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प्राकृतिक खेती कर लाखों कमा रहे पवन कुमार, युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्त्रोत

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Published : Jul 28, 2019, 8:26 AM IST

मोहड़ी गांव निवासी पवन कुमार प्राकृतिक खेती के माध्यम से वर्ष में तीन से चार लाख रुपये कमा रहे हैं. गांव के अन्य दस परिवार भी प्राकृतिक खेती करके अपने परिवार का अच्छे से पालन कर रहे हैं.

प्राकृतिक खेती के माध्यम उत्पादित टमाटर

चंबा: चुराह विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मोहडी गांव निवासी पवन कुमार पिछले 25 सालों से सब्जी के उत्पादन का काम करते हैं. लेकिन रासयनिक खेती से किसानों की कमाई में अधिक लाभ नहीं होता था और उल्टा उन्हें नुकसान झेलना पड़ता था .

वर्ष 2018 में पवन कुमार ने यूट्यूब के माध्यम से प्राकृतिक खेती के बारे मे सुना, लेकिन ज्ञान न होने का कारण वह कुछ समझ नहीं पाए. फिर वह प्राकृतिक खेती को सीखने के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में ट्रेनिंग क्लासीस लेने गए. जिसके बाद पवन कुमार ने प्राकृतिक खेती से पहले अपने खेतों में ही काम किया. पवन कुमार अपने खेतों में खुद के हाथों से तैयार गाए के गोबर का इस्तेमाल करते हैं. जिससे वह पिछले तीन सालों से वर्ष में तीन से चार लाख रुपये कमाते हैं

प्राकृतिक खेती को सीख कमा रहा है 3-4 लाख

ये भी पढ़े: हिमाचल में फिर शुरू होगी बंदरों की नसबंदी, वन मंत्री ने दिए ये निर्देश

प्राकृतिक खेती से अधिक उत्पादन होने का बाद उन्होंने गांव के लोगों को भी इसके बारे में प्रेरित किया. आज गांव के दस परिवार प्राकृतिक खेती करके अपने परिवार का पालन कर रहे हैं और अब वह किसान भी वर्ष में तीन से चार लाख रुपये कमाते हैं. प्राकृतिक खेती से गांव के लोगों की आर्थिकी भी मजबूत हुई हैं और आज गांव सब्जी के क्षेत्र में उभर कर सामने आ रहा हैं.

चंबा: चुराह विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मोहडी गांव निवासी पवन कुमार पिछले 25 सालों से सब्जी के उत्पादन का काम करते हैं. लेकिन रासयनिक खेती से किसानों की कमाई में अधिक लाभ नहीं होता था और उल्टा उन्हें नुकसान झेलना पड़ता था .

वर्ष 2018 में पवन कुमार ने यूट्यूब के माध्यम से प्राकृतिक खेती के बारे मे सुना, लेकिन ज्ञान न होने का कारण वह कुछ समझ नहीं पाए. फिर वह प्राकृतिक खेती को सीखने के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में ट्रेनिंग क्लासीस लेने गए. जिसके बाद पवन कुमार ने प्राकृतिक खेती से पहले अपने खेतों में ही काम किया. पवन कुमार अपने खेतों में खुद के हाथों से तैयार गाए के गोबर का इस्तेमाल करते हैं. जिससे वह पिछले तीन सालों से वर्ष में तीन से चार लाख रुपये कमाते हैं

प्राकृतिक खेती को सीख कमा रहा है 3-4 लाख

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प्राकृतिक खेती से अधिक उत्पादन होने का बाद उन्होंने गांव के लोगों को भी इसके बारे में प्रेरित किया. आज गांव के दस परिवार प्राकृतिक खेती करके अपने परिवार का पालन कर रहे हैं और अब वह किसान भी वर्ष में तीन से चार लाख रुपये कमाते हैं. प्राकृतिक खेती से गांव के लोगों की आर्थिकी भी मजबूत हुई हैं और आज गांव सब्जी के क्षेत्र में उभर कर सामने आ रहा हैं.

Intro:प्रकृति खेती से कमाँ रहे लाखों पवन कुमार बने गाँव के लिए प्रेरणा स्त्रोत ,अन्य लोगों के लिए भी बन रहे आइडल ,

"कहते हैं इरादे मजबूत हो तो मंजिल आसान हो जाती हैं" जी हाँ यही आजकल चुराह विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने बाले मोहडी गाँव के पवन कुमार ने सच आर दिखाया हैं ,पवन कुमार पिछले 15 सब्जी उत्पादन का काम करते थे लेकिन हर बार उन्हें निराशा लगती थी लेकिन पवन कुमार ने वर्ष 2018 में प्राकृतिक खेती को अपनाया फिर क्या था पवन की मेहनत रंग लाईऔर अब पवन कुमार हर साल तीन से चार लाख रुपये कमाते हैं ,पवन कुमार ने प्राकृतिक खेती को सीखने के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का रुख किया था जिसके बाद पवन कुमार ने गाँव में आकर अन्य गाँव के लोगों को भी टमाटर और अन्य फसलों को लेकर प्रेरित किया जिसके बाद गाँव के लोगों की भी आर्थिकी मजबूत हुई हैं ,देसी गाए के गोबर से पवन कुमार खाद तैयार करते हैं और उसी का इस्तेमाल अपने खेतों में करते हैं ,Body:सके अलावा मोहडी गाँव के दस परिवारों को आगे ले जाने में पवन कुमार सफल हुआ हैं पवन कुमार किसान की म्हणत का ही नतीजा हैं की आज उक्त मोहडी गाँव आदर्श गाँव सब्जी के क्षेत्र में उभर कर सामने आ रहा हैनं ,पहले रासायनिक खेती से किसानों को नुकसान झेलना पड़ता था लेकिन जब से पवन कुमार जैसे किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है उससे उनकी आर्थिकी दुगनी हो रही हैं ,

Conclusion:वहीँ दूसरी और मोहडी गाँव के होनहार किसान पवन कुमार का कहना हैं की पिछले 25 सालों से रासयनिक खेती कर रहा था लेकी कोई लाभ नहीं हुआ ल=उसके बाद जेबिक खेती करनी शुरू की जिससे हम काफी लाभ हुआ मैंने 2018 में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग ले उसके बाद गाँव में आने के बाद लोगों को भी इसके बारे में बताया आज गाँव के दस परिवार प्राकृतिक खेती करके अपने परिवार को पाल रहे हैं ,और हर किसान दो से तीन लाख कम रहा हैं .
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