चंबा: उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में इस वर्ष भी धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों का निर्वाहन किया जाएगा. साथ ही मणिमहेश की ओर जाने वाली छड़ियों के साथ सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जाएगी. बुधवार को भरमौर में हुई मणिमहेश न्यास की बैठक में यह निर्णय लिया गया है.
इसके अलावा बैठक में विभिन्न कमेटियों का गठन करने का फैसला लिया गया है. खबर की पुष्टि मणिमहेश न्यास के अध्यक्ष एवं एडीएम भरमौर डॉ. संजय कुमार धीमान ने की है. जानकारी के अनुसार बुधवार को भरमौर स्थित मिनी सचिवालय के सभागार में मणिमहेश न्यास की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष एवं एडीएम भरमौर डॉ. संजय कुमार धीमान ने की, जबकि न्यास के सदस्य सचिव एवं एसडीएम भरमौर मनीष सोनी समेत सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई.
एडीएम भरमौर डॉ. संजय धीमान ने कहा कि इस वर्ष मणिमहेश यात्रा 30 अगस्त यानी जन्माष्टमी से 12 सितंबर राधा अष्टमी तक चलेगी. बैठक में इस आयोजन को लेकर तमाम पहलुओं पर चर्चा करने के बाद निर्णय लिया है कि इस वर्ष भी यात्रा के दौरान धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों का निर्वाहन ही होगा. वैश्विक कोरोना माहामारी के चलते न्यास ने यह फैसला लिया है. जन्माष्टमी से राधा अष्टमी के दौरान पारंपरिक छड़ियों और चेलों के साथ सीमित संख्या में लोगों को डल झील की ओर जाने की अनुमति रहेगी, जबकि शिव चेलों के साथ जाने वाले सदस्यों की सूची दस दिनों के भीतर सदस्य सचिव न्यास एवं एसडीएम भरमौर के कार्यालय को प्रेषित करनी होगी.
एडीएम ने बताया कि प्रंघाला में यात्रा के दौरान स्थाई पुलिस चैक पोस्ट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा भरमौर के पुराना बस अड्डा, चौरासी परिसर, भरमाणी माता मंदिर, हड़सर, धनछो, गौरीकुंड और डल पर पुलिस की तैनाती करने का फैसला लिया गया है. इसके अलावा बैठक में मीडिया एंड पब्लिसिटी, बिजली, मेडिकल, वायरलेस, रोड़, पाथ एंड टायलेट, पेयजल, ऑफरिंग कलेक्शन, सर्च एंड रेस्कयू टीमों समेत कानून व्यवस्था के लिए अलग अलग समितियों का गठन किया जाएगा.
बता दें कि गत वर्ष भी कोरोना माहामारी के चलते पवित्र मणिमहेश यात्रा का आयोजन नहीं हो सका था और महज धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों का ही सीमित संख्या में निर्वाहन किया गया था. लिहाजा इस वर्ष भी कोरोना संकट को देखते हुए मणिमहेश न्यास ने यात्रा में परंपराओं और रीति रिवाजों का ही निर्वाहन करने का निर्णय लिया है.