुए चुनाव में जीत दर्ज करने वाले जिया लाल कपूर का टिकट काट कर इस मर्तबा भाजपा ने डा. जनक को अपना चेहरा बनाया है. लिहाजा भरमौर के सियासी दंगल में दो बड़े चेहरों के बीच हो रही जंग प्रदेश में हॉट सीट बन गई है. हांलाकि 1951 से वर्ष 2017 तक हलके में कुल 13 चुनाव हुए हैं. जिनमें कांग्रेस ने पांच, भाजपा ने चार, दो मर्तबा आजाद और एक-एक बार स्वतंत्र पार्टी व जनता पार्टी के उम्मीदवारों से जीत का स्वाद चखा है.

सबसे बड़ी जीत और छोटी हार का रिकॉर्ड है भरमौरी के नाम: पांगी-भरमौर विस क्षेत्र से जुड़ा रोचक पहलू यह भी है कि इस विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में सबसे बड़ी जीत और छोटी हार का रिकॉर्ड पूर्व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के नाम है. उन्होंने वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तुलसी राम को 9692 मतों से पराजित किया था, जबकि वर्ष 2007 के चुनाव में वह तुलसी राम से ही महज 16 मतों के अंतर से पराजित हुए थे.

कांग्रेस की पसंद भरमौरी: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में हुए पिछले छह विधानसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा ने दो मर्तबा अपने चेहरे बदले हैं, जबकि हलके में कांग्रेस हाईकमान की ठाकुर सिंह भरमौरी पहली पसंद बने हुए हैं. हांलाकि वर्ष 1993 में कांग्रेस ने ठाकुर सिंह भरमौरी का टिकट काट कर ब्रहानंद ठाकुर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन ठाकुर सिंह भरमौरी ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ कर 1277 मतों के अंतर से अपनी जीत दर्ज की थी. जबकि भाजपा ने पांगी-भरमौर विस क्षेत्र में पूर्व विस अध्यक्ष का टिकट काट कर जिया लाल कपूर को चुनाव में उतारा था. लिहाजा मौजूदा समय में हो रहे विस चुनाव में पार्टी ने फिर अपना चेहरा बदल कर डा. जनक को अपना प्रत्याशी बनाया है.

दांव पर प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा : भाजपा प्रत्याशी न्यूरो सर्जन डा. जनक राज आईजीएमसी शिमला में बतौर वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक पद पर तैनात थे. लिहाजा वे सरकारी सेवा से ऐच्छिक सेवानिवृति लेकर राजनीति में उतरे हैं. जबकि ठाकुर सिंह भरमौरी वृद्व नेता हैं और अगर वह विस चुनाव में पिछड़ जाते हैं, तो भरमौर की सियासत में लंबे समय तक दबदबा रखने वाले इस परिवार के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो जाएगा. चूंकि इस मर्तबा भी हलके से शुरूआती दौर में कांग्रेस का टिकट युवा नेता सुरजीत भरमौरी को देने पर हाईकमान विचार कर रही थी, लेकिन अंतिम समय में पार्टी हाईकमान ने ठाकुर सिंह भरमौरी को अपना चेहरा बनाया. नतीजतन कहीं ना कहीं इस बात की चर्चा भी क्षेत्र में है कि अगर कांग्रेस यहां से विस चुनाव हार जाती है, तो भरमौरी परिवार का यह अंतिम इलेक्शन होगा.

political equation of bharmour assembly seat
भरमौर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
भरमौर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में इस वक्त 24 ग्राम पंचायतों को ट्राइबल का दर्जा न मिल पाना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. विस क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से एक बड़ी संख्या इसी क्षेत्र से संबंध रखती है. 24 पंचायतों की हजारों की आबादी लंबे समय से ट्राइबल का दर्जा देने की मांग कर रही है. इसी तरह पांगी घाटी को 12 माह देश-दुनिया से जोड़े रखने के लिएचैहणी सुरंग की निर्माण भी सदियों से चली आ रही है. करीब पंद्रह हजार से अधिक मतदाता पांगी घाटी में है. नतीजतन हलके में किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में यह घाटी बड़ा रोल निभाती है. इसके अलावा होली-उतराला टनल निर्माण का मुद्दा बहुचर्चित है. पांगी-भरमौर विस क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा को सदृढ ढांचा न मिल पाना भी एक बड़ा मुद्दा है. वहीं सड़कें और दूरसंचार व्यवस्था न होने की गूंज भी विस चुनाव में सुनाई दे रही है। साथ ही क्षेत्र में चल रही जल विद्युत परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार न मिलने का मुद्दा भी क्षेत्र की सियासी फिजाओं में छाया हुआ है.
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भरमौर विधानसभा क्षेत्र के बड़े मुद्दे

