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मणिमहेश यात्रा: राधाष्टमी के दिन बड़े शाही न्हौण के लिए पहुंच रही भक्तों की टोलियां, पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर झूमे श्रद्धालु

विश्वविख्यात मणिमहेश यात्रा में राधाष्टमी के दिन डल झील में होने वाले बड़े शाही न्हौण को लेकर यात्रियों की टोलियां भरमौर पहुंच रही हैं. इस अवसर पर चौरासी मंदिर परिसर में भी यात्रियों की भीड़ उमड़ रही है.

डिजाइन फोटो.
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Published : Sep 3, 2019, 10:33 AM IST

Updated : Sep 3, 2019, 2:09 PM IST

चंबा: मणिमहेश यात्रा में जन्माष्टमी और राधाष्टमी के स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. इन दो पर्वों पर पवित्र डल झील में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. बड़े न्हौण के लिए जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह से हजारों की संख्या में यात्री भरमौर पहुंच चुके हैं. पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनों पर थिरकते शिवभक्तों का नजारा देखते ही बन रहा है.

वीडियो.

लगातार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की आमद से भरमौर भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा है. सोमवार सुबह से ही भरमौर में भग्त चौरासी परिसर पहुंचकर माथा टेकने का क्रम शुरू हो गया. बीती शाम मूसलाधार बारिश और डल झील व गौरीकुंड में हिमपात की आशंका के चलते यात्रियों को हड़सर में रोक लिया था और सेक्टर अधिकारियों को डल व गौरीकुंड में मौजूद यात्रियों को सुरक्षित स्थानों की ओर भेजने के आदेश जारी कर दिए थे. लिहाजा मौसम के खुलते ही यात्रियों की आवाजाही फिर शुरू कर दी गई. नतीजतन सोमवार को भारी तादाद में यात्रियों ने चौरासी और भरमाणी माता मंदिर में मत्था टेकने के बाद डल झील की ओर रूख कर रहे हैं.

सोमवार को भरमाणी माता मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मंदिर में यात्रियों की लंबी कतारें लगी रही. मंदिर के पवित्र कुंड में दिनभर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी तादाद देखने को मिल रही है.

मणिमहेश यात्रा के तहत राधाष्टमी का शाही न्हौण पांच सिंतबर को आठ बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा और छह सिंतबर आठ बजकर 41 मिनट तक चलेगा. हालांकि सप्तमी के दिन यानी पांच सितंबर को शिव चेलों द्वारा डल तोड़ने की रस्म निभाने के बाद ही यात्री डल झील में स्नान आरंभ कर देते हैं, लेकिन असल में राधाष्टमी का स्नान पांच सिंतबर को पौने नौ बजे आरंभ होगा.

इलाके के प्रसिद्व ज्योतिष पंडित ईश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि डल तोड़ने की रस्म पांच सितंबर को एक से तीन बजे के बीच निभाई जाएगी. वहीं राधाअष्टमी का पवित्र स्नान पांच सिंतबर को रात 8 बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा. और छह सिंतबर रात पौने नौ बजे तक चलेगा.

ईश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि राधाष्टमी पर डल झील में होने वाला स्नान फलदायी होता है. इस दिन स्नान करने से पापों व कष्टों से भी मुक्ति मिलती है और शरीर को अद्भुत शक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि भरमाणी माता मंदिर में स्नान करने के बाद ही यात्री डल झील की ओर रूख करते हैं.

चंबा: मणिमहेश यात्रा में जन्माष्टमी और राधाष्टमी के स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. इन दो पर्वों पर पवित्र डल झील में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. बड़े न्हौण के लिए जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह से हजारों की संख्या में यात्री भरमौर पहुंच चुके हैं. पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनों पर थिरकते शिवभक्तों का नजारा देखते ही बन रहा है.

