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नेता जी सुभाष चंद्र बोस का डल्हौजी की इस बावड़ी से है गहरा सबंध, इसी का पानी पीकर हुए थे स्वस्थ!

जिला चंबा के डलहौजी से स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास संबंध है. नेताजी का स्वस्थ खराब होने पर वह लगभग 7 महीने डलहौजी में रहे. इस दौरान उन्होंने यहां मौजूद प्राकृतिक बावड़ी के पानी का सेवन किया. जिससे वह जल्द ही ठीक हो गए थे. जिसके बाद डलहौजी की इस प्राकृतिक बावड़ी को सुभाष बावड़ी का नाम दिया गया.

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Published : Aug 18, 2020, 5:05 PM IST

Netaji Subhash Chandra Bose spent seven months in Dalhousie
फोटो.

डलहौजी: देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. आज पूरा देश नेताजी की 75वीं पुण्यतिथि मना रहा है. स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का डलहौजी से गहरा नाता रहा है.

साल 1937 में मई महीने की शुरुआत में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में सात महीने गुप्त रूप से बिताए थे. डलहौजी आने से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने सुभाष चंद्र बोस को जेल में डाल दिया था. जहां पर उनका स्वास्थ्य तेजी से खराब होता रहा.

इस दौरान परिवार के आग्रह पर और बिगड़ती हालत के चलते ब्रिटिश हाईकोर्ट ने नेताजी को रिहा कर दिया था. इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड के अपने छात्र जीवन के मित्र डॉ. धर्मवीर और उनकी पत्नी के पास डलहौजी जाने का फैसला किया, उन दिनों डलहौजी उत्तर भारत का प्रसिद्ध आरोग्य स्थल हुआ करता था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में करीब 7 महीने बिताए. उस दौरान वह नियमित रूप से एक प्राकृतिक बावड़ी के पानी का सेवन किया करते थे. कहा जाता है कि यहां के पानी के औषधीय गुणों के कारण नेता जी जल्द ही स्वस्थ हो गए.

इस बावड़ी के चमत्कारी पानी के सेवन और डलहौजी के शुद्ध वातावरण से नेताजी पूरी तरह स्वस्थ हो गए. जिसके बाद डलहौजी की इस प्राकृतिक बावड़ी को सुभाष बावड़ी का नाम दिया गया. आज भी देश विदेश से आने वाले पर्यटक इस स्थान पर आकर यहां के प्राकृतिक शुद्ध व चमत्कारी पानी का सेवन करते हैं.

ये भी पढ़ें: दलाई लामा हमारे लिए महत्वपूर्ण, सुरक्षा में नहीं होगी कोताही: सीएम

डलहौजी: देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. आज पूरा देश नेताजी की 75वीं पुण्यतिथि मना रहा है. स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का डलहौजी से गहरा नाता रहा है.

साल 1937 में मई महीने की शुरुआत में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में सात महीने गुप्त रूप से बिताए थे. डलहौजी आने से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने सुभाष चंद्र बोस को जेल में डाल दिया था. जहां पर उनका स्वास्थ्य तेजी से खराब होता रहा.

इस दौरान परिवार के आग्रह पर और बिगड़ती हालत के चलते ब्रिटिश हाईकोर्ट ने नेताजी को रिहा कर दिया था. इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड के अपने छात्र जीवन के मित्र डॉ. धर्मवीर और उनकी पत्नी के पास डलहौजी जाने का फैसला किया, उन दिनों डलहौजी उत्तर भारत का प्रसिद्ध आरोग्य स्थल हुआ करता था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में करीब 7 महीने बिताए. उस दौरान वह नियमित रूप से एक प्राकृतिक बावड़ी के पानी का सेवन किया करते थे. कहा जाता है कि यहां के पानी के औषधीय गुणों के कारण नेता जी जल्द ही स्वस्थ हो गए.

इस बावड़ी के चमत्कारी पानी के सेवन और डलहौजी के शुद्ध वातावरण से नेताजी पूरी तरह स्वस्थ हो गए. जिसके बाद डलहौजी की इस प्राकृतिक बावड़ी को सुभाष बावड़ी का नाम दिया गया. आज भी देश विदेश से आने वाले पर्यटक इस स्थान पर आकर यहां के प्राकृतिक शुद्ध व चमत्कारी पानी का सेवन करते हैं.

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