चंबा: भरमौर उपमंडल में रावी नदी पर कुठेड़ हाईड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण में की जा रही ब्लास्टिंग लोगों के घरों पर कहर बरपाने लगी है. प्रोजेक्ट की साइट के साथ लगते मकानों में दरारें आने की शिकायत लोगों ने की है. लोगों का आरोप है कि ब्लास्टिंग में अधिक विस्फोटक का उपयोग होने से मकानों को खतरा पैदा गया है.
घरों के अंदर जाने से कतरा रहे लोग
हालात यह है कि ब्लास्टिंग के धमाके के साथ ही मकान भूकंप आने की तरह हिलने लगते है. नतीजतन ग्रामीण अपने घरों के भीतर जाने से भी कतरा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन और प्रशासन को चेताया भी गया था, लेकिन उनकी सुनवाई तक नहीं हुई. लिहाजा अब मनमाने ढंग से की जा रही ब्लास्टिंग का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.
नहीं मिली कोई मदद
पीड़ित राजेंद्र कुमार का कहना है कि घरों की सुरक्षा को लेकर गुहार लगा चुके है, लेकिन आज दिन तक झूठे आश्वासनों के सिवाय कुछ भी नहीं मिल पाया है. बस कंपनी की ओर से महज यहां पर एक साल पहले वीडियोग्राफी करवाई है. लोगों ने बताया कि इस संबंध में नायब तहसीलदार को भी अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी कारवाई अमल में नहीं लाई जा सकी है.
नहीं हो रही सुनवाई
राजेंद्र कुमार ने कहा कि अपनी सारी जमा पूंजी से मकान बनाया है, लेकिन अब यहां पर सुकून से रहना भी मुश्किल हो गया है. उनका आरोप है कि उनके नुक्सान की भरपाई के लिए प्रशासन भी आंखें मूंदे बैठा है और उनकी सुनवाई तक नहीं की जा रही है.
कंपनी से उचित मुआवजा दिलाने का तहसीलदार ने दिया आश्वासन
उधर, इस बावत नायब तहसीलदार होली टीआर ठाकुर का कहना है कि फील्ड कानूनगो को ब्लास्टिंग के कारण मकान में आई दरारों के बाबत सूची तैयार करने को कह दिया गया है. अगर ऐसा है तो पीड़ित को कंपनी से उचित मुआवजा दिलाया जाएगा. उल्लेखनीय है कि एक कंपनी रावी नदी पर 240 मैगावाट के कुठेड़ हाईड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य कर रही है. कंपनी ने ये काम एंजलिक और भूमि कंपनी को सौंपा है.
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