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लगातार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की आमद से भरमौर भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा है. सोमवार सुबह से ही भरमौर में भग्त चौरासी परिसर पहुंचकर माथा टेकने का क्रम शुरू हो गया. बीती शाम मूसलाधार बारिश और डल झील व गौरीकुंड में हिमपात की आशंका के चलते यात्रियों को हड़सर में रोक लिया था और सेक्टर अधिकारियों को डल व गौरीकुंड में मौजूद यात्रियों को सुरक्षित स्थानों की ओर भेजने के आदेश जारी कर दिए थे. लिहाजा मौसम के खुलते ही यात्रियों की आवाजाही फिर शुरू कर दी गई. नतीजतन सोमवार को भारी तादाद में यात्रियों ने चौरासी और भरमाणी माता मंदिर में मत्था टेकने के बाद डल झील की ओर रूख कर रहे हैं.

सोमवार को भरमाणी माता मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मंदिर में यात्रियों की लंबी कतारें लगी रही. मंदिर के पवित्र कुंड में दिनभर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी तादाद देखने को मिल रही है.

मणिमहेश यात्रा के तहत राधाष्टमी का शाही न्हौण पांच सिंतबर को आठ बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा और छह सिंतबर आठ बजकर 41 मिनट तक चलेगा. हालांकि सप्तमी के दिन यानी पांच सितंबर को शिव चेलों द्वारा डल तोड़ने की रस्म निभाने के बाद ही यात्री डल झील में स्नान आरंभ कर देते हैं, लेकिन असल में राधाष्टमी का स्नान पांच सिंतबर को पौने नौ बजे आरंभ होगा.

इलाके के प्रसिद्व ज्योतिष पंडित ईश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि डल तोड़ने की रस्म पांच सितंबर को एक से तीन बजे के बीच निभाई जाएगी. वहीं राधाअष्टमी का पवित्र स्नान पांच सिंतबर को रात 8 बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा. और छह सिंतबर रात पौने नौ बजे तक चलेगा.

ईश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि राधाष्टमी पर डल झील में होने वाला स्नान फलदायी होता है. इस दिन स्नान करने से पापों व कष्टों से भी मुक्ति मिलती है और शरीर को अद्भुत शक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि भरमाणी माता मंदिर में स्नान करने के बाद ही यात्री डल झील की ओर रूख करते हैं.

Intro:अजय शर्मा, चंबा
मणिमहेश यात्रा के तहत राधाअष्टमी का शाही न्हौण पांच सिंतबर को 8 बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा और छह सिंतबर 8 बजकर 41 मिनट तक चलेगा। हांलाकि सप्तमी के दिन यानी पांच सिंतबर को शिव चेलों द्वारा डल तोडने की की रस्म निभाने के बाद ही यात्री डल झील में स्नान आरंभ कर देते है। लेकिन असल में राधाअष्टमी का स्नान पांच सिंतबर को पौने नौ बजे आरंभ होगा। प्रसिद्व ज्योतिष पंडित ईश्वर दत्त शर्मा ने यह जानकारी दी है।
Body:बता दे कि मणिमहेश यात्रा में जन्माष्टमी और राधाअष्टमी के स्नान का विशेष महत्व रहता है। माना जाता है कि इन दो पर्वो पर पवित्र डल झील में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पंडित ज्योतिष पंडित ईश्वर दत्त शर्मा बताते है कि डल तोडने की रस्म शिव चेले सप्तमी यानी पांच सिंतबर को एक से तीन बजे के बीच निभाएंगे। वहीं राधाअष्टमी का पवित्र स्नान पांच सिंतबर को रात 8 बजकर 42 मिनट पर आरंभ होगा। और छह सिंतबर रात पौने नौ बजे तक चलेगा। Conclusion:ईश्वर दत्त शर्मा बताते है कि राधाअष्टमी पर डल झील में होने वाला स्नान फलदायी होता है। साथ ही इस दिन स्नान करने से पापों व कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
साथ ही शरीर को अदभुत शक्ति प्राप्त होती है। उनका कहना है कि भरमाणी माता मंदिर में स्नान करने के बाद ही यात्री डल झील की ओर रूख करते है। बता दे कि यात्रा के बडे न्हौण के लिए भारी संख्या में यात्री भरमौर पहुंच रहे है और यहां पर पूरा माहौल भक्तिमयी हो गया है।
Last Updated : Sep 3, 2019, 2:09 PM IST
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