संचूई गांव से तीन प्रत्याशी: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र में उपमंडल मुख्यालय का संचूई गांव इस मर्तबा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. तीन प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार इसी गांव से संबंध रखते हैं. भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर जनक राज, कांग्रेस के ठाकुर सिंह भरमौरी और आम आदमी पार्टी के प्रकाश चंद भारद्वाज का संचूई पैतृक गांव हैं. लिहाजा हिमाचल प्रदेश में संचूई गांव चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

चुनावी दंगल में पांगी-भरमौर के 5 प्रत्याशी: पांगी-भरमौर विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी डा. जनक राज न्यूरो सर्जन हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी ने संगीत विषय में एमए की है और मौजूदा समय में हिमाचल कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रकाश चंद भारद्वाज शिक्षा विभाग से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत हैं. उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. वहीं भारतीय जनता पार्टी से चुनावी समर में उतरे रसीला राम पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने 25 साल से अधिक समय तक सेना में अपनी सेवाएं दी हैं. हलके से इकलौती महिला प्रत्याशी के तौर पर हिमाचल जनक्रांति पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर पूजा मैदान में हैं. वह एक आर्टिस्ट हैं और पहाड़ी समेत पंजाबी एलबम में काम कर चुकी हैं.

1993 का गणित: वर्ष 1993 के विस चुनाव में वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी को टिकट नहीं मिला और उन्होंने आजाद चुनाव लड़ा. इस दौरान उन्होंने बतौर आजाद प्रत्याशी भाजपा के तुलसी राम को हराया और 1277 मतों से जीत हासिल की थी. वहीं 1998 के चुनाव में तुलसी राम ने कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी को 3824 मतों से पराजित किया.

2003 का गणित: साल 2003 विस चुनाव में ठाकुर सिंह भरमौरी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए भाजपा के तुलसी राम को 9692 मतों से पराजित किया था. इसमें ठाकुर सिंह भरमौरी को 61.58% वोट जबकि तुलसी राम को 34.29% वोट मिले थे. जीत का मार्जिन 27.29% रहा था.

2007 में 16 मतों से हारे थे भरमौरी : साल 2007 के विस चुनाव में भाजपा के तुलसी राम ने 16 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी को पराजित किया था. तुलसी राम रो 48.14 प्रतिशत वोट मिल थे. वहीं भरमौरी को 48.1 फीसदी वोट मिले थे. जीत का मार्जिन महज 0.04% रहा था.

2012 और 2017 का परिणाम: 2012 के चुनाव में ठाकुर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी जिया लाल को 3467 मतों के अंतर से पराजित कर विधानसभा में एंट्री हासिल की थी.ठाकुर सिंह भरमौरी को 51.35 प्रतिशत वोट मिले थे. वर्ष 2017 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी जियालाल कपूर ने कांग्रेस के ठाकुर सिंह भरमौरी को 7349 मतों से हराकर विधानसभा की दहलीज लांघी थी.

जमकर किया गया प्रचार: पांगी-भरमौर विधानसभा क्षेत्र की बेहद कठिन भूगौलिक परिस्थितियों के बीच भाजपा और कांग्रेस प्रमुख दो दलों के प्रत्याशियों को प्रचार के लिए बहुत कम समय मिला. भाजपा प्रत्याशी डा. जनक राज चरणबद्व तरीके से हलके की करीब-करीब सभी पंचायतों का दौरा कर चुके हैं. उनके साथ भाजपा संगठन के विभिन्न मोर्चा-प्रकोष्ठ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता चुनावी प्रचार में डटे रहे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी के साथ-साथ उनकी पत्नी सावित्री भरमौरी, पुत्र अमित भरमौरी और बहू शीतल पखरेटिया भी चुनाव प्रचार अभियान में डटी रहीं.